यूक्रेन को हथियार के बाद अब रियल टाइम खुफिया जानकारी देगा अमेरिका, निशाने पर है रूस… – भारत संपर्क

अमेरिका ने फैसला किया है कि वह यूक्रेन को रूस के अंदर लंबी दूरी तक मिसाइल हमलों के लिए जरूरी खुफिया जानकारी देगा. इसका मकसद यूक्रेन को रूस के ऊर्जा बुनियादी ढांचे जैसे रिफाइनरियों, पाइपलाइनों और बिजली संयंत्रों को निशाना बनाने में मदद करना है. इससे रूस की तेल और गैस सप्लाई नुकसान पहुंचेगा, रूस तेल-गैस से होने वाली कमाई का इस्तेमाल युद्ध के लिए करता है.
यह पहला मौका है जब अमेरिका आधिकारिक तौर पर इस तरह की जानकारी यूक्रेन को देगा. पेंटागन के अधिकारियों ने बताया कि अमेरिका ने नाटो के अन्य सहयोगी देशों से भी इसी प्रकार का समर्थन देने की अपील की है. हाल के दिनों में ट्रंप ने रूस के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है. ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की थी, जिसमें कहा था कि यूक्रेन अपनी सभी जमीन वापस ले सकता है, जिस पर रूस ने कब्जा कर लिया है.
नए फैसले से यूक्रेन को क्या फायदा होगा
अमेरिका पहले भी यूक्रेन को खुफिया जानकारी देता रहा है, लेकिन अब जो जानकारी दी जाएगी, उससे यूक्रेन के लिए रूस के ऊर्जा संसाधनों को नुकसान पहुंचाना ज्यादा आसान हो जाएगा. ट्रंप ने यूरोपीय देशों पर भी दबाव डाला है कि वे रूस से तेल खरीदना बंद कर दें. यूरोप ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए हैं, ताकि यूक्रेन पर हमले के लिए रूस को वित्तीय मदद मिलने से रोका जा सके.
टॉमहॉक मिसाइल देने पर विचार
ट्रंप ने भारत पर भी रूसी तेल खरीद को लेकर 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लगाया है. साथ ही तुर्की जैसे देशों से भी अपील की है कि वह रूस से तेल की खरीद बंद करें. अमेरिका यूक्रेन को टॉमहॉक मिसाइलें देने पर भी विचार कर रहा है. ये मिसाइलें 2,500 किलोमीटर तक मार कर सकती हैं, जिससे वे रूस के अधिकांश हिस्सों तक पहुंच सकती हैं. यूक्रेन भी अपनी लंबी दूरी की मिसाइल फ्लेमिंगो डेवलप कर रहा है, लेकिन इसकी संख्या अभी कम हैं.
रूस के लिए तेल और गैस निर्यात कमाई का सबसे अहम जरिया है. इससे रूस को युद्ध में मदद मिलती है. यही वजह है कि पश्चिमी देशों ने रूस के इस क्षेत्र को निशाना बनाना शुरू कर दिया है. समूह सात (G7) देशों के वित्त मंत्रियों ने भी हाल ही में घोषणा की है कि वे रूस पर दबाव बढ़ाने के लिए संयुक्त रूप से काम करेंगे. उन देशों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा, जो रूस से तेल खरीद बढ़ा रहे हैं.