117 दिन बाद योग निंद्रा से जागे जगत के पालनहार, आज देवउठनी…- भारत संपर्क
117 दिन बाद योग निंद्रा से जागे जगत के पालनहार, आज देवउठनी से मांगलिक कार्यों की होगी शुरुआत
कोरबा। देवउठनी एकादशी के साथ ही देवताओं का चातुर्मास समाप्त हो गया। इसके साथ ही चार माह से बंद मांगलिक कार्यों की शुरूआत हो जाएगी। मंगलवार को सर्वार्थ सिद्धि योग भी सुबह 7 बजकर 52 मिनट से शुरू हुआ। पर्व के नजदीक आते ही शहर में गन्ने बेचने वालों की कतार लग गई है। इसे प्रबोधनी एकादशी भी कहा जाता है। तुलसी चौरा के सामने श्रीशालीग्राम की मूर्ति रखकर गन्ने का मंडप बनाया जाता है। घर की चौखट के चारों ओर दीप जलाकर अमरूद, बनबेर, चनाभाजी, सिंघाड़ा, केला, मूली, बैगन, सेवफल आदि भगवान को समर्पित कर तुलसी विवाह संपन्न कराया जाता है। पर्व के लिए जरूरी गन्ना बाजार में पहुंच चुका है। इस दिन गन्ना की विशेष मांग रहती है। इसी देवउठनी एकादशी के दिन माता तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के साथ हुआ था। इस कारण इस दिन तुलसी विवाह की परंपरा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार बीत 4 माह से सोए देव 12 नवंबर को उठेंगे। इस बार 12 नवंबर को विशेष बात यह है कि सर्वार्थ सिद्धि और हर्षण योग में मनाई जा रही है। घरों के आंगन में गन्ने का मंडप बनाकर तुलसी एवं शालिग्राम का विवाह रचाया जाएगा। शादी-ब्याह, गृह प्रवेश, उपनयन संस्कार, नामकरण जैसे मांगलिक कार्य जो रुके हुए थे, वे चातुर्मास समाप्त होने पर फिर से शुरू हो जाएंगे।देवशयनी एकादशी के बाद से मांगलिक कार्यों पर विराम लगा है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जा रही है। देवउठनी के दिन भगवान विष्णु और तुलसी मैया का विवाह का विधान है, इसके लिए गन्ने का मंडप बनाया जाता है।