WTO में भारत की बड़ी जीत, सर्विस सेक्टर के लिए कारोबार करना…- भारत संपर्क

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WTO में भारत की बड़ी जीत, सर्विस सेक्टर के लिए कारोबार करना…- भारत संपर्क
WTO में भारत की बड़ी जीत, सर्विस सेक्टर के लिए कारोबार करना बनेगा आसान

WTO में भारत को मिली बड़ी जीतImage Credit source: TV9 Graphics

वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) के मंत्री सम्मेलन के पहले ही दिन भारत को बड़ी जीत हासिल हुई है. बातचीत के पहले ही दिन डब्लूटीओ के सदस्य देशों के बीच सर्विस सेक्टर के कारोबार को आसान बनाने पर सहमति बन गई है. स्थानीय समय शाम 5 बजे डब्ल्यूटीओ ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि अब सर्विस सेक्टर के कारोबार से जुड़े उलझे हुए मुद्दों को अब सुलझा लिया गया है. इसकी वजह से अब सर्विस सेक्टर में नए नियम बनने शुरू होंगे और दुनिया के 71 देश इस नए समझौते का हिस्सा होंगे.

इस डील का सबसे बड़ा फायदा भारत को होगा. भारत के सर्विस सेक्टर का कारोबार दुनिया के कई देशों में फैला हुआ है. ऐसा करने वाले कई और देशों को भी इस संधि से लाभ मिलेगा.

डॉक्टर्स, इंजीनियर्स, नर्स और सीए को मिलेगा फायदा

इससे डॉक्टर, इंजीनियर, नर्सिंग और अकाउंटेंट जैसे पेशों से जुड़े लोगों को खास लाभ मिलेगा. इस संबंध में जब डब्ल्यूटीओं के नए नियम बन जाएंगे, तब समझौता लागू करने वाले देशों में इन पेशों से जुड़े लोगों और बिजनेस को कई तरह के प्रतिबंध और शर्तों से राहत मिल जाएगी. दुनिया में सर्विस सेक्टर के एक्सपोर्ट और बिजनेस की लागत में हर साल करीब 119 अरब डॉलर की बचत होगी.

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दूर हुईं भारत और दक्षिण अफ्रीका की चिंताएं

इस संधि का रास्ता भारत की आपत्तियों की वजह से ही रुका था. साथ ही दक्षिण अफ्रीका भी इसकी कई शर्तों से सहमत नहीं था. अब जब भारत और दक्षिण अफ्रीका की चिंताओं को दूर करने पर सहमति बन गई है और डब्लूटीओ के सदस्य भारत का पक्ष शामिल करने पर राजी हो गए हैं, तब इस संधि के लागू होने का रास्ता साफ हो गया है. डब्लूटीओ की प्रमुख नगोजी ओकोंजो इवेला ने खासतौर पर भारत और दक्षिण अफ्रीका को सहमति बनाने के लिए धन्यवाद दिया है.

दुनिया के लिए ये नई शुरुआत

इस सहमति को डब्लूटीओ के लिए एक नई तरह की शुरुआत माना जा रहा है. इसमें सदस्य देशों का एक पूरा समूह किसी समझौते पर सहमत हो रहा है. भारत को आपत्ति इस बात पर थी कि ये बहुपक्षीय व्यवस्था से अलग है. भारत ने शर्त रखी थी इस तरह के समझौते को डब्लूटीओ की बहुपक्षीय समिति से मंजूर कराया जाए. साथ ही इसके लाभ उन सबको मिलने चाहिए जो इससे जुड़ना चाहते हैं.

भारतीय पक्ष की इन शर्तों के माने जाने का संकेत मिलने के बाद ही भारत ने अपनी आपत्तियां वापस ली हैं. हालांकि सूत्रों का कहना है कि भारत ने इस समझौते पर दस्तखत नहीं किए हैं. अमेरिका यूरोप और चीन इस संधि का हिस्सा हैं. डब्लूटीओ की कठिन और विवादित वार्ताओं का एजेंडा आज से खुल रहा है. मगर कारोबारी हितों में जबरदस्त टकराव, युद्ध के मोर्चे और कई चुनावों के बावजूद इस सहमति से डब्लूटीओ प्रबंधकों को राहत मिली है.

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