गजब! झुलसती गर्मी में नहीं मिल रहे कार्यकर्ता, दिहाड़ी मजदूरों के सहारे नेत… – भारत संपर्क

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गजब! झुलसती गर्मी में नहीं मिल रहे कार्यकर्ता, दिहाड़ी मजदूरों के सहारे नेत… – भारत संपर्क

राजनीतिक दलों के सहारा बने मनरेगा मजदूर
Image Credit source: tv9 भारतवर्ष
लोक तंत्र का महापर्व आम चुनाव की सरगर्मियां तेज है. इधर अप्रैल में ही आसमान जून की तरह आग उगल रहा है. तेजी से चढ़ रहे पारे ने सियासी दलों के पसीने छुड़ा दिए हैं. दरअसल आमसभा या विधानसभा चुनाव में पार्टी कार्यकर्ताओं की अहमियत सबसे ज्यादा है. कार्यकर्ता ही राजनीतिक दलों के आंख-कान होते हैं. लेकिन सूरज दादा कार्यकर्ताओं को आसमान से आंखे तरेर रहे हैं. इसके बाद पार्टी की लाख मिन्नतें करने के बाद भी कार्यकर्ता चिलचिलाती धूप में घर से निकलने के लिए तैयार नहीं हैं. इससे उम्मीदवारों का जन संपर्क अभियान ठंडा पड़ने लगा, तब सियासी दलों ने इसका एक विकल्प खोजा है.
प्रयागराज में राजनीतिक दल दिहाड़ी और मनरेगा मजदूरों को चुनावी काम के लिए साथ रख रहे हैं. ये मजदूर जहां सभाओं में जिंदाबाद और विरोधियों के लिए मुर्दाबाद का नारा लगाते हैं तो वहीं बैनर पोस्टर लगाने, पंपलेट बांटने और नेताओं के साथ भीड़ के तौर पर चलने का भी काम कर रहे हैं.
कांग्रेस सपा सबको कार्यकर्ताओं की कम
प्रयागराज कांग्रेस के जिला अध्यक्ष सुरेश यादव बताते हैं कि भीषण गर्मी से चुनाव ठंडा पड़ा है. गर्मी के चलते कार्यकर्ता घर से बाहर नही निकल रहे हैं. उनके मोबाइल बंद मिलते हैं. यही हाल समाजवादी पार्टी का भी है जिसे नगरीय क्षेत्र के बाहर घर घर जन संपर्क में कार्यकर्ताओं के संकट का सामना करना पड़ रहा है. इसके बाद इलेक्शन इवेंट मैनेजमेंट करने वाली कंपनियों ने मनरेगा मजदूरों और दिहाड़ी मजदूरों को अपने साथ रख रहे हैं.
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दो वक्त खाने के साथ 480 रुपए
रैपिड इवेंट मैनेजमेंट ग्रुप के सीईओ अरविंद मिश्रा बताते हैं कि दिहाड़ी और मनरेगा श्रमिकों तय दिहाड़ी से ज्यादा देने पर साथ आने के लिए तैयार हैं और पार्टियों को अपनी सेवाए दे रहे हैं. ये मजदूर नारेबाजी करने से लेकर पर्ची बांटने तक का काम कर रहे हैं. मनरेगा श्रमिकों को प्रतिदिन 475 रुपए और दिहाड़ी मजदूरों को 480 रुपए मिलता है. इसके साथ ही दो वक्त का खाना और चाय भी इन्हें दिया जा रहा है. इससे मनरेगा श्रमिकों और दिहाड़ी मजदूरों की मौज है.
मजदूरी के मुकाबले नारेबाजी आसान
भीषण गर्मी में दैनिक मजदूरी से ज्यादा पैसा और खाने पीने के साथ मजदूरी के मुकाबले नारे लगाने का काम मजदूरों को आसान लग रहा है. कंधई पुर प्रयागराज में इन प्रॉक्सी कार्यकर्ताओं की हर रोज भीड़ जमा होती है. राजनीतिक दलों को मजदूर उपलब्ध कराने वाले ठेकेदार सुशांत शुक्ला कहते हैं सियासी दलों को भी ये पैकेज करीब 25 फीसदी तक सस्ता पड़ रहा है.

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