श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर में आषाढ़ गुप्त नवरात्र…- भारत संपर्क

0
श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर में आषाढ़ गुप्त नवरात्र…- भारत संपर्क

छत्तीसगढ़ बिलासपुर सरकण्डा स्थित श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर में आषाढ़ गुप्त नवरात्र उत्सव हर्षोल्लास के साथ धूमधाम से मनाया जा रहा है। पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि त्रिदेव मंदिर में नवरात्र के पंचम दिन प्रातःकालीन श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का विशेष पूजन श्रृंगार स्कंदमाता एवं भुवनेश्वरी देवी के रूप में किया गया।श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महारुद्राभिषेक, महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती देवी का षोडश मंत्र द्वारा दूधधारिया पूर्वक अभिषेक किया गया।परमब्रह्म मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी का पूजन एवं श्रृंगार किया गया।प्रतिदिन रात्रिकालीन 8:00 बजे से 12:30 बजे तक पीताम्बरा हवनात्मक महायज्ञ मे श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी मंत्र के द्वारा 21हजार आहुतियाँ दी जा रही है, एवं रात्रि 12:30 बजे महाआरती संपन्न हो रहा है।

पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि देवी को माया माया कह निंदा करने और कोसने से नहीं माँ माँ कहने से लोक और परलोक में समृद्धि,सुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है। अज्ञानियों के पास जो संसार वह भी माँ का दिया हुआ है परंतु संसार उसको ही अनुकूल मानता है जो धर्मात्मा और माँ का भक्त होता है अपने निर्धन और प्रतिकूल संसार को सधने और अनुकूल करने के लिए कलयुग में चण्डी माँ और विनायक भगवान अधिकृत हैं। “कलौं चण्डी विनायकौ” देवी भागवत की कथा प्रमाण है कि जिन जिन राक्षसौ और राक्षसी स्वभाव वालों ने भगवान को देर किनारे करके माया को अपनाया है वह रावण की तरह ही संपत्ति,संतति और सम्मान पाने के बाद भी कंगाल हुए और मृत्यु को प्राप्त हुए हैं,मोक्ष को नहीं। इस माया को माँ के कृपा देखते हुए उपास्य और दर्शनीय बनाये।जैसे माँ अपने बालक के कल्याण के लिए आतुर रहती है,वैसे ही भगवती अपने भक्तों के लौकिक,पारलौकिक और परमार्थिक कल्याण के लिए तत्पर रहती है।

पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि गुप्त नवरात्र में माँ के नौ रूपों के साथ साथ दस महाविद्याओं की पूजा भी की जाती है।देवी भुवनेश्वरी कमल पर विराजमान चार भुजाओं वाली है। उनके चार हाथों में एक फंदा, एक अंकुश, एक किताब और एक माला है। फंदा और अंकुश नियंत्रण और मार्गदर्शन का प्रतिनिधित्व करते हैं, पुस्तक ज्ञान और सीखने का प्रतीक है और माला साधना के प्रति उनकी भक्ति का प्रतिनिधित्व करती है।भुवनेश्वरी सारी सृष्टि और परम वास्तविकता का स्रोत है। ज्ञान और आध्यात्मिक विकास प्राप्त करने और बाधाओं को दूर करने और परिपक्वता को बढ़ावा देने के लिए उनकी पूजा की जाती है। देवी मूलाधार चक्र से जुड़ी हुई हैं, मूलाधार चक्र रीढ़ के आधार पर स्थित है और माना जाता है कि यह स्थिरता, सुरक्षा और अस्तित्व की हमारी भावना को नियंत्रित करता है।भुवनेश्वरी की पूजा करने से इस चक्र को सक्रिय और संतुलित करने में मदद मिलती है, अभ्यासी में जमीन और स्थिरता की भावना को बढ़ावा मिलता है। इसलिए देवी शक्ति, ज्ञान और सुंदरता के लिए पूजनीय हैं।

माँ भुवनेश्वरी लौकिक महासागर और अन्य महाविद्याओं से प्रकट हुईं, जो राक्षस अंधका के खिलाफ भगवान शिव की लड़ाई में सहायता करने के लिए थीं। कहा जाता है कि देवियों ने भगवान शिव को राक्षस को हराने और ब्रह्मांड में संतुलन बहाल करने के लिए आवश्यक शक्ति या दिव्य ऊर्जा प्रदान की थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सीरिया में इजराइल के बाद अमेरिका का सीक्रेट ऑपरेशन, इस संगठन के नेता और उसके बेटों को… – भारत संपर्क| जीरा Vs अजवाइन: दिखते हैं एक जैसे, पर पोषक तत्वों में बड़ा फर्क? कौन है ज्यादा…| Viral Video: ट्रैक्टर को बंदे ने जुगाड़ से बनाया रोड रोलर, सड़क पर कलाकारी देख हैरान…| NEET: वियतनाम में 4 लाख रुपये MBBS की Fees, जोहाे के संस्थापक श्रीधर वेम्बू ने…| जसप्रीत बुमराह ने हद कर दी, जडेजा-अंशुल भी कम नहीं, भारतीय गेंदबाजों ने कई … – भारत संपर्क