सनातन पुनर्जागरणार्थ 51 शिव कथा आयोजन हेतु संकल्पित… — भारत संपर्क

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सनातन पुनर्जागरणार्थ 51 शिव कथा आयोजन हेतु संकल्पित… — भारत संपर्क

बिलासपुर।”‘सनातन का अर्थ है,जो शाश्वत हो, चिरस्थाई हो,दृढ़ हो,जो आदि अंत रहित हो,जो निरंतर ज्ञान का विस्तार करे। यह दुभाग्यपूर्ण है कि लोग सनातन का नितांत संकुचित अर्थ लगाते है। सनातन संस्कृति भारत की पहचान है। सनातन हमारा प्राण हैं, जिस पर हमें गर्व है। किंत् वर्तमान परिवेश में सनातन मूल्यों का क्षरण, अंधानुकरण और पाश्चात्य संस्कृति का दुष्प्रभाव तथा दुष्चक्र हमारी प्राचीन विरासत और धरोहर को खंडित कर रहा है।” ये ज्वलंत विचार स्वामी नंदाचार्य जी के हैं। बिलासपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने आगे कहा कि आज सनातनी लोग नियमित रूप से न मंदिर जा रहे हैं और न ही व्रत उपवास,न यज्ञ,अनुष्ठान आदि कर रहे हैं। न कथा श्रवण ही कर रहे हैं। वस्तुतः व्रत -त्योंहार, यज्ञ,पूजन, कथा पारायण,शिखा,तिलक, धौत वस्त्र धारण, शीघ्र शयन,ब्रह्म मुहर्त जागरण,षोडश संस्कार, शाकाहार आदि इन सभी की पृष्ठभुमि में सम्यक वैज्ञानिकता है। दिव्य मंत्रों के उच्चारण से सकारात्मक तरंगे प्रवाहित होती हैं। पवित्र एवं परिपुष्ट वातावरण निर्मिंत होता है, जिसके अनेकानेक लाभ हैं। भागवतकथा, रामकथा, शिवकथा, गोकथा आदि से से विशिष्ट प्रेरणा और सीख मिलती है,प्रणोदन मिलता है। संस्कारक्षम वातावरण और परिवेश निमित होता है। जिसकी विशद-व्यापक सुखद प्रभान्विति होती है। योग, संगीत और कला भी भारत की अमूल्य धरोहर है, लेकिन अज्ञानियों या अल्पज्ञान द्वारा सनातन उपादानों की भ्रामक व्याख्या की जा रही है। सनातन संस्कृति “”वसुधैव कुटुंबकम्” की भावना से अनुप्राणित है।

बृहदारण्यक उपनिषद में सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे संतु निरामयः स्तुनिरामया:। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद दुःख भाग्भवेत्।” की विराट कामना की गई है। स्वामी नंदाचार्य ने आगे बताया कि न्यायधानी बिलासपुर खमतराई रोड रामा ग्रीन सिटी के पास 12 मई से सायंकालीन दिव्य सनातन शिव कथा पारायण जारी है। जिसमें सर्वथा नूतन ढंग से संगीतमय शिव कथा पारायण किया जा रहा है।जो 19 मईं को संपन्न होगी। उन्होंने ध्यानाकृष्ट किया कि वे छत्तीसगढ के कोने -कोने में कुल 51 दिव्य सनातन शिव कथा आयोजन हेतु संकल्पित हैं। कटिबदध हैं,ताकि सनातन के प्रति परांगमुख लोगों को झकझोर कर जगाया जा सके । उन्होंने कहा कि सनातन कै अलख जगाने का यह संकल्प उन्होंने विगत बुद्ध पूर्णिमा को लिया है। यह आयोजन इसी श्रृंखला की पहली कड़ी है। स्वामी जी ने यह भी स्पष्ट किया कि शिव सनातन के प्रतीक हैँ। शिव का अर्थ ही कल्याण होता है। शिवतत्व के अभाव में हमारा स्वरूप शववत् बन जाता है। शिव सनातन संभूत हैं और एकता तथा समरसता के साकार स्वरूप हैं। सनातन के पुनर्जांगरण से ही भारतवर्ष अखंड और सशक्त राष्ट् बन सकता है। प्रारंभ में सनातन जागृति अभियान के महामंत्री आचाय डॉं. देवधर महंत ने अभियान के संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए अभियान के शिल्पी स्वामी नंदाचार्य जी का औपचारिक परिचय साझा किया । उन्होंने सभी सनातनियों से इस दिव्य सनातन शिवकथा श्रबणार्थ पधारने एवं लाभान्वित होने का आग्रह भी किया।


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