ट्रंप टैरिफ के बाद, अब भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर्स तलाश रहे हैं नया… – भारत संपर्क

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ट्रंप टैरिफ के बाद, अब भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर्स तलाश रहे हैं नया… – भारत संपर्क
ट्रंप टैरिफ के बाद, अब भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर्स तलाश रहे हैं नया बाजार

डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिका ने भारत से आयात पर 50% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, ये टैरिफ भारत पर पूरी तरीके से 27 अगस्त से लागू हो जाएंगे. ट्रंप टैरिफ की वजह से भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों में खासा दबाव देखने को मिल रहा है. ऐसे में कई इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियां अब लोकल एक्सपैंशन पर दोबारा सोच रही हैं और नए ओवरसीज मार्केट्स की तलाश कर रही हैं. हालांकि, स्मार्टफोन्स, टैबलेट्स, लैपटॉप्स, और कुछ टेलीकॉम इक्विपमेंट्स जैसे प्रोडक्ट्स अभी इस टैरिफ से बचे हुए हैं.

मुनोथ इंडस्ट्रीज ने जनवरी में यूएस की कंपनी Anker के साथ डील साइन की थी. कंपनी हर महीने 5-10 लाख सेल्स यूएस को सप्लाई करने की प्लानिंग में थी. लेकिन, अगर लिथियम सेल्स पर भी टैरिफ लग गया, तो उनका यूएस बिजनेस दूसरी कंपनियों को जा सकता है. जसवंत मुनोथ मुनोथ इंडस्ट्रीज के चेयरमैन जसवंत मुनोथ ने कहा कि यूएस में बिजनेस से हमें डबल मुनाफा मिलता है, साथ ही क्वालिटी कंट्रोल भी हाई रहता है. यूएस मार्केट खोना हमारे फाइनेंशियल प्रोजेक्शन्स के लिए बड़ा नुकसान होगा.

वहीं, डिक्सन टेक्नोलॉजीज ने पहले कहा था कि FY27 तक यूएस में उनके फोन एक्सपोर्ट्स बढ़ेंगे. लेकिन अब वो वेट एंड वॉच मोड में हैं. एक सूत्र ने बताया कि अभी डिक्सन कुछ नहीं कर सकती. टैरिफ की पूरी स्थिति साफ होने तक सरकार से मदद मांगना मुश्किल है. अगर अगस्त के तीसरे हफ्ते में यूएस मोबाइल फोन्स और सेमीकंडक्टर प्रोडक्ट्स पर टैरिफ की घोषणा करता है, तो डिक्सन सरकार से मदद मांगेगी.

इन प्रोडक्ट्स पर नहीं लगे हैं टैरिफ

अमेरिका ने 17-18 HS कोड्स के प्रोडक्ट्स, जैसे स्मार्टफोन्स, लैपटॉप्स, टैबलेट्स, और कुछ टेलीकॉम इक्विपमेंट्स को टैरिफ से छूट दी है. इनके एक्सपोर्ट्स की वैल्यू करीब $50 बिलियन हो सकती है. लेकिन बाकी इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट्स, जैसे इलेक्ट्रिक इनवर्टर्स, बैटरी चार्जर्स, और ट्रांसफॉर्मर पार्ट्स, 14 HS कोड्स के तहत 50% टैरिफ का सामना कर रहे हैं.

नए मार्केट की तलाश में कंपनियां

टैरिफ की वजह से भारतीय कंपनियां अब यूएस के अलावा दूसरे मार्केट्स की तलाश कर रही हैं. CTI (चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री) ने जर्मनी, यूके, सिंगापुर, और मलेशिया जैसे देशों में इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स की डिमांड को देखते हुए इन मार्केट्स को एक्सप्लोर करने की सलाह दी है. साथ ही, भारत को यूएस से इम्पोर्ट कम करने और ग्लोबल सप्लायर्स की तलाश करने की सलाह भी दी गई है.

इंडिया ने 2030 तक $80 बिलियन के इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट्स का टारगेट रखा था, लेकिन टैरिफ की वजह से $20-30 बिलियन का नुकसान हो सकता है. फिर भी, कुछ कंपनियां जैसे Apple और Samsung, जो यूएस में इनवेस्ट कर रही हैं, को टैरिफ में छूट मिल सकती है. इंडिया सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) के चेयरमैन पंकज मोहिंद्रू ने कहा कि हम सरकार के साथ मिलकर टैरिफ की चुनौती को हल करने की कोशिश करेंगे.

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