दोहा में PAK-अफगानिस्तान के बीच ‘सीजफायर’ पर बनी सहमति, अब तुर्की में होगी वार्ता – भारत संपर्क

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दोहा में PAK-अफगानिस्तान के बीच ‘सीजफायर’ पर बनी सहमति, अब तुर्की में होगी वार्ता – भारत संपर्क
दोहा में PAK-अफगानिस्तान के बीच 'सीजफायर' पर बनी सहमति, अब तुर्की में होगी वार्ता

कतर ने पाकिस्तान और तालिबान के बीच की थी मध्यस्थता.

अफगानिस्तान और पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल संघर्ष विराम वार्ता के दूसरे दौर के लिए तुर्की जा रहे हैं. अधिकारियों के मुताबिक हाल में दोनों देशों के बीच हुई लड़ाई में दर्जनों लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए हैं. दोनों पड़ोसी देश एक कटु सुरक्षा विवाद में उलझे हुए हैं, जो लगातार हिंसक होता जा रहा है. दोनों पक्ष कह रहे हैं कि वे एक-दूसरे की आक्रामकता का जवाब दे रहे हैं.

पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर आरोप लगाया है कि वह सीमा पार से हमले करने वाले सशस्त्र समूहों के प्रति आंखें मूंद लेता है जबकि अफगानिस्तान के तालिबान शासक इस आरोप को खारिज करते हैं.

युद्धविराम समझौते पर मध्यस्थता

पिछले सप्ताहांत, कतर और तुर्की ने युद्धविराम समझौते पर मध्यस्थता करके दोनों देशों के बीच शत्रुता को विराम दिया. यह युद्धविराम काफी हद तक कायम रहा है. अफगानिस्तान के चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने कहा कि व्यापारियों को प्रतिदिन लाखों डॉलर का नुकसान हो रहा है, क्योंकि सीमा पारगमन और व्यापार ठप हो गया है.

तालिबान सरकार के मुख्य प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि उप-गृह मंत्री हाजी नजीब इस्तांबुल जा रहे प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं. पाकिस्तान ने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल में शामिल सदस्यों के बारे में जानकारी नहीं दी.

एक-दूसरे की संप्रभुता का सम्मान

पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने पहले दौर की बातचीत के बाद बयान दिया था कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीजफायर समझौता हो गया है और पाकिस्तान की भूमि पर अफगानिस्तान से होने वाली आतंकवादी गतिविधियां तुरंत बंद की जाएंगी. दोनों पड़ोसी देश एक-दूसरे की जमीन और संप्रभुता का सम्मान करेंगे.

अफगानिस्तान सरकार के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने बयान जारी करते हुए कहा कि पहले दौर की बातचीत में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच आपस में सैन्य ठिकानों और रिहाइशी इलाकों में हमला ना करने पर सहमति बनी है.

अफगानिस्तान सरकार का बयान

जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा था कि पाकिस्तान पर हमला करने वाले संगठनों का समर्थन ना करने वाला उनका बयान कोई औपचारिक या संयुक्त घोषणा का हिस्सा नहीं है, बल्कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार का पुराना स्टैंड है और दोहा में दोनों पक्षों के बीच सिर्फ यह सहमति बनी है कि एक-दूसरे के खिलाफ किसी भी कार्रवाई को अंजाम नहीं दिया जाएगा, जो समझौते का सबसे अहम बिंदु है.

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