कम पैसे खर्च करने के बावजूद भी इकोनॉमी करेगी जबरदस्त…- भारत संपर्क

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कम पैसे खर्च करने के बावजूद भी इकोनॉमी करेगी जबरदस्त…- भारत संपर्क
कम पैसे खर्च करने के बावजूद भी इकोनॉमी करेगी जबरदस्त 'ग्रोथ', ये है सरकार का प्लान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का बजट पेश कर चुकी हैं. इकोनॉमी को बूस्ट देने के लिए सरकार ने बड़े पैमाने पर कैपिटल एक्सपेंडिचर का लक्ष्य रखा है. कैपिटल एक्सपेंडिचर का फायदा ये होता है कि ये इकोनॉमी में मल्टीप्लायर इफेक्ट को जोड़ता है, जिसकी वजह से इकोनॉमी को लगभग 3 गुना फायदा मिलता है. लेकिन इस साल सरकार ने अपने कैपिटल एक्सपेंडिचर की ग्रोथ को बहुत लिमिटेड रखा है, इसके बावजूद देश की इकोनॉमिक ग्रोथ बढ़िया रहने का अनुमान है. ये मुमकिन कैसे होगा? चलिए समझते हैं…

सरकार ने इस साल के बजट में कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए 11.1 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. ये वित्त वर्ष 2023-24 के बजट के मुकाबले 11.1 प्रतिशत का इजाफा है. इस तरह सरकार पिछले साल के मुकाबले अगले साल 1.1 लाख करोड़ रुपए अधिक खर्च करेगी. लेकिन बजट 2023-24 के संशोधित अनुमान के आधार पर देखें तो सरकार ने कैपिटल एक्सपेंडिचर में 17% की ग्रोथ दर्ज की है. संशोधित अनुमानों में कैपिटल एक्सपेंडिचर 2023-24 में 10 लाख करोड़ की बजाय 9.5 लाख करोड़ रुपए ही रहने वाला है.

आखिर कैसे कम खर्चा करेगी सरकार ?

अगर आप ये सोच रहे हैं कि सरकार ने कैपिटल एक्सपेंडिचर तो बढ़ाने की बात कही है, तो फिर खर्च कम कहां और कैसे होगा? इसको ऐसे समझें कि सरकारी ने 2023-24 में जब कैपिटल एक्सपेंडिचर का खर्च बढ़ाया था, तो वह 2022-23 की तुलना में 33.4% बढ़ा था. जबकि अबकी बार ये पिछले साल के मुकाबले महज 11.1 प्रतिशत ही बढ़ा है. इस लिहाज से देखा जाए तो सरकार अपना कैपिटल एक्सपेंडिचर अब लिमिट कर रही है. आखिर ऐसा क्यों कर रही सरकार ?

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‘क्राउडिंग आउट’ को रोकने के लिए लिया फैसला

सरकार ने अपने कैपिटल एक्सपेंडिचर को लिमिटेड करने का फैसला इकोनॉमी में ‘क्राउडिंग आउट’ को रोकने के लिए लिया है. इसे ऐसे समझें जब इकोनॉमी की रफ्तार सुस्त होती है, तब उसमें जान फूंकने के लिए सरकार अपना खर्च बढ़ाती है. इकोनॉमी को बूस्ट मिलता देख प्राइवेट सेक्टर को इकोनॉमी में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करती है. जब इकोनॉमी में प्राइवेट इंवेस्टमेंट शुरू हो जाता है, तो सरकार बाजार में फंड को कंट्रोल करने के लिए अपने हाथ वापस खींच लेती है ताकि प्राइवेट सेक्टर अपना निवेश वापस ना निकाले.

प्राइवेट सेक्टर अगर अपना निवेश बाहर निकालता है, तो उसे ‘क्राउडिंग आउट’ कहा जाता है. जबकि उसके इकोनॉमी में निवेश करने को ‘क्राउडिंग इन’ कहा जाता है.

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