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एसईसीएल दो बंद भूमिगत खदान से दोबारा करेगा कोयला खनन, विभागीय खनन के पक्ष में यूनियन नेता
कोरबा। कोयला खनन की नीति के बदलते दौर में एसईसीएल की दो अंडर ग्राउंड माइंस रजगामार व सिंघाली से दोबारा विभागीय उत्खनन पर संशय बना हुआ है क्योंकि कोयला कंपनी के पास दोनों ही खदानों के रिजर्व कोयले को निकालने रेवेन्यू शेयरिंग, एमडीओ मोड, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की उपयोग नीति में बदलाव से नई कॉमर्शियल माइनिंग से खनन नीति का विकल्प मौजूद है। हालांकि यूनियन नेता विभागीय खनन के पक्ष में है। हालांकि कंपनी प्रबंधन अभी तक इस तरह की खनन नीति को अपनाकर कोयला निकालने से इनकार किया है। श्रमिक नेताओं का कहना है कि अंडर ग्राउंड माइंस को भले ही घाटे से उबारने नई तकनीक का इस्तेमाल करें मगर कोयला उत्पादन में विभागीय श्रमिकों की ही हिस्सेदारी रहे। इस मुद्दे को संयुक्त यूनियन की बैठक में भी उठाया गया है। इसके बाद कोल इंडिया की अपेक्स जेसीसी की बैठक में कोयला खदानों में अधिग्रहित भूमि का बड़ा हिस्सा विभागीय श्रमिकों द्वारा उत्पादन के लिए उपयोग में लाने का मुद्दा उठा चुके हैं। बता दें कि रजगामार व सिंघाली अंडर ग्राउंड माइंस को पर्यावरण मंजूरी की प्रक्रिया समय पर पूरा नहीं करा पाने से कोयला उत्पादन बंद हो गया है। इन्हें फिर से शुरू करने के लिए आवेदन किया गया है।अंडर ग्राउंड माइंस में एसईसीएल मेकेनाइज्ड बोर्ड एंड पिलर पद्धति से कोयला उत्खनन करती है। खदान में कोयला निकालने के दौरान मोटा पिलर छोड़ा जाता है। पिलर में मौजूद कोयले को पेस्ट फिलिंग तकनीक से निकालने पर विचार हो सकता है। इससे रिजर्व कोयले की मात्रा बढ़ जाएगी लेकिन अब पर्यावरण मंजूरी के पुर्नवैधीकरण की प्रक्रिया को पूरा करने के बाद ही खनन हो सकेगा। इस संबंध में यूनियन नेताओं का कहना है कि दो बंद खदानों से दोबारा उत्पादन विभागीय खनन से ही शुरू होनी चाहिए। संयुक्त यूनियन की बैठक के बाद मांग पत्र में विभागीय श्रमिकों की कोयला उत्पादन में हिस्सेदारी को बढ़ाना शामिल किया है। रेवेन्यू शेयरिंग, एमडीओ मोड या अन्य खनन नीति से निजी हाथों में सौंपा नहीं जाना चाहिए। कोल खनन राष्ट्र हित से जुड़ा मुद्दा है। इस पर गंभीरता से विचार किया जाए।