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केंद्रों में सवा सौ करोड़ का साढ़े 5 लाख क्विंटल धान जाम, 28 उपार्जन केंद्रों में खरीदी व्यवस्था प्रभावित होने के आसार

कोरबा। धान खरीदी अभियान में इस साल आकांक्षी जिला कोरबा डेढ़ माह की मियाद समाप्त होने के उपरांत धान खरीदी के लक्ष्य का करीब आधा लक्ष्य ही हासिल कर सका है। धान के उठाव कस्टम मिलिंग के लिए डीओ जारी होने के बाद भी राइस मिलर्स अधिक परिवहन दर मिलने की वजह से मुंगेली जिले के धान के उठाव को प्राथमिकता दे रहे। मार्कफेड की इस अदूरदर्शिता ने 28 उपार्जन केंद्रों के कर्मचारियों की नींद उड़ा दी है। उठाव में विलंब होने की स्थिति में इन उपार्जन केंद्रों में धान खरीदी व्यवस्था प्रभावित होने के आसार हैं। चुनावी वर्ष में इस बार नवंबर माह के दूसरे पखवाड़े से धान खरीदी अभियान की शुरुआत हुई है। धान खरीदी शुरुआत होते ही राइस मिलर्स हड़ताल में चले गए थे। गत माह ही आश्वासन के बाद लौटे राइस मिलरों ने पंजीयन अनुबंध कराने के बाद कस्टम मिलिंग शुरू ही किया था कि कैबिनेट में लंबित प्रोत्साहन राशि का भुगतान, प्रोत्साहन राशि मे बढोत्तरी समेत पेनाल्टी जैसे अपने मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ प्रदेश राइस मिलर्स एसोसिएशन के आव्हान पर प्रदेश के 2500 से अधिक राइस मिलर्स 12 से 20 दिसंबर तक विरोध स्वरूप हड़ताल में चले गए थे। जिसकी वजह से कस्टम मिलिंग का कार्य बाधित रहा। इस साल जिले को 31 लाख क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य दिया गया है। 55 हजार से अधिक पंजीकृत किसानों के जरिए 41 सहकारी समितियों के 65 धान उपार्जन केंद्रों के माध्यम से इस लक्ष्य को हासिल करना है। जिसकी पूर्ति में धान खरीदी के डेढ़ माह उपरांत 31 दिसंबर की स्थिति में जिले में 28 हजार 792 किसानों के माध्यम से 15 लाख 71 हजार 10.80 क्विंटल 2300 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य की दर से 361 करोड़ 33 लाख 24 हजार 840 रुपए के धान की आवक हो चुकी है। जिसमें से 120 (118 अरवा 2 उसना ) पंजीकृत राइस मिलरों के माध्यम से 31 दिसंबर तक की स्थिति में 10 लाख 16 हजार 389.60 क्विंटल समर्थन मूल्य पर 233 करोड़ 76 लाख 96 हजार 80 रुपए के धान का उठाव हुआ है। जो कुल धान के उठाव का 64 .70 फीसदी हिस्सा है। अभी भी उपार्जन के केंद्रों में 5 लाख 54 हजार 621 .20 क्विंटल समर्थन मूल्य पर 127 करोड़ 56 लाख 28 हजार 760 रुपए का धान जाम है। हालांकि मार्कफेड जिले में खरीदे गए धान के कस्टम मिलिंग के लिए शतप्रतिशत डीओ जारी कर भले अपनी पीठ थपथपा रही है। वहीं दूसरी ओर जिले में अभी खरीदे गए धान का उठाव 90 फीसदी भी नहीं हुआ है। जानकारी अनुसार राइस मिलरों को कस्टम मिलिंग के लिए जारी डीओ के अनुपात में उपार्जन केंद्रों से 10 दिनों के भीतर धान का उठाव करने का प्रावधान है। तय मियाद के भीतर उठाव नहीं कर पाने पर पेनाल्टी का प्रावधान है। हालांकि समितियों से समय पर धान का उठाव नहीं करने से धान के वजन में सूखकर कमी (शार्टेज ) आने की भरपाई के रूप में पेनाल्टी की राशि समितियों को न देकर शासन को मिलने को लेकर अर्से से सवाल उठते रहे हैं। यही नहीं समिति के विश्वस्त कर्मचारियों के अनुसार दूरी के आधार पर कस्टम मिलिंग हेतु परिवहन दर मिलने की वजह राइस मिलर्स अधिक दूरी के लिए काटे गए डीओ के धान के उठाव को प्राथमिकता देते हैं। ताकि अधिक परिवहन दर मिल सके। यही वजह है जिले के 41 समितियों के 65 उपार्जन केंद्रों में 5 लाख 54 हजार 621 .20 क्विंटल समर्थन मूल्य पर 127 करोड़ 56 लाख 28 हजार 760 रुपए का धान जाम होने के बावजूद मुंगेली जिले के धान के उठाव को प्राथमिकता दे रहे।
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जल्द नहीं उठाव हुआ तो परेशानी बढऩा तय
वैसे तो 75 फीसदी से अधिक उपार्जन केंद्रों में बफर लिमिट 7200 क्विंटल से अधिक धान जाम हैं, लेकिन इनमें से 28 उपार्जन केंद्र जहाँ 9 हजार से 18 हजार क्विंटल तक धान जाम हैं। समितियाँ सबसे ज्यादा परेशान हैं। जहां जल्द धान का उठाव नहीं होने पर खरीदी व्यवस्था प्रभावित होने के आसार हैं। 25 में से 7 उपार्जन केंद्रों में 15 से 18 हजार क्विंटल तक धान जाम हैं। जो कि बफर लिमिट से दोगुना है। इनमें अखरापाली , उतरदा, करतला, केरवाद्वारी, कोरबी (पोंडी उपरोड़ा) भैसमा व सिरमिना शामिल हैं। वहीं 18 उपार्जन केंद्रों में 9 से 13 हजार क्विंटल के बीच धान उठाव का इंतजार कर रहे। इनमें बोईदा, कनकी, कोथारी, कोरकोमा, कोरबी (पाली ), चैतमा, जटगा, जवाली, नवापारा, निरधि, पसान, पोंडी, फरसवानी, बरपाली (कोरबा), बरपाली (बरपाली), रामपुर, श्यांग व सोहागपुर शामिल हैं।

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