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ब्रेकिंग न्यूज़……आत्मानंद स्कूल एनसीडीसी के नवीन भवन और जीर्णोद्धार कार्य के नाम पर करोड़ों का खेला, जिला खनिज न्यास से नगर निगम आयुक्त को 1 करोड़ 83 लाख 83 हजार 500 रुपए किए गए हैं जारी, आरटीआई में हुआ खुलासा
कोरबा। जिले में आत्मानंद स्कूलों के जीर्णोद्धार कार्य, नवीन भवन निर्माण सहित अन्य कार्यों के नाम पर करोड़ों अरबों के वारे न्यारे किए गए हैं। ग्रामीण क्षेत्र के अलावा नगर निगम क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है।जिला खनिज न्यास से निर्माण एजेंसी नगर निगम आयुक्त को 1 करोड़ 83 लाख 83 हजार 500 रुपए जारी किए गए हैं। आरटीआई में इसका खुलासा हुआ है।आत्मानंद स्कूल एनसीडीसी के नवीन भवन और जीर्णोद्धार कार्य के नाम पर करोड़ों जारी किए गए हैं, जो एक बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहे हैं। जिला खनिज संस्थान न्यास अन्तर्गत प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त कार्यों के नाम पर उक्त राशि जारी की गई है। कलेक्टर सह अध्यक्ष प्रबंधकारिणी समिति एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सह सचिव प्रबंधकारिणी समिति द्वारा अनुमोदित एवं हस्ताक्षरित कर धनादेश जारी की गई। आरटीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार स्वामी आत्मानंद हिन्दी माध्यम विद्यालय एनसीडीसी कोरबा में नवीन भवन और जीर्णोद्धार कार्य के लिए 3 अक्टूबर 2022 को 367.67 लाख रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई थी। कार्य की क्रियान्वयन एजेंसी नगर पालिक निगम आयुक्त को बनाया गया था। उक्त कार्य को लेकर 2 दिसम्बर 2022 को स्वीकृत कार्य की 50 फीसदी राशि 1 करोड़ 83 लाख 83 हजार 500 रुपए जारी किए जा चुके हैं। फंड जारी आदेश में जिला खनिज संस्थान न्यास परियोजना समन्वयक ने संबंधित क्रियान्वयन एजेंसी को जारी प्रशासकीय स्वीकृति आदेश के अनुसार तथा समस्त नियमों का पालन करते हुये गुणवत्तापूर्वक कार्य करना सुनिश्चित करने कहा था। डीएमएफ से जारी करोड़ों रुपए फंड में भ्रष्टाचार की बू आ रही है। भौतिक सत्यापन कराया जाए तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि संबंधित स्वामी आत्मानंद स्कूल में कितने नवीन भवन और जीर्णोद्धार के कार्य किए गए हैं। मामले की जांच में डीएमएफ से एक और घोटाला उजागर हो सकता है। वैसे भी जिले में स्वामी आत्मानंद स्कूलों के विभिन्न कार्यों के लिए करोड़ों अर्बन रुपए का फंड डीएमएफ से जारी किया जा चुका है। स्कूलों में ऐसे ऐसे कार्य कराए गए हैं जिनका वास्तविकता से दूर दूर तक लेना देना नहीं है। जिले में आंख मूंदकर स्कूलों के विभिन्न कार्यों के नाम पर डीएफ की राशि खर्च की गई है। डीएमएफ से किए गए उक्त कार्यों की जांच की जरूरत महसूस की जा रही है, जांच में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। खास बात तो यह है कि इन कार्यों के दौरान जिले में पदस्थ अफसरों का तबादला भी हो चुका है।