महायज्ञ एवं महाआरती में विघ्न डालने का कर रहे हैं कार्य,…- भारत संपर्क
महायज्ञ एवं महाआरती में विघ्न डालने का कर रहे हैं कार्य, इसलिए प्रशासन ने नहीं दी है अनुमति, सर्वमंगला घाट पर महायज्ञ और महाआरती संपन्न होने तक नहीं करूंगा अन्न ग्रहण: रणधीर पाण्डेय
कोरबा। हर नदी के सम्मान, हम पूजे माँ गंगा समान ध्येय के साथ नमामि हसदेव के द्वारा हसदेव नदी के प्रदूषण का कम, संरक्षण तथा हसदेव नदी के घाट का सौंदर्यीकरण करने का कार्य किया जा रहा है। उक्त उद्देश्य की पूर्ति के लिए विगत एक वर्ष से अर्थात कार्तिक पूर्णिमा देव दीपावली से माँ सर्वमंगला घाट पर प्रत्येक मास की पूर्णिमा को हसदेव आरती की जाती है। प्रत्येक माह के तृतीय रविवार को प्रातः घाट की साफ-सफाई की जाती है। नमामि हसदेव द्वारा 22 जनवरी को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर 51 कुण्डीय महायज्ञ, हसदेव महाआरती, 51 हजार दीप प्रज्वलित कर दीपोत्सव और भगवान श्रीराम जी के राज्याभिषेक का आयोजन किया गया था। उक्त जानकारी नमामि हसदेव के अध्यक्ष रणधीर पाण्डेय ने प्रेस क्लब तिलक भवन में पत्रकारवार्ता के दौरान कही। श्री पाण्डेय ने कहा कि हसदेव माता की मानव जीवन के विकास यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका है। हसदेव माता से हमें पीने और नहाने का पानी मिलता है। खेती होती है, बिजली पैदा होती है, औद्योगिक काम होते हैं, जलवायु नियंत्रण होता है, पर्यावरण के संरक्षण में मदद मिलती है। हसदेव माता आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का भी स्त्रोत है, इसलिये हसदेव माता के रक्षण, संवर्धन और पोषण के लिये 9 कुण्डीय श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ कार्तिक द्वादशी, त्रयोदशी/चतुर्दशी, पूर्णिमा 13,14,15 नवम्बर एवं हसदेव महाआरती कार्तिक पूर्णिमा 15 नवम्बर सायं 5 बजे माँ सर्वमंगला घाट, कोरबा पर आयोजन रखा गया है। उन्होंने कहा कि निजी स्वार्थ के लिये कुछ लोग महायज्ञ एवं महाआरती में विघ्न डालने का कार्य रहे हैं, जिसके कारण अभी तक प्रशासन ने अनुमति प्रदान नही की है। इसलिये प्रशासन के द्वारा अनुमति प्रदान न किए जाने की स्थिति में नमामि हसदेव द्वारा उक्त आयोजन नहीं करने का निर्णय लिया गया है। नमामि हसदेव के द्वारा पंच तत्व को शुद्ध करने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे मनुष्य को आनन्द की अनुभूति होगी और मोक्ष की प्राप्ति होगी। उन्होंने कहा कि वे माँ सर्वमंगला घाट कोरबा पर श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ और महाआरती संपन्न होने तक अन्न ग्रहण नहीं करेंगे।