Artificial Intelligence: एजुकेशन सेक्टर में AI का सीखने से ज्यादा शॉर्टकट के लिए…


AI का इस्तेमाल शॉर्टकट के लिए कर रहे छात्र!Image Credit source: pexels
Artificial Intelligence: क्लासरूम से लेकर होमवर्क तक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब पढ़ाई का अहम हिस्सा बन चुका है. खासकर कॉलेज स्टूडेंट्स, जो एआई टूल्स का इस्तेमाल फटाफट जवाब पाने के लिए कर रहे हैं. लेकिन यह नई टेक्नोलॉजी सिर्फ छात्रों के लिए शॉर्टकट बनकर रह गई है. यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न कैलिफोर्निया (USC) की रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर छात्र एआई से आसान हल तो निकालते हैं, लेकिन कांसेप्ट समझने या गहराई से पढ़ाई करने के लिए इसका कम इस्तेमाल करते हैं.
आइए जानते हैं कि USC की रिपोर्ट में क्या कहा गया है? AI को लेकर क्या कहा गया है. आगे की भूमिका क्या हाे सकती है.
क्या कहती है रिपोर्ट
यूएससी के सेंटर फॉर जेनेरेटिव एआई एंड सोसायटी की तरफ से की गई रिसर्च में सामने आया है कि 72% टीचर्स का मानना है कि एआई रूटीन काम को आसान बनाता है. वहीं 73% मानते हैं कि यह स्टूडेंट्स के रिजल्ट बेहतर कर सकता है. 69% का विश्वास है कि यह पर्सनलाइज्ड लर्निंग को बढ़ावा देगा. बता दें कि भारतीय शिक्षकों ने एआई इस्तेमाल को लेकर आत्मविश्वास दिखाया है. उनका भरोसा अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है, हालांकि कक्षाओं में इसका इस्तेमाल अभी सीमित है.
वहीं इस रिसर्च में 1,505 शिक्षकों को भी शामिल किया गया, जिनमें अमेरिका, भारत, कतर, कोलंबिया और फिलीपींस के टीचर्स थे. रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षकों की सबसे बड़ी चिंता प्लेजरिज्म (नकल), छात्रों की कम होती क्रिएटिविटी और संस्थानों से मिलने वाले असमान सहयोग को लेकर है. वहीं आंकड़े बताते हैं कि शिक्षकों में एआई को लेकर उम्मीदें भी हैं.
प्रोफेसरों की हो सकती है भूमिका अहम
रिपोर्ट के मुताबिक, जब प्रोफेसर छात्रों को सोच-समझकर एआई इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करते हैं, तब स्टूडेंट्स इसे केवल शॉर्टकट की तरह नहीं बल्कि सीखने के टूल के तौर पर अपनाते हैं. यूएससी के एसोसिएट प्रोफेसर स्टीफन जे एगुइलर के अनुसार, जेनरेटिव एआई आ चुका है और इसका असर भी दिख रहा है. सवाल यह है कि हम इसका इस्तेमाल गहराई से सीखने के लिए करते हैं या फिर उससे बचने के लिए.
आगे क्या हो सकता है रास्ता
रिपोर्ट के मुताबिक, एआई का इस्तेमाल केवल शॉर्टकट के लिए न होकर छात्रों की गहरी समझ बढ़ाने वाला होना चाहिए. इसके लिए एआई टूल्स में रिफ्लेक्शन और रिविजन जैसी खूबियां जोड़ी जानी चाहिए. साथ ही, टीचर्स के लिए ट्रेनिंग और स्पष्ट नीतियों की जरूरत है ताकि हर किसी को बराबरी से फायदा मिल सके.
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