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ब्रेकिंग न्यूज़……भाजपा की सरकार में भ्रष्टाचार छिपाने की मंशा, सत्ता बदली पर भ्रष्टाचारियों पर नहीं कसा शिकंजा, डीएमएफ और सीएसआर के कार्यों के 100 करोड़ से अधिक के फाइल की चोरी! आखिर कब दर्ज होगी एफआईआर
कोरबा। शासन प्रशासन द्वारा विकास कार्यों के नाम फंड की कोई कमी नहीं की जा रही है। दूसरी तरफ इस फंड में बंदरबांट का ऐसा खेल खेला गया है कि कोरबा जिला में डीएमएफ और सीएसआर को भ्रष्टाचार का केन्द्र बिंदु बना दिया गया है। व्यापक पैमाने पर विकास कार्यों की राशि को अधिकारियों ने मिलीभगत कर बंदरबांट कर लिया है। कुछ इसी तरह का मामले में जिला परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा (डीएमसी) कोरबा में 100 करोड़ के कार्यों से अधिक के फाईल की चोरी हुई है। विभाग में स्वामी आत्मानंद स्कूल से संबंधित कोई भी फाइल कार्यालय में नहीं है। क्योंकि यह मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है। हैरानी तो इस बात है कि फाइल चोरी होने के इस गंभीर मामले में अब तक एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई। लग रहा था कि कांग्रेस शासन काल में हुए इस फ़ाइल चोरी कांड की फाइल भाजपा की सरकार में खुलेगी, मगर केवल सत्ता बस बदली है और कुछ भी नहीं बदला है। एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ना खाऊंगा ना खाने दूंगा के सिद्धान्त पर काम कर रहे हैं और प्रदेश की डबल इंजन की सरकार में खाने वाले 100 करोड़ डकार कर बैठे हुए हैं। जिले में 42 आत्मानंद स्कूलों के नाम पर यह फर्जीवाड़ा पूर्व डीएमसी संजय सिंह के कार्यकाल में किया गया है। जिले में पदस्थ रहे पूर्व कलेक्टर की भूमिका से भ्रष्टाचार में इंकार नहीं किया जा सकता। इस मामले को लेकर लगातार खबर प्रकाशित किया जाता रहा है। गौरतलब है कि 100 करोड़ से अधिक के फाईल के कार्यालय में मौजूद नहीं होने की बात मौजूदा डीएमसी मनोज पाण्डेय ने स्वीकार कर चुके हैं। हैरत की बात तो यह है कि इसके बाद भी संबंधित डीएमसी द्वारा मामला कलेक्टर के संज्ञान में लाकर एफआईआर दर्ज कराने की कार्यवाही नहीं की जा रही है। सूत्र बताते हैं कि पूर्व कलेक्टर अपने भ्रष्टाचार के कारनामों की फाईल लेकर चले गए हैं। जब किसी विभाग में इतने व्यापक राशि से संबंधित फाइल चोरी हो गई है और अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हो तो कहा ही क्या जा सकता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी मौजूद है।
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डिप्टी सीएम अरुण साव के संज्ञान में आ चुका है मामला
गत माह कोरबा प्रवास के दौरान प्रदेश के डिप्टी सीएम अरूण साव के संज्ञान में भी भ्रष्टाचार का यह मामला लाया गया था। मीडिया से चर्चा के दौरान 100 करोड़ से अधिक के फाईल गायब करके भ्रष्टाचार किया गया है। वही डीएमसी से फाईल चोरी होने के सवाल पर श्री साव ने कहा कि आपने मेरे संज्ञान में यह मामला लाया है। इस संबंध में अधिकारियों से चर्चा कर पूर्ण जानकारी ली जाएगी। जिस तरह से भाजपा के सत्ता में लौटते ही कई मामलों में जांच के आदेश दिए गए हैं। माना जा रहा है कि कोरबा के इस बड़े भ्रष्टाचार के मामले में भी जल्द ही जांच के आदेश दिए जा सकते हैं। मगर हैरानी तो इस बात की है कि अब फाइल चोरी के मामले विभाग की ओर से एफआईआर तक दर्ज नहीं कराया गया है। जांच हुई तो निश्चित ही यह कोरबा जिले के भ्रष्टाचार के इतिहास में सबसे बड़े भ्रष्टाचारों में से एक हो सकता है। मगर शायद विभाग के अधिकारी ही ऐसा नहीं चाह रहे हैं। प्रदेश में हुए भ्रष्टाचार का खमियाजा कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में सत्ता गवां कर चुकानी पड़ी है, कहीं लोकसभा चुनाव में भ्रष्ट अधिकारियों के कारण कुछ इसी तरह का नुकसान भाजपा को ना उठाना पड़ जाए।