बिहार चुनाव में 30 फीसदी टिकट काटेगी BJP! कारण तलाशने में जुटी पार्टी; अमित…


जेपी नड्डा, अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी.
बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक हलचल तेज होती जा रही है. राजनीतिक गठबंधनों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत निर्णायक दौर में चल रही है. इस बीच खबर है कि राज्य में सत्तारुढ़ एनडीए की अहम सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (BJP) चुनाव में उतरने से पहले बिहार में भी बड़ा फैसला लेने की तैयारी में है. दावा किया जा रहा है कि बीजेपी बिहार विधानसभा चुनाव में करीब 30 फीसदी चेहरे बदलने की तैयारी में है.
बीजेपी अपने 30 फीसदी पुराने चेहरों को बदलने की कवाद में लगी है. अगर ऐसा हुआ तो बिहार चुनाव में भी नए उम्मीदवारों को मौका मिल सकता है. टिकट काटने और नए लोगों को टिकट देने के लिए स्थानीय लेवल पर सर्वे, ग्राउंड फीडबैक, अधिक उम्र और एंटी-इंकम्बेंसी टिकट कटने की वजह बन सकती है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एक दिन बाद 18 सितंबर से बिहार का दौरा शुरू कर रहे हैं.
सीटिंग विधायकों के भी कटेंगे टिकट
भगवा पार्टी अगले महीने होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में बड़े स्तर पर विधानसभा प्रत्याशी बदलने की तैयारी में हैं. पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इस बार चुनाव में करीब 15-20 सीटिंग विधायकों का टिकट काटा जा सकता है. यही नहीं 2020 के चुनाव में हार का सामना कर चुके 13 प्रत्याशियों को भी फिर से मैदान में उतरने का मौका नहीं दिया जाएगा. इस तरह से देखा जाए तो पिछले चुनाव से इस बार के चुनाव में करीब 30 से 35 फीसदी सीटों पर नए चेहरों को मैदान में उतारा जा सकता है.
सूत्र बताते हैं कि इस बाबत बीजेपी ने नए, साफ सुथरे और युवा उम्मीदवारों के सहारे विधानसभा चुनाव में उतरे हुए एंटी इंकम्बेंसी को कम करने की रणनीति बनाई है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस बार पार्टी ने टिकट कटौती के लिए कई मापदंड तय किए हैं.
नजदीकी मुकाबलों में मिली थी हार
मिली जानकारी के मुताबिक बिहार में बीजेपी के 6 मौजूदा विधायक ऐसे हैं, जिनकी उम्र 70 साल से ऊपर है. 2020 के चुनाव में 6 सीटों पर जीत-हार का अंतर 3 हजार से भी कम वोटों का रहा था, जबकि 8 सीटों पर यह अंतर 2 हजार वोट से नीचे था. इसी तरह 13 सीटों पर बीजेपी प्रत्याशी 11 हजार से भी अधिक वोटों से हार गए थे. ऐसे मामलों में पार्टी के टिकट बंटवारे में बदलाव लगभग तय माना जा रहा है.
सीट दर सीट गहन पड़ताल
बीजेपी पिछले चुनावों की तरह से इस बार भी यानी बिहार में भी अपने प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया बेहद सतर्कता के साथ करने जा रही है. बीजेपी की कार्यशैली और उसके तौर तरीकों के अनुसार हर विधानसभा सीट से करीब 4-5 संभावित नाम मंगवाए जा रहे हैं. इन नामों पर राज्य की चुनाव समिति चर्चा कर अंतिम रूप देते हुए 2 से 3 नामों का विकल्प दिल्ली में होने वाली केंद्रीय चुनाव समिति पास भेजा जाएगा.
खास बात यह है कि उम्मीदवार तय करने से पहले संगठन अपनी सर्वे रिपोर्ट, जिलाध्यक्षों के फीडबैक और पिछले चुनावों के प्रदर्शन जैसे मानकों को तवज्जो देगा. पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि एक दिन बाद गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के दौरान इस मुद्दे पर बारीकी से पड़ताल की जाएगी.
चुनाव जिताऊ उम्मीदवार पर फोकस
बीजेपी संगठन के महत्वपूर्ण लोगों का मानना है कि उम्र, प्रदर्शन और सक्रियता जैसे मानकों पर ही टिकट का फैसला लिया जाएगा. पार्टी की स्पष्ट सोच है कि जरूरत के हिसाब से प्रत्याशियों को बदला जाएगा, लेकिन सबके केंद्र में एक ही सोच है कि जिताऊ उम्मीदवार का चयन. यही वजह है कि मौजूदा विधायकों पर कड़ी नजर रखी जा रही है और एंटी इंकम्बेंसी को तोड़ने के लिए युवा तथा नए चेहरों को प्राथमिकता दी जा रही है.
चुनावी तैयारियों और टिकट वितरण की रणनीति पर शीर्ष स्तर पर मंथन भी शुरू हो चुका है. पिछले हफ्ते शनिवार को पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पटना में कोर कमिटी की बैठक में समीक्षा की. अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 18 और 27 सितंबर को पटना में क्षेत्रीय बैठकों की अध्यक्षता करेंगे. पार्टी ने बिहार को 5 जोन में बांटा है और इन्हीं बैठकों में प्रत्याशियों की स्क्रूटिनी को आगे बढ़ाया जाएगा.
पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि गृह मंत्री अमित शाह बिहार में लगातार जोनल सांगठनिक बैठक करने जा रहे हैं. इन बैठक में इलाके की चुनावी गणित और विधानसभा वार उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा करेंगे.