नीतीश ने बिहार को आगे बढ़ाया लेकिन अब रफ्तार की जरूरत, चिराग को CM बनाने के…

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नीतीश ने बिहार को आगे बढ़ाया लेकिन अब रफ्तार की जरूरत, चिराग को CM बनाने के…
नीतीश ने बिहार को आगे बढ़ाया लेकिन अब रफ्तार की जरूरत, चिराग को CM बनाने के सवाल पर बोले खगड़िया MP राजेश वर्मा

एलजेपी (आर) के सांसद राजेश वर्मा.

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले पूर्णिया में आयोजित टीवी9 डिजिटल बैठक में एलजेपी (आर) के सांसद राजेश वर्मा ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार को आगे बढ़ाया है, लेकिन अब रफ्तार की जरूरत है. चिराग पासवान को चुनाव में सीएम फेस के रूप में पेश किये जाने के सवाल पर सांसद राजेश वर्मा ने कहा कि हमारे नेता (चिराग पासवान) के अंदर धैर्य भी है और विजन भी है. हमलोगों को कोई हड़बड़ी नहीं है. हमारे नेता ने कह दिया कि इस बार चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में चुनाव लड़ेंगे. कार्यकर्ता उनके साथ हैं

उन्होंने कहा कि पार्टी का हर कार्यकर्ता चाहता था कि वह मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लें. यह व्यक्तिगत सोच है और क्यों नहीं रखे? मेरी सोच यह इसलिए है कि मुख्यमंत्री ने गड्ढे में पड़े बिहार को बेहतर बिहार बनाने में योगदान दिया.

उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था, सड़क या मूलभूत सुविधा की बात करें, तो सीएम ने गति के हिसाब से काम किया, लेकिन अब समय है विकास में और रफ्तार देने का. कहीं न कहीं लगता है कि उनका अनुभव और युवा सोच के साथ वो आगे बढ़ेंगे तो बिहार का विकास और बेहतर होगा.

243 सीटों पर एनडीए का उम्मीदवार जीते

एक अन्य सवाल के जवाब में सांसद ने कहा कि पार्टी के सांसद और पदाधिकारी क्यों न मंथन करें? हमारे नेता के बिहार की कमान लेने के लिए. हम लोग स्वतंत्र हैं. नेता के समक्ष बात रखने के लिए, लेकिन एनडीए का हिस्सा होने के नाते हमारे नेता का मानना है कि हमें मर्यादा में रहना है. ऐसी कोई बात नहीं कहें, जिससे घटक दल में गलतफहमी पैदा हो. उनकी इच्छा है कि वो बिहार आकर चुनाव लड़ें. वो चाहते हैं कि 243 सीटों पर एनडीए का उम्मीदवार जीतकर आए.

सीटों के बंटवारे पर उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी की इच्छा है कि चुनाव में सम्मानजनक सीटें मिलें. देश में कोई यशस्वी पीएम के बाद लोकप्रिय नेता है तो वो चिराग पासवान है.

उन्होंने चिराग पासवान को लेकर कहा कि उनकी विरासत इतनी बड़ी है. भ्रष्टाचार के एक भी आरोप नहीं हैं. शिक्षित हैं और कभी चिराग पासवान ने भाषा की मर्यादा नहीं लांघी है. धैर्य के साथ अपने विजन रखते हुए पूरी दुनिया को एक्सप्लोर किया है. यदि वो बिहार आने की बात कर रहे हैं तो क्यों लोग साथ नहीं देंगे?

सांसद के रूप में अपनी जीत पर क्या बोले राजेश वर्मा

वार्ड पार्षद से सांसद तक के अपने सफर पर उन्होंने कहा कि मैं अपने नेता के अनुकूल और विपरीत समय में सभी में साथ रहा. नेता ने विधानसभा चुनाव भी लड़ाया था. प्रदेश की जिम्मेदारी दी थी. जिलाध्यक्ष का भी दायित्व दिया. वो महिला और युवाओं की भागीदारी शत प्रतिशत सुनिश्चित करना चाहते हैं. यह मेरा सौभाग्य है कि कम उम्र में चुनाव लड़ने और सांसद बनने का सौभाग्य मिला है.

सांसद के रूप में जीत पर उन्होंने कहा कि यदि पूरी परिस्थिति आपके अनुकूल हो तो चुनाव लड़ने में मजा नहीं है. वार्ड के चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव लड़ा और हारा भी. लोकसभा चुनाव लड़ने पर भी कोई चिंता नहीं थी. पीएम मोदी और सीएम नीतीश और हमारे नेता के लंबे समय से किए गये कार्य और जुड़ाव मिलाकर मेरी जीत में योगदान दिया.

उन्होंने कहा कि राजनीति में व्यक्तिगत नहीं, नीतिगत विरोध होते रहना चाहिए. अपराध चरम पर था. एनडीए का हिस्सा होते हुए भी सख्त कार्रवाई की बात कही. मनभेद और मतभेद अंतर है. मनभेद हो सकता है. नीतिगत विरोध आज नहीं है, जहां होता है, चिराग बोलने से पीछे हटते नहीं है.

चिराग की शादी के बयान पर तेजस्वी पर हमला

चिराग शादी नहीं कर रहे हैं तेजस्वी के बयान पर उन्होंने कहा कि क्यों युवा तेजस्वी को योग्य नहीं समझता है? कौन शादी कर रहा है? कौन बच्चा पैदा कर रहा है. यह कोई विषय है. आप विपक्ष के नेता हैं. हजारों मुद्दे हैं, इस पर चर्चा कर रहे हैं. क्या इस पर बिहार में चर्चा होगी? 2005 से पहले व्यापारी अन्य राज्य में अपराध के कारण क्यों चले गये, उस वक्त की बात नहीं करेंगे. रोजगार देने के नाम पर कलम बांटने का काम शुरू कर देंगे. आज का युवा बेवकूफ नहीं है. शिक्षित है. शिक्षित युवा चाल-चलन को समझता है. जब हथियार लहराते थे तो किनकी सरकार थी? उनका बोलने और करने में अंतर है.

प्रशांत किशोर पर बोले…ओवर कॉन्फिडेंस होना ठीक नहीं

शांभवी चौधरी पर लगे आरोप पर उन्होंने कहा कि आरोप कुछ भी लगाया जा सकता है. यह तो जांच का विषय है कि इसमें क्या सत्यता है? जांच होगी तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा.

प्रशांत किशोर के बयान पर सांसद राजेश वर्मा ने कहा कि चाहे व्यापार हो या राजनीति हो. कॉन्फिडेंस होना ठीक है. ओवर कॉन्फिडेंस होना ठीक नहीं है. नीतीश कुमार को 25 से ज्यादा आ गयी है तो क्या संन्यास ले लेंगे? हम सरकार बनाने वाले हैं तो उपचुनाव में चार सीट पर क्यों खेल खत्म हो गया? चारों सीटों पर जमानत जब्त हो गयी. हौसले की तारीफ करनी चाहिए. बिहार को बदलने का प्रयास कर रहे हैं. हम सराहना कर रहे हैं, लेकिन ओवर कॉन्फिडेंस कार्यकर्ताओं के लिए अच्छा नहीं होगा.

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