अमेरिका ने कतर को सुरक्षा गारंटी दी, इजराइली हमले के 20 दिन बाद ट्रंप का फैसला – भारत संपर्क

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कतर को सुरक्षा की गारंटी देने वाले कार्यकारी आदेश पर साइन किया है. इस आदेश में कहा गया है कि कतर की रक्षा के लिए अमेरिका जरूरी हर कदम उठा सकता है. इसमें सैन्य कार्रवाई भी शामिल हो सकती है. ट्रंप के इस आदेश का मकसद कतर को यह भरोसा दिलाना है कि अमेरिका उसके साथ खड़ा रहेगा.
दरअसल, इजराइल ने 9 सितंबर को दोहा में हमास के नेताओं पर हमला किया था, हमले में कतर के सुरक्षा बल के एक सदस्य समेत 6 लोग मारे गए थे. ट्रंप के नए आदेश में कहा गया है कि अगर कतर पर कोई सशस्त्र हमला होता है, तो अमेरिका इसे अपनी शांति और सुरक्षा के लिए खतरा समझेगा और कतर की रक्षा के लिए सभी जरूरी उपाय करेगा.
2 दिन पहले ही आदेश साइन हुआ था
यह आदेश 1 अक्टूबर को व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर जारी हुआ, लेकिन इस पर 29 सितंबर को ही साइन किया जा चुका है. उस समय इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू वॉशिंगटन में ही थे. नेतन्याहू ने कतर में हुए हमले पर अफसोस जताया था और कतर के प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान बिन जस्सिम अल थानी से फोन पर माफी मांगी थी. इस दौरान नेतन्याहू व्हाइट हाउस में थे.
कतर के अधिकारियों ने अभी तक इस आदेश पर कोई टिप्पणी नहीं की है. इस आदेश की कानूनी स्थिति थोड़ी अस्पष्ट है. अमेरिका में ऐसे आदेशों या समझौतों के लिए आमतौर पर सीनेट की मंजूरी जरूरी होती है, लेकिन राष्ट्रपति बिना सीनेट की मंजूरी के भी कई अंतरराष्ट्रीय समझौते कर सकते हैं. ओबामा ने भी साल 2015 में ईरान के साथ जॉइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (JCPOA) नाम का परमाणु समझौता किया था. सैन्य कार्रवाई का अंतिम फैसला भी राष्ट्रपति के हाथ में होता है.
कतर अमेरिका के लिए अहम क्यों?
कतर फारस की खाड़ी में स्थित एक छोटा लेकिन अमीर देश है. इसके पास विशाल प्राकृतिक गैस के भंडार है. मिडिल ईस्ट में अमेरिका का सबसे बड़ा मिलिट्री बेस (अल उदीद) कतर में है. कतर में करीब 10 हजार अमेरिकी सैनिक तैनात हैं. 2022 में जो बाइडेन ने कतर को ‘प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी’ का दर्जा दिया था, जो उसकी रणनीतिक अहमियत को दर्शाता है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि मिडिल ईस्ट अमेरिका के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए ट्रंप का यह आदेश सिर्फ कतर की रक्षा तक सीमित नहीं है. यह पूरे क्षेत्र में अमेरिका की रणनीतिक मौजूदगी को मजबूत करने वाला कदम है.