क्या बांग्लादेश में फरवरी में चुनाव नहीं होंगे, क्या है नए इलेक्शन सिस्टम की डिमांड? – भारत संपर्क

0
क्या बांग्लादेश में फरवरी में चुनाव नहीं होंगे, क्या है नए इलेक्शन सिस्टम की डिमांड? – भारत संपर्क
क्या बांग्लादेश में फरवरी में चुनाव नहीं होंगे, क्या है नए इलेक्शन सिस्टम की डिमांड?

बांग्लादेश में प्रदर्शन (फोटो क्रेडिट- MD Abu Sufian Jewel/NurPhoto via Getty Image)

बांग्लादेश में मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार चुनावी तारीखों को लेकर अनिश्चितता में है. हालांकि फरवरी 2026 में चुनाव की बात कही गई है, लेकिन यह तारीख भी पक्की नहीं लग रही. आम चुनावों से पहले, कट्टरपंथी इस्लामी दलों का एक गठबंधन सड़कों पर प्रदर्शन कर रहा है.

शेख हसीना के शासन के दौरान मुख्य विपक्षी दल रही बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) चुनावों में देरी नहीं चाहती है. हालांकि जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश और अन्य इस्लामी दल संसदीय चुनावों में आनुपातिक प्रतिनिधित्व (PR) प्रणाली शुरू करने की मांग को कर रहे हैं. जमात-ए-इस्लामी के साथ, इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश, बांग्लादेश खिलाफत मजलिस, खिलाफत मजलिस, नेजामे इस्लाम पार्टी, बांग्लादेश खिलाफत आंदोलन और जातीय गणतांत्रिक पार्टी भी प्रदर्शन में शामिल हुए हैं.

वर्तमान चुनावी व्यवस्था क्या है?

अभी बांग्लादेश में जो उम्मीदवार सबसे ज्यादा वोट पाता है, वही जीतता है. संसद में 300 आम सीटें और 50 महिलाओं के लिए आरक्षित सीटें हैं. वहीं आनुपातिक प्रतिनिधित्व (PR) चुनाव प्रणाली म के तहत लोग किसी व्यक्ति को नहीं, बल्कि पार्टी को वोट देंगे. जितने प्रतिशत वोट पार्टी को मिलेंगे, उतनी ही सीटें उसे मिलेंगी. उदाहरण के लिए अगर किसी पार्टी को 30% वोट मिले तो 30% सीटें मिलेंगी. 300 अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्र नहीं होंगे.

नए सिस्टम का असर क्या होगा

पूरा बांग्लादेश एक ही निर्वाचन क्षेत्र माना जाएगा. पार्टियों के बीच चुनाव होगा, व्यक्तियों के बीच नहीं. छोटी पार्टियों को भी संसद में प्रतिनिधित्व का मौका मिलेगा. लेकिन BNP जैसी बड़ी पार्टी इसका विरोध कर रही है और मौजूदा सिस्टम को बनाए रखना चाहती है. जमात जैसी इस्लामी पार्टियां ‘जुलाई चार्टर’ को पूरी तरह से लागू करने की मांग कर रही हैं. विरोध प्रदर्शनों का नया दौर अराजकता फैला सकता है और चुनावों में देरी कर सकता है.

BNP ने PR सिस्टम का विरोध किया

BNP चुनावों में किसी भी तरह की देरी के खिलाफ है और उसका कहना है कि चुनावों में आनुपातिक प्रतिनिधित्व जैसी मांगें लोकतंत्र के लिए अच्छी नहीं हैं. BNP महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने इस्लामी पार्टियों के विरोध प्रदर्शन की आलोचना की है.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश और अन्य इस्लामी पार्टियां सत्ता पर नजर गड़ाए हुए हैं और चुनाव में देरी करना चाहती हैं, क्योंकि शेख हसीना की अवामी लीग की अनुपस्थिति में BNP चुनाव जीतने की दौड़ में सबसे आगे है. मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने अवामी लीग पर चुनाव लड़ने से रोक लगा दी है.

अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसा

बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसा भी देखी गई है. यहां की हिंदू आबादी कट्टरपंथी इस्लामी दलों के बढ़ते प्रभाव से चिंतित है. बांग्लादेश की 2022 की जनगणना के अनुसार, यहां हिंदुओं की कुल आबादी 1.3 करोड़ यानी 8% है. यह आबाजी भारत के विभाजन के समय 22% थी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अर्शदीप सिंह ने सिर्फ 3 साल में रचा इतिहास, भारतीय क्रिकेट में पहली बार हुआ… – भारत संपर्क| विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारियों की पत्रकारवार्ता, लव जिहाद…- भारत संपर्क| बारिश ने बढ़ाई कुम्हारों की परेशानी, नहीं सूख रहे दीये, सता…- भारत संपर्क| *breaking jashpur:- छत पर चढ़ते समय गिरकर घायल हुआ 9 वीं का छात्र, गंभीर…- भारत संपर्क| क्या बांग्लादेश में फरवरी में चुनाव नहीं होंगे, क्या है नए इलेक्शन सिस्टम की डिमांड? – भारत संपर्क