16 साल पहले किस मोड़ पर खत्म हुआ था स्मृति ईरानी का ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’?… – भारत संपर्क

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16 साल पहले किस मोड़ पर खत्म हुआ था स्मृति ईरानी का ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’?… – भारत संपर्क
16 साल पहले किस मोड़ पर खत्म हुआ था स्मृति ईरानी का 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी'? ये बात पक्का याद नहीं होगी

क्योंकि सास भी कभी बहू थी

टीवी का सबसे मशहूर और आइकॉनिक सीरियल ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ अपने दूसरे सीजन के साथ छोटे पर्दे पर वापसी कर रहा है. इस शो के जरिए फिर एक बार लोगों के पसंदीदा किरदार मिहिर और तुलसी टीवी पर वापसी कर रहे हैं. फिर एक बार मशहूर एक्ट्रेस और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ‘तुलसी’ के किरदार में नजर आएंगी तो एक्टर अमर उपाध्याय उनके ‘मिहिर’ बनेंगे. मौनी रॉय से लेकर करिश्मा तन्ना तक कई पुराने चेहरे भी इस शो का हिस्सा बनेंगे.

‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ सिर्फ एक शो नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों के लिए एक इमोशन बन गया था. लगभग आठ सालों तक घर-घर में राज करने वाली तुलसी विरानी को लोग आज भी टीवी की आदर्श बहू मानते हैं. 6 नवंबर 2008 का वो दिन था, जब इस ऐतिहासिक शो का आखिरी एपिसोड स्टार प्लस पर ऑन एयर हुआ. क्योंकि सास भी कभी बहू थी की एंडिंग यानी इंडियन टीवी पर एक युग का अंत होने जैसा था. देश के लाखों दर्शकों ने आंसू भरे नैनों से विरानी परिवार को अलविदा कहा था. आइए आज बात करते हैं, इस शो के आखिरी एपिसोड की.

तुलसी से शुरू हुआ था आखिरी एपिसोड

क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ के आखिरी एपिसोड की शुरुआत तुलसी (स्मृति ईरानी) और सुगंधा (कृतिका सेंगर) के साथ हुई थी. इस एपिसोड में मिहिर (रोनित रॉय) और तुलसी-मिहिर के तीन बेटे साहिल, करण, गौतम भी अपनी बीवियों के साथ मौजूद थे. पूरा एपिसोड अंबा विरानी यानी ‘बा’ की वसीयत और उनकी छोड़ी हुई विरासत के सस्पेंस के इर्द-गिर्द घूम रहा था. बा के निधन के बाद उनकी वसीयत को लेकर ये गहरा सस्पेंस बना हुआ था. इसी दौरान तुलसी को एक गुमनाम खत मिला था, जिसमें उन्हें धमकी दी गई थी कि अगर वो पूरी प्रॉपर्टी पार्थ के नाम नहीं करेंगी तो उन्हें (पार्थ को) जान से मार दिया जाएगा. दरअसल, पार्थ करण और नंदिनी का वो बेटा था, जो बचपन में ही कहीं खो गया था.

पार्वती का झटका

प्रॉपर्टी पार्थ के नाम करने के बाद, तुलसी अपने खोए हुए पोते को ढूंढने उस जगह पहुंच जाती है जहां उन्हें खत में बुलाया गया था. लेकिन वहां तुलसी को एक बड़ा झटका लगता है, जब उनकी सबसे अच्छी दोस्त पार्वती अग्रवाल उनके सामने आती हैं और खुलासा करती हैं कि उन्होंने ही पार्थ नाम के बच्चे को पाला है और ये खत भी उन्होंने ही तुलसी को भेजा था. पार्वती बताती हैं कि ये बच्चा कोई और नहीं, बल्कि करण और नंदिनी का वही बेटा है, जिसे मंदिरा ने कहीं छिपा दिया था. पार्वती की ये बात सुनकर तुलसी हैरान रह जाती हैं और ये एपिसोड खत्म हो जाता है. आज से 17 साल पहले भी, समय से आगे की सोच रखने वाली एकता कपूर ने इस शो का अंत कुछ इस तरह से किया था, जिससे भविष्य में इसके दूसरे पार्ट (सीक्वल) की संभावना आसानी से बनी रहे.

आखिर तक नहीं टूटा विरानी परिवार

8 साल के लंबे सफर में विरानी परिवार ने तृप्ति, मंदिरा और यहां तक कि जूही जैसे कई विलेन का सामना किया था. इन सबने इस परिवार को तोड़ने की खूब कोशिश की, लेकिन तुलसी ने कभी हार नहीं मानी. अपनी हिम्मत और परिवार के साथ से उन्होंने हर मुश्किल को पार किया. आखिरी एपिसोड तक, सभी दुश्मनों ने तुलसी के सामने अपने घुटने टेक दिए थे. ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ ने टीवी की दुनिया में एक बेंचमार्क सेट करते हुए बताया कि कैसे एक सीरियल लाखों लोगों के जीवन का एक अटूट हिस्सा बन सकता है.

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