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ठेका कर्मियों को नहीं मिला बोनस, किया प्रदर्शन, दीपावली से पहले बोनस भुगतान की बनी सहमति

कोरबा। दीपावली से पहले बोनस नहीं मिलने से ठेका कर्मियों में आक्रोश भड़क उठा है। एसईसीएल की कोयला खदानों में कई निजी कंपनियों ने ठेका कर्मियों का बोनस रोक दिया है। इससे नाराज ठेका कर्मियों ने निजी कंपनी प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। कार्यस्थल पर ही नारेबाजी कर आंदोलन किया। दिवाली से पहले बोनस भुगतान की सहमति जताने पर आंदोलन समाप्त हुआ। एसईसीएल कुसमुंडा महाप्रबंधक (खनन) कार्यालय की ओर से 11 अक्टूबर को 41 छोटी-बड़ी निजी कंपनियों को अधीनस्थ ठेका कर्मियों को बोनस का भुगतान करने पत्र लिखा था। जेबीसीसीआई कमेटी की मानकीकरण समिति की बैठक के निर्णय की भी जानकारी दी थी, जिसमें निजी कंपनियों को अपने ठेका कर्मियों को वेतन का 8.33 फीसदी बोनस का भुगतान करना था। इस आदेश का पालन नहीं होने पर गुरुवार को कुसमुंडा खदान के निजी कंपनी के ठेका कर्मियों ने कामबंद हड़ताल शुरू कर दिया। कार्यस्थल पर ही धरना दिया। बीते साल के लंबित व वर्तमान बोनस दिवाली से पहले भुगतान की मांग पर नारेबाजी की। ये सभी ठेका कर्मचारी सीएचपी कुसमुंडा पीबी-2 में कन्वेयर बेल्ट के संचालन में कार्यरत हैं। इसी तरह दीपका एरिया के जीएम दफ्तर परिसर में दिवाली से पहले बोनस की मांग पर ठेका कर्मियों ने धरना दिया। छत्तीसगढ़ क्रांति सेना गैर राजनीतिक संगठन के प्रदेश संगठन मंत्री उमागोपाल के नेतृत्व में हुए आंदोलन में शामिल ठेका कर्मियों ने कहा कि दीपका खदान में कोयला परिवहन का जिम्मा संभाल रहे ठेका कंपनी के कामगार हैं। दिवाली से पहले बोनस भुगतान की मांग है। एसईसीएल दीपका एरिया कार्मिक प्रबंधक ने आश्वस्त किया है कि 17 अक्टूबर तक ठेका कंपनी को निर्देशित कर बोनस के भुगतान का लाभ दिलाया जाएगा। इसके बाद आंदोलन समाप्त हुआ। मांग पूरी नहीं होने पर 21 अक्टूबर को जीएम ऑफिस का घेराव व खदानबंदी आंदोलन करेंगे।
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आउटसोर्सिंग कंपनियों के कार्य का बढ़ा दायरा
एसईसीएल की ओपनकॉस्ट खदानों में आउटसोर्स कंपनियों को कोयला, मिट्टी खनन व हैवी मशीनों के मेंटेनेंस का कार्य ठेके पर दिया है। निजी कंपनियों का भी खदान में अब कोल फेस व ओबी पैच है, जहां नियोजित ठेका कर्मियों से काम कराया जाता है। आउटसोर्सिंग कंपनियों के कार्य का दायरा बढ़ाने के बाद खदानों में ठेका कर्मियों की संख्या बढ़ी है, लेकिन ठेका कंपनियों की सूची व कर्मियों की जानकारी सार्वजनिक नहीं करने से वास्तविक संख्या सामने नहीं आ पाती है।

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