नवरात्र के छठे दिन कात्यायनी देवी की पूजा से विवाह में आ रही…- भारत संपर्क

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नवरात्र के छठे दिन कात्यायनी देवी की पूजा से विवाह में आ रही…- भारत संपर्क

सुभाष चौक सरकंडा स्थित श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर के पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि त्रिदेव मंदिर में नवरात्र के पांचवें दिन प्रातःकालीन सर्वप्रथम देवाधिदेव महादेव का महारुद्राभिषेक पश्चात श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का विशेष पूजन श्रृंगार स्कंदमाता देवी के रूप में किया गया।श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महारुद्राभिषेक, महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती देवी का षोडश मंत्र द्वारा दूधधारिया पूर्वक अभिषेक एवं परमब्रह्म मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी का पूजन एवं श्रृंगार किया जा रहा है।

पीतांबरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि नवरात्रि के छठवें दिन कात्यायनी देवी की पूजा की जाती है विलंबित विवाह की समस्या के समाधान के लिए कात्यायनी मंत्र लाभकारी है। कात्यायनी मंत्र में जन्म कुंडली में मांगलिक दोष को दूर करने की शक्ति होती है । मांगलिक दोष से विवाह में न केवल देरी होती है, अपितु सुखी विवाहित जीवन में भी अनेक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।कात्यायनी मंत्र उन लोगों के लिए एक प्रभावी मंत्र है जिनके विवाह में विभिन्न कारणों से अवरोध उत्पन्न हो रहा है। विवाह के लिए कात्यायनी मंत्र भागवत पुराण से उत्पन्न हुआ है। भगवान कृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए गोपियों ने माँ कात्यायनी की उपासना की। लड़कियां विवाह में किसी भी बाधा को हटाने के लिए देवी कात्यायनी की पूजा करती हैं। कात्यायनी मंत्र एक कन्या की कुंडली में मांगलिक दोष या ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव जैसे सभी बाधाओं को दूर करने में बहुत प्रभावी है। कात्यायनी मंत्र के नियमित जाप से आपके विवाह में आनेवाली सभी बाधाएं शीघ्र दूर होकर विवाह के योग बनने लगते है।

।।कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि; नन्द गोपसुतं देविपतिं मे कुरु ते नमः।।
उपरोक्त मंत्र का जाप स्वयं करें या ब्राह्मण से कराए।

कात्यायनी देवी नवदुर्गा या देवी पार्वती (शक्ति) के नौ रूपों में छठवें रूप है | महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं। कात्यायनी शब्द का शाब्दिक अर्थ ही है – जो दृढ़ और घातक दंभ को दूर करने में सक्षम है। देवी कात्यायनी बृहस्पति ग्रह (गुरु ग्रह ) को नियंत्रित करती है। देवी कात्यायनी सिंह पर विराजमान हैं।उनको तीन नेत्र और चार भुजाएं है। एक भुजा में चन्द्रहास नामक तलवार है, एक भुजा में कमल का पुष्प है और शेष दो भुजाएं अभयमुद्रा और वरदमुद्रा में हैं। देवी कात्यायनी अमोद्य फलदायिनी हैं इनकी पूजा अर्चना द्वारा सभी संकटों का नाश होता है।

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