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ठंड के बढ़ते ही बच्चों को लेकर हो जाएं अलर्ट, नहीं तो न्यूमोनिया बढ़ा सकता है परेशानी, दो से पांच साल के बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा

कोरबा। ठंड आ चुकी है और इसमें सबसे अधिक छोटे बच्चे निमोनिया से पीडि़त होने की संभावना अधिक होती है। ऐसे में अलर्ट रहना जरूरी है।यह सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, यदि समय रहते उपचार नही किया जाए तो स्थिति गंभीर हो सकती है। इसलिए प्रत्येक वर्ष 12 नवंबर को निमोनिया से बचाव, लक्षण और उपचार के प्रति जागरूक करने के लिए विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। न्यूमोनिया एक संक्रामक बीमारी है। बच्चों को होने वाले निमोनिया को टीकाकरण से रोका जा सकता है। बच्चों को न्यूमोकोकल कान्जुगेट वैक्सी्न यानी पीसीवी का टीका 6 सप्ताह, 14 सप्ताह एवं 9 वें महीने पर लगाने होते हैं। इस टीके को नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया गया है। साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पतालों में आवश्यक टीकाकरण की सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध है। पीसीवी का टीका बच्चों को निमोनिया से बचाने में काफी असरदार है। इसलिए समय पर बच्चे का टीकाकरण कराएं, और उन्हें निमोनिया से बचाएं। सर्दियों में बच्चों की साफ-सफाई का सबसे ज्यादा ख्याल रखें। बच्चों को हाथ धोने की आदत डालें। सर्दियों में बच्चों के कपड़ों की साफ सफाई का भी ख्याल रखें। 1-2 दिन छोडकऱ बच्चों को नहलाएं और हफ्ते में एक बार सिर जरूर धोएं। सर्दियों में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए बच्चों को खट्टे फल और सब्जियां खाने को दें। बच्चों के आहार में मेवे को भी जरूर शामिल करें। बादाम और अखरोट खाने से इम्यूनिटी मजबूत होती है। ठंड की वजह से बच्चे कम पानी पीते हैं ऐसे में बच्चों में तरल पदार्थ की मात्रा बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। सर्दियों में आप बच्चों को सूप, जूस और गर्म पानी पीने के लिए दें। सुबह सबसे पहले बच्चे को गर्म पानी पीने के लिए दें इससे पेट अच्छा रहता है। बच्चों को सबसे पहले ठंड लगती है, सर्दियों में बच्चे को गर्म कपड़े पहनाकर रखें। खासकर बच्चे के पैर, सिर और पेट को हमेशा अच्छी तरह कवर करके रखें। बच्चों को छाती, सिर और पैर से सबसे जल्दी ठंड़ पकड़ती है। चिकित्सकों ने बताया कि बदलता मौसम व ठंड निमोनिया के संक्रमण की गंभीरता को बढ़ा सकता है। इसलिए शिशुओं की विशेष देखभाल जरूरी है। आमतौर पर निमोनिया का संक्रमण दो से पांच साल के बच्चों को जल्दी अपनी चपेट में लेता है, लेकिन कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता, बुजुर्ग व वयस्क भी इससे ग्रसित हो सकते हैं।
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ऐसे करता है अटैक, जान जाने का भी रहता है खतरा
चिकित्सकों ने बताया कि निमोनिया फेफड़ों का सबसे जटिल संक्रमण है। जो फैलने वाले वायरस या बैक्टीरिया के कारण होता है। निमोनिया तीव्र श्वसन संक्रमण का एक रूप है, जो फेफड़ों को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है। इसका इलाज समय रहते ना करवाया जाए, तो इसमें जान भी जा सकती है। सफाई का ध्यान रखें, खांसते और छींकते समय बच्चे की नाक और मुंह पर रूमाल या कपड़ा रखें। कीटाणुओं को फैलने से रोकें, बच्चों के हाथों बार-बार साफ करते रहें। मौसम में बदलाव के कारण भी निमोनिया की आशंका बढ़ सकती है। यदि बच्चे की सांस तेज चल रही हो, उन्हें सांस लेने में कोई दिक्कत हो रही हो, छाती, पसली अंदर धंस रही हो एवं तेज बुखार जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हों तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से सम्पर्क करना चाहिए।
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यह है निमोनिया के प्रारंभिक लक्षण
कमजोरी महसूस होना, उल्टी आना या महसूस होना, ब्लड प्रेशर कम होना, बेचैनी होना, कई दिन तक सर्दी व जुकाम रहना, फेफडों का संक्रमण, तेज सांस फूलना, सीने में दर्द, तेज बुखार आना, खांसी आना, कभी-कभी खांसी में खून आना जैसे लक्षण शामिल हैं।

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