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देवउठनी एकादशी 12 नवंबर को, शुरू होंगे मांगलिक कार्य, चातुर्मास का होगा समापन, गूंजेगी शहनाई

 

कोरबा। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इसे प्रबोधिनी एकादशी व देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार देवउठनी एकादशी 12 नवंबर को पड़ेगी।देवउठनी एकादशी के दिन चातुर्मास का भी समापन हो जाता है। इसीलिए भी इस एकादशी को विशेष माना गया है। इसके बाद शादी विवाह जैसे मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाएंगे। चतुर्मास में भगवान विष्णु आराम करते हैं। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवता शयन को जाते हैं और कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन योग निद्रा से जगते हैं। इसी के साथ चातुर्मास भी समाप्त हो जाता है। इसीलिए इसे देवोत्थान एकादशी कहा जाता है। हरि के जागने के बाद चार महीनों से स्थगित शुभ और मांगलिक कार्य पुन: शुरू हो जाते हैं। देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह का भी आयोजन किया जाता है। इस दिन तुलसी की शालिग्राम से शादी की जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु के नौवें अवतार भगवान कृष्ण ने एकादशी को देवी वृंदा तुलसी से विवाह किया था। इसलिए देव उठनी एकादशी को तुलसी विवाह किया जाता हैं। ज्योतिषाचार्यों ने बताया कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 11 नवंबर को संध्याकाल 6 बजकर 47 मिनट पर आरंभ होगी। 12 नवंबर को संध्याकाल 4 बजकर 3 मिनट पर खत्म होगी। इसलिए उदयातिथि को आधार मानते हुए 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी।
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मिलता है विशेष लाभ
ज्योतिषाचार्यों ने बताया एकादशी पर कई शुभ योग बन रहे हैं। जिसमें शाम को 7 बजकर 11 मिनट तक हर्षण योग बन रहा है। साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण सुबह 7 बजकर 51 मिनट से हो रहा है, जो 13 नवंबर को सुबह 5 बजकर 41 मिनट पर खत्म हो रहा है। साथ ही रवि योग का संयोग बन रहा है। यह योग सुबह 6 बजकर 42 मिनट से लेकर सुबह 7 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष में इन योगों को बेहद शुभ माना गया है। इन योग के दौरान भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा करने से विशेष फ ल प्राप्त होता है।
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देवउठनी एकादशी को लेकर बाजार में रौनक
देवउठनी एकादशी को लेकर बाजारों में खास रौनक देखने को मिल रही है। तुलसी-शालिग्राम विवाह के लिए प्रमुख चौक-चौराहों पर गन्ने की दुकानें सज गई हैं। मुंगेली, अंबिकापुर और रीवा से आए ताजा गन्ने लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। श्रद्धालुओं ने गन्ने के मंडप, रंगोली और पूजन सामग्री की खरीदारी शुरू कर दी है, जिससे बाजारों में चहल-पहल बढ़ गई है।तुलसी पूजा के लिए गन्ना मंडप सजाने और विधिपूर्वक विवाह संपन्न कराने के लिए श्रद्धालु सुबह से ही गन्ना और पूजन सामग्री खरीदने में जुटे हुए हैं। ठंडी और बादलों से ढके मौसम ने भी ग्राहकों के लिए इस खरीदारी को और भी सुगम बना दिया है। गन्ना विक्रेता के अनुसार, गन्ने के साइज और गुणवत्ता के अनुसार कीमत तय की जाती है। इस साल 20 के बजाए 10 नग से बनी एक मोरी गन्ने की कीमत 150 से 200 रुपये है। इसके साथ ही एक नग गन्ने का भाव 15 रुपये से लेकर 30 रुपये है, जिससे ग्राहक इसे अपनी आवश्यकता अनुसार खरीद सकते हैं।
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घरों में सजेंगे परंपरागत मंडप
देवउठनी एकादशी पर तुलसी-शालिग्राम का विवाह हर घर और मंदिर में परंपरागत रूप से सजाए गए गन्ने के मंडप में होगा। पूजा की तैयारियों के तहत विशेष प्रकार की रंगोली और दीपों से सजावट होगी, जिससे हर ओर रोशनी की जगमगाहट फैलेगी। शाम को बाजार में अधिक भीड़ होने की संभावना है। लोग पूरे परिवार के साथ गन्ने, पूजन सामग्री, साड़ी, सुहाग सामग्री और अन्य आवश्यक सामग्री खरीदने पहुंचने लगे हैं। शनिवार की शाम बाजार में भीड़ रही।

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