रोहिंग्याओं के हमदर्द बने बांग्लादेश के यूनुस, म्यांमार संकट को बताया चिंताजनक – भारत संपर्क


संयुक्तर राष्ट्र में यूनुस
बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र के दौरान रोहिंग्याओं के हमदर्द बन गए हैं. शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ी हिंसाओं पर चुप्पी साधने वाले यूनुस म्यांमार के अल्पसंख्यकों को इंसाफ दिलाने की बात कर रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र में बोलते हुए मोहम्मद यूनुस ने कहा कि रोहिंग्याओं को हाशिए पर धकेले जाने की प्रक्रिया को जारी नहीं रहने दिया जा सकता. यूनिस ने कहा, “जिन भेदभावपूर्ण नीतियों और कार्रवाइयों की वजह से आज यह स्थिति पैदा हुई है, उनका समाधान किया जा सकता है और स्थिति को सुधारा जा सकता है. उन्होंने जोर दिया कि इसके लिए पूर्ण राष्ट्रीय राजनीतिक समाधान का इंतजार करने की कोई जरूरत नहीं है.”
रखाइन की समस्याओं का समाधान जरूरी
यूनुस ने म्यांमार के रखाइन में जारी हिंसाओं और समस्याओं को खत्म करने के लिए एक राजनीतिक समाधान ढूंढने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि इसके लिए रखाइन क्षेत्र के सभी संबंधित जातीय समूहों की हिस्सेदारी के साथ समझौता जरूरी है, ताकि रोहिंग्या समान अधिकारों और नागरिकता के साथ समाज का हिस्सा बन सकें.
बता दें रखाइन क्षेत्र में रोहिंग्याओं के खिलाफ हुई हिंसा के बाद लाखों रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश भाग आए हैं. रखाइन के हालात 2017 से बिगड़े हुए हैं और यहां जातीय समूहों और जुंटा सेना के बीच संघर्ष जारी है.
म्यांमार संघर्ष पूरे क्षेत्र के लिए चिंताजनक
म्यांमार में चल रहे संघर्ष को यूनुस ने पूरे क्षेत्र के लिए चिंताजनक बताया है. यूनुस ने कहा बांग्लादेश में शरण लेने वाले रोहिंग्याओं के लिए घर लौटना भी मुश्किल बनता जा रहा है. आठ साल बाद भी रोहिंग्या संकट का कोई हल नजर नहीं आ रहा है.
उन्होंने आगे कहा कि बांग्लादेश को लगातार म्यांमार से आने वाले रोहिंग्याओं को शरण देने के लिए मजबूर किया जा रहा है. साफ रूप से, सांस्कृतिक पहचान की राजनीति के कारण रखाइन में रोहिंग्याओं के अधिकारों का हनन और उत्पीड़न जारी है.
बांग्लादेश में रोहिंग्या
बांग्लादेश में हाल में करीब 10 लाख रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे हैं. यह संख्या संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) के आंकड़ों पर आधारित है, जिसमें कॉक्स बाजार के शिविरों में मुख्य रूप से ये शरणार्थी रहते हैं और भासन चार द्वीप पर करीब 35,000.
2017 से अब तक म्यांमार से भागे अधिकांश रोहिंग्या यहीं शरण लिए हैं. 2025 में म्यांमार में बढ़ते संघर्ष के कारण अतिरिक्त 1.5 लाख शरणार्थी आए हैं, लेकिन कुल संख्या अभी भी 10 लाख के आसपास बनी हुई है.