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ब्रेकिंग न्यूज़…..बड़ा खुलासा: पूर्व कलेक्टर ने बिना टेंडर के दे दिया 24 करोड़ से अधिक की प्रशासकीय स्वीकृति, समग्र शिक्षा को बनाया क्रियान्वयन एजेंसी, 42 स्कूलों के लिए जारी किया फंड, कौन सा सामग्री, पता नहीं

कोरबा। जिले में पदस्थ रहे पूर्व कलेक्टर द्वारा किए गए भ्रष्टाचार की पोल अब खुलने लगी है। एक दिन पूर्व हमने स्वामी आत्मानंद स्कूल रंजना में 44 करोड़ 80 लाख के आलीशान टॉयलेट निर्माण का खुलासा किया था। अब पूर्व कलेक्टर द्वारा 42 स्कूलों के लिए बिना टेंडर 24 करोड़ से अधिक के राशि की प्रशासकीय स्वीकृति देने का मामला उजागर हुआ है, करोड़ों का फंड जारी किया गया। लेकिन स्कूलों में क्या सामग्री दी गई है यह स्कूल के प्राचार्यों तक को भी पता नहीं है। पूर्व कलेक्टर ने एसईसीएल गेवरा क्षेत्र के सीएसआर मद की स्वीकृति के प्रत्याशा जैसे शब्दों का उल्लेख करते हुए अपने आदेश में डीएमएफ से करोड़ों का खर्च किया है जो की समझ से परे है। खास बात तो यह भी है कि क्या सामग्री खरीदी की गई है, क्योंकि इसका जिक्र तक नहीं है। इस तरह सीएसआर के फंड में जमकर भ्रष्टाचार किया गया है। सूचना के अधिकार से यह बड़ा खुलासा हुआ है। खास बात है कि इन भ्रष्टाचार से जुडे मामलों की फाइल समग्र शिक्षा कार्यालय से चोरी हो चुकी है। जिसकी एफआईआर दर्ज कराना भी अफसर मुनासिब नहीं समझ रहे हैं। कोरबा जिला अंतर्गत 42 नवीन स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट हिंदी माध्यम विद्यालयों में आवश्यक अन्य सुविधाएं विकसित करने के कार्य के लिए एसईसीएल गेवरा क्षेत्र के सीएसआर मद अंतर्गत आदेश क्रमांक 145/स्टेनो/सीएसआर/2023 दिनांक 14/02/2023 को 24 करोड़ 79 लाख 34 हजार 416 रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है। इसके लिए जिला मिशन समन्वयक, समग्र शिक्षा (राजीव गांधी शिक्षा मिशन) कोरबा को क्रियान्वयन एजेंसी नियुक्त किया गया था। खास बात यह है कि बिना टेंडर के ही 42 स्कूलों के लिए 24 करोड़ से अधिक की राशि जारी की गई है। पूर्व कलेक्टर ने बकायदा इसके लिए आदेश जारी किया है। हैरानी की बात तो यह है कि जिन स्कूलों के लिए करोड़ों के फंड की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई,उन स्कूलों में क्या काम हुआ क्या सामग्री भेजी गई है यह स्कूल के प्राचार्यों तक को पता नहीं है। नाम न छापने की शर्त पर स्वामी आत्मानंद स्कूल के अधिकांश प्राचार्यों ने बताया कि खरीदे गए इस आदेश से संबंधित सामाग्रियों की उन्हें कोई जानकारी नहीं है। आदेश से संबंधित सामाग्री उनके स्कूलों में पहुंची तक नहीं है। इस तरह एक बार फिर पूर्व कलेक्टर और पूर्व डीएमसी संजय सिंह की जुगलबंदी से भ्रष्टाचार का नया कारनामा सामने आया है। एक के बाद एक भ्रष्टाचार के मामले खुल रहे हैं। लेकिन हैरानी तो इस बात की है कि अधिकारी पर कार्यवाही के बजाए उन्हें अभयदान दे दिया गया है। इसे भाजपा सरकार की मजबूरी कहें या मेहरबानी,जबकि पूर्व में भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी नेता और पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने पूर्व कलेक्टर संजीव कुमार झा सहित तीन अन्य के ऊपर करोड़ों-अरबो रूपये के गबन का गंभीर आरोप लगाया है,लेकिन अभी तक इस मामले में प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री की ओर से जांच के कोई आदेश तक नहीं दिए गए हैं। आपको बता दें कि ननकीराम कंवर द्वारा किए गए शिकायत में पूर्व कलेक्टर रानू साहू का भी नाम है लेकिन वह अभी जेल में हैं। कोरबा में हुए भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले ननकी ने कांग्रेस शासनकाल में अपनी विपक्ष की भूमिका को बखूबी निभाते हुए पूर्व कलेक्टर व अन्य अधिकारियों के खिलाफ नामजद शिकायत की थी। लेकिन इस पर कार्यवाही नहीं की गई है। राज्य में सत्ता पलटने के बाद भाजपा सत्ता में तो आई। लेकिन राज्य में भाजपा सरकार ने भी करोड़ों के हुए भ्रष्टचार पर कार्रवाई करना तो दूर जांच के आदेश तक नहीं दिए हैं।

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