DU Vice-Chancellor Internship Scheme: डीयू वाइस चांसलर इंटर्नशिप के लिए 2280…

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DU Vice-Chancellor Internship Scheme: डीयू वाइस चांसलर इंटर्नशिप के लिए 2280…
DU Vice-Chancellor Internship Scheme: डीयू वाइस चांसलर इंटर्नशिप के लिए 2280 छात्र हुए शॉर्टलिस्टेड, जानें अब आगे क्या होगा

दिल्ली विश्वविद्यालय वाइस चांसलर इंटर्नशिप स्कीम

दिल्ली यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर इंटर्नशिप स्कीम (VCIS) पार्ट टाइम 2025-26 के लिए चयन प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है. डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर प्रो. रंजन कुमार त्रिपाठी ने बताया कि इस बार 3500 से ज्यादा छात्रों ने आवेदन किया, जिनमें से 2280 छात्रों को शॉर्टलिस्ट किया गया. शॉर्टलिस्टेड छात्रों का ग्रुप डिस्कशन 13 से 15 अक्टूबर 2025 तक आयोजित किया गया था, जो अब समाप्त हो चुका है.

अब विश्वविद्यालय अगले कुछ दिनों में चयनित छात्रों की लिस्ट जारी करेगा. चयनित उम्मीदवारों को दिल्ली विश्वविद्यालय के 55 से ज्यादा विभिन्न कार्यालयों में नियुक्त किया जाएगा.

वीसीआईएस की शुरुआत

दिल्ली यूनिवर्सिटी ने शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से वाइस चांसलर इंटर्नशिप स्कीम (VCIS) की शुरुआत की थी.

वीसीआईएस का उद्देश्य

इसका मुख्य उद्देश्य ग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट छात्रों को विश्वविद्यालय में इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करना है. यह छात्रों को विश्वविद्यालय प्रणाली के विभिन्न विभागों और सरकारी कार्यप्रणाली को समझने में मदद करता है. डीएसडब्ल्यू कार्यालय के माध्यम से यह स्कीम दो प्रकार की इंटर्नशिप प्रदान करती है, शैक्षणिक सत्र के दौरान छह महीने की पार्ट टाइम इंटर्नशिप और गर्मी की छुट्टियों के दौरान दो महीने की फुल टाइम ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप.

इंटर्नशिप की खासियत और स्टाइपेंड

पार्ट टाइम इंटर्नशिप में छात्रों को हर हफ्ते 8-10 घंटे काम करना होता है और उन्हें 5775 रुपये हर महीने का स्टाइपेंड मिलता है, वहीं ग्रीष्मकालीन फुल टाइम इंटर्नशिप में हर हफ्ते 20 घंटे काम करना होता है और स्टाइपेंड 11,000 रुपये हर महिने निर्धारित है. इस इंटर्नशिप से छात्र न केवल प्रशासनिक कामकाज सीखते हैं बल्कि अपने करियर के लिए मूल्यवान अनुभव भी प्राप्त करते हैं.

सेमेस्टर परीक्षा की अस्थायी तारीखों को लेकर शिक्षकों में नाराजगी

दिल्ली विश्वविद्यालय की तरफ से घोषित सेमेस्टर परीक्षा की अस्थायी तारीखों को लेकर शिक्षकों में नाराजगी बढ़ रही है. उनका कहना है कि परीक्षा और नियमित कक्षाओं के बीच अधिक ओवरलैप होने से पढ़ाई-लिखाई की व्यवस्था प्रभावित होगी.

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