जल संसाधन विभाग हसदेव बरॉज जल प्रबंध उप संभाग रामपुर – कोरबा के अफसरों की शिकायत…- Bharat Sampark

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जल संसाधन विभाग हसदेव बरॉज जल प्रबंध उप संभाग रामपुर – कोरबा के अफसरों की शिकायत पहुंची मुख्यमंत्री तक, दर्री डेम के पास से लेकर कोहड़िया-चारपारा तक जमीनों के कब्ज़ा में विभाग के अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप, दबंग न्यूज़ में खबर प्रकाशन के बाद मामले ने पकड़ा तूल

कोरबा। दबंग न्यूज़ द्वारा जल संसाधन विभाग, हसदेव बरॉज जल प्रबंध उप संभाग रामपुर/कोरबा में किए गए जमीन अफरा तफरी के प्रकाशित खबर के मामले ने तूल पकड़ लिया है।खबर प्रकाशन के बाद विभाग के अधिकारियों के कारनामे की शिकायत अब मुख्यमंत्री विष्णु देव साय तक पहुंच चुकी है। इस मामले में युवा कांग्रेस के जिला महामंत्री (ग्रामीण) मधुसूदन दास ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है। युंका नेता ने जल संसाधन विभाग,हसदेव बरॉज जल प्रबंध उप संभाग रामपुर/कोरबा के दो अधिकारियों पर मिलीभगत करते हुए करोड़ों-अरबों की जमीन पर कब्जा करने की शिकायत करते हुए मामले में जांच की मांग की है। वही मधुसूदन दास द्वारा किए गए शिकायत में कहा गया है कि जिले की बेशकीमती शासकीय जमीनों पर बेजा कब्जा आम बात हो गई है। बात खास तब हो जाती है जब इसमें जिम्मेदार अधिकारियों की संलिप्तता हो।जिनके शह में करोड़ों-अरबों की जमीन बेच दी जाती है। मामला हसदेव बरॉज जल प्रबंध उप संभाग रामपुर/कोरबा क्षेत्र का है, जहां विभाग के एक अधिकारी ने विभागीय जमीन पर एनओसी जारी कर दिया है। उनकी देखा-देखी बाद आए अधिकारी ने भी विभागीय जमीन को अपनी बेजा कमाई का जरिया बना लिया। कलेक्टर अजीत वसंत ने खाली पड़ी शासकीय जमीनों पर संबंधित विभागों को बोर्ड लगाने का निर्देश दिया। जिसके बाद अधिकारियों का झूठ और करोड़ों-अरबों की जमीन अफरा तफरी का मामला सामने आ गया। इस कड़ी में उन्होंने खाली पड़ी शासकीय जमीनों पर संबंधित विभागों को अपने विभाग के बोर्ड लगाने के निर्देश दिए हैं। निर्देश का परिपालन करते हुए विभाग द्वारा बोर्ड लगाया जा रहा है, विभाग द्वारा कोहड़िया-चारपारा के पास दर्री जाने वाले रोड किनारे इस तरह का बोर्ड लगाया गया है। जहां पहले व्यापक पैमाने पर राखड़ डाला गया है। पूर्व में अधिकारी इस जमीन को विभाग की नहीं बताते थे। अब इस जमीन पर बोर्ड लगाकर विभाग की बताते हुए राखड़ डालते पाए जाने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है। जिसमें रूमगरा क्षेत्र की भूमि पर निजी क्रेता को एनओसी जारी किया गया है। यानी कि इस भूमि को विभाग ने अपना नहीं मानते हुए खरीद बिक्री पर कोई आपत्ति नहीं होना बताया है। यह कारनामा शिवनारायण साय अनुविभागीय अधिकारी हसदेव बरॉज जल प्रबंध उपसंभाग दर्री ने किया है। वे कार्यपालन अभियंता हसदेव बरॉज जलप्रबंध संभाग रामपुर/कोरबा के प्रभार में थे। इस दौरान उन्होंने जमीन के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया है। उसके बाद छत्तीसगढ़ शासन ने 16 अगस्त 2019 से 23 सितंबर 2021 तक पीके वासनिक को प्रभारी कार्यपालन अभियंता का प्रभार दिया था। 24 सितंबर 2021 से पीके वासनिक कार्यपालन अभियंता का दायित्व संभाल रहे है। तब से लेकर आज तक विभाग की जमीन पर बेतहाशा बेजा कब्जा और खरीद बिक्री कराई जाती रहीं। विभाग की करोड़-अरबों रूपए की जमीन को भगवान भरोसे छोड़कर अधिकारी कहते रहे कि यह विभाग की जमीन नहीं है। अब जब कलेक्टर ने बोर्ड लगाने के लिए निर्देश दिए तो कार्यपालन अभियंता पी. के. वासनिक को अचानक याद आया कि यह जमीन हमारे विभाग की है और सीधे बोर्ड लेकर चले गए। ऐसे में सवाल- उठता है कि विभाग द्वारा जिन लोगों को अनापत्ति प्रमाण पत्र दिए गए थे। उस पर भी बोर्ड लगा दिया गया है। विभाग के अधिकारियों की इस दोहरी नीति के कारण शासकीय जमीन पर पहले तो कब्जा हो गया और अब जमीन पर ज्ञापन क्रमांक 1949/तक रामपुर/कोरबा, दिनांक 12,06,2019 को अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दिया गया। तो लोगों ने करोड़ों-अरबों में इसकी खरीद बिक्री भी कर ली। मामले में गंभीरता से जांच की जरूरत है। इस पूरे मामले में प्रभारी कार्यपालन अभियंता रहे एस.एन. साय और मौजूदा कार्यपालन अभियंता पी. के वासनिक के कार्यकाल में हुए ज़मीन अफरातफरी की जाँच की मांग उन्होंने की है।

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लोकसभा चुनाव में होगा बड़ा मुद्दा

जल संसाधन विभाग, हसदेव बरॉज जल प्रबंध उप संभाग रामपुर/कोरबा विभाग की जिस जमीन पर कब्जा करने का खेल चला है। सूत्रों की माने तो उसमें एक नेता के रिश्तेदार की भूमिका अहम बताई जा रही है। जिसने व्यापक पैमाने पर विभाग की जमीन पर कब्जा किया है। आगामी दिनों में लोकसभा चुनाव होना है। जिस पार्टी के नेता के रिश्तेदार में कब्जा का खेल खेला है उसके खिलाफ विपक्षी दल के नेता मोर्चा खोल सकते हैं। लोकसभा चुनाव में यह एक बड़ा मुद्दा हो सकता है। अब यह शिकायत मुख्यमंत्री विष्णु देव साय तक भी पहुंच चुकी है। कहा यह भी जा रहा है कि गर्मियों में होने जा रहे लोकसभा चुनाव में यह मुद्दा सियासी पारा जरूर गरमाएगा।

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