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आभूषण और वस्त्रों से मां दुर्गा की प्रतिमाओं का कारीगर कर रहे श्रृंगार, नवरात्र की रौनक: 22 सितबर से शुरू होने वाले नौ दिवसीय दुर्गा उत्सव के लिए पंडालों में भी तैयारियां शुरू
कोरबा। 22 सितंबर से शुरू हो रहे नवरात्र पर्व की आहट ने पूरे शहर का वातावरण भक्तिमय बना दिया है। बाजारों में रौनक, पंडालों में तैयारियां और मूर्तिकारों की व्यस्तता से चारों ओर उत्सव का माहौल दिखाई देने लगा है। शहर के विभिन्न पंडालों में विराजमान होने वाली मां दुर्गा की प्रतिमाओं को कलाकार अंतिम रूप देने में जुटे हैं। इस बार की प्रतिमाओं की खासियत है कि उन्हें न केवल सुंदर आकार दिया जा रहा है बल्कि माता की साड़ी और आभूषण भी पूरी तरह मिट्टी से तैयार किए गए हैं। इन पर प्राकृतिक रंगों से बारीक नक्काशी कर उन्हें बेहद आकर्षक बनाया गया है। नवरात्रि की तैयारियों ने कोरबा ही नहीं, आसपास के जिलों को भी उत्सवमय बना दिया है। प्रतिमाओं की नक्काशी, मिट्टी से बने आभूषण और कोलकाता से आया श्रृंगार इस बार के पर्व को और भी भव्यता प्रदान कर रहा है। भक्तगण अब मां दुर्गा के स्वागत को लेकर बेसब्री से 22 सितंबर का इंतजार कर रहे हैं, जब पूरा शहर माता के जयकारों से गूंज उठेगा। पंडालों के लिए बंगाली कलाकार विशेष प्रतिमाएं तैयार कर रहे हैं। इन प्रतिमाओं को विशेष श्रृंगार से सजाया जा रहा है। कलाकारों ने बताया कि मां दुर्गा की प्रतिमाओं के श्रृंगार का सामान और विशेष रंग कोलकाता से मंगाए गए हैं। कोलकाता से आने वाले यह रंग प्रतिमाओं में मां के तेजस्वी स्वरूप को और भी निखार देते हैं। बंगाली समाज के पंडालों के लिए बनाई जाने वाली प्रतिमाओं की खासियत है कि इनमें मां दुर्गा को दस भुजाओं में दिखाया जाता है। इनके साथ भगवान गणेश, कार्तिकेय और मां सरस्वती की प्रतिमा अनिवार्य रूप से स्थापित होती है। कलाकारों ने बताया कि इस बार प्रतिमाओं का आकार 5 से 9 फीट तक का है। एक ही प्रतिमा में मां के अलग-अलग स्वरूप दिखाने का प्रयास किया गया है। यही नहीं, प्रतिमाओं पर की गई बारीकी से लोग इतने प्रभावित होते हैं कि शहर के अलावा आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों तक प्रतिमाएं भेजी जाती हैं। इनकी मांग इतनी अधिक है कि अधिकांश प्रतिमाएं पहले ही बुक हो गई हैं।