NGT ने कंपनी पर लगाया था 18 करोड़ रुपए का जुर्माना, सुप्रीम कोर्ट ने किया र… – भारत संपर्क

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NGT ने कंपनी पर लगाया था 18 करोड़ रुपए का जुर्माना, सुप्रीम कोर्ट ने किया र… – भारत संपर्क

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (1 सितंबर) को पर्यावरण मानदंडों के उल्लंघन के लिए उत्तर प्रदेश में एक चीनी मिल पर 18 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाने के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश को रद्द कर दिया. कोर्ट ने कहा कि न्याय करने की कोशिश में, एनजीटी ने ठीक उल्टा किया. कोर्ट ने कहा कि एनजीटी ने वैधानिक प्रक्रिया और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए आदेश पारित किया और न्याय करने की कोशिश में उल्टा अन्याय कर दिया.
जस्टिस मनोज मिश्रा और उज्जल भुइयां की बेंच ने मेसर्स त्रिवेणी इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड की अपील को स्वीकार करते हुए एनजीटी के 15 फरवरी, 2022 और 16 सितंबर, 2022 के दो आदेशों को रद्द कर दिया. बेंच ने कहा कि एनजीटी ने वैधानिक प्रक्रिया और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए जुर्माने लगाने का ये आदेश दिया था.

बेंच ने अपने फैसले में एनजीटी के आदेशों की आलोचना करते हुए कहा कि आमतौर पर, ऐसे मामलों में जहां प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन होता है, पक्षों को उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद दोबारा सुनवाई के लिए न्यायिक मंच पर भेज दिया जाता है. लेकिन इस मामले में, जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 21 और 22 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन न करने के कारण पूरी प्रक्रिया ही दूषित हो गई है.
अपशिष्टों को बहाने के आरोप में लगाया गया जुर्माना
सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी द्वारा अपनाई गई प्रक्रियाओं में खामिया निकालते हुए अपने फैसले में कहा है कि पक्षों को वापस हरित अधिकरण में भेजने से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा. एनजीटी ने चंद्रशेखर नामक व्यक्ति की ओर से दाखिल शिकायत पर विचार करते हुए उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के खतौली स्थित त्रिवेणी इंजीनियरिंग की चीनी मिल पर स्थानीय नालों में बिना शोधन के ही अपशिष्टों को बहाने के आरोप में यह जुर्माना लगाया था.
शिकायत में कहा गया था कि बिना शोधन के दूषित जल नाले में बहाने से 1.5 किलोमीटर के दायरे में 50 मीटर गहराई तक भूजल दूषित हो रहा है. इस मामले में एनजीटी ने सीपीसीबी, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) और मुजफ्फरनगर के जिला मजिस्ट्रेट के प्रतिनिधियों की एक संयुक्त समिति का गठन किया और समिति की रिपोर्ट आने के बाद जुर्माना लगाने का आदेश दिया था.

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