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अन्नदाताओं को धान विक्रय की राशि पाने करनी पड़ रही मशक्कत, बैंकों में नहीं छांव के इंतजाम, धूप में लगानी पड़ रही कतार

कोरबा। जिला का सबसे बड़ा चेस्ट बैंक भारतीय स्टेट बैंक और पंजाब नेशनल बैंक है। इसके बावजूद जिला प्रशासन ने सहकारी बैंक के लिए एक निजी बैंक को चेस्ट बनाया है। वह सहकारी बैंक को पर्याप्त रुपए नहीं दे पा रहा है।इससे किसान नाराज हैं। बैंक की सेवा पर सवाल उठा रहे हैं। किसानों की सुविधा के लिए कार्य करने वाला सहकारी बैंक सेवा देने में पिछड़ रहा है। बैंक के पास न तो किसानों के जरूरत के अनुसार कैश उपलब्ध है और न ही बैंक परिसर में धूप से बचाव की सुविधा। आलम यह है कि तेजधूप में किसान सहकारी बैंक से पैसा निकालने के लिए हलाकान हो रहे हैं। बिना खाये-पिए लाइन में खड़े होकर अपनी पारी के इंतजार में वक्त गुजार दे रहे हैं, लेकिन एक बार में उन्हें अधिकतम 25 हजार रुपए ही मिल रहा है।हाल ही में प्रदेश सरकार ने जिले के किसानों के खाते में धान बिक्री की अंतर राशि का भुगतान किया है। किसानों के लिए कोरबा जिले के सहकारी बैंक में 262 करोड़ नौ लाख रुपए जमा किए गए हैं। इस राशि को निकालने के लिए किसान बड़ी संख्या में सहकारी बैंक की शाखाओं में पहुंच रहे हैं।किसानों का कहना है कि एक बार में बैंक अधिकतम 25 हजार रुपए दे रहा है। मान लीजिए किसी को एक लाख रुपए निकालना है तो वह चार बार चक्कर लगा रहा है। इससे अनावश्यक भीड़ बढ़ रही है।

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