टीम मानवता के सदप्रयास से अपने परिवार से बिछड़ चुके सिम्स में…- भारत संपर्क

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टीम मानवता के सदप्रयास से अपने परिवार से बिछड़ चुके सिम्स में…- भारत संपर्क

बिलासपुर की मानव सेवी संस्था टीम मानवता के प्रयास से घायल बुजुर्ग को वापस अपना परिवार मिल पाया । रेल हादसे में अपना हाथ गंवाने वाले अज्ञात मरीज को 25 मई 2024 को मूर्छित अवस्था में सिम्स में भर्ती किया गया था। उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए सिम्स के चिकित्सकों ने उसका इलाज किया और उसकी जान बचाई।
मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए चिकित्सालय के सर्जरी विभाग व अस्थि विभाग के चिकित्सकों ने मरीज का इलाज शुरू किया।

सर्जरी विभाग के चिकित्सक डॉ.नीरज शिन्दे, डॉ.राजेन्द्र सिंह, डॉ.शोभा एक्का, डॉ.दिव्यश्री सिंह व अस्थि विभाग से डॉ.आर.के.दास, डॉ.संजय गिल्ले, डॉ अवनाश अग्रवाल, डॉ.शुभम पाण्डेय की टीम ने तत्काल इलाज प्रारम्भ किया। मरीज की देखभाल में नर्सिग स्टॉफ कंचना, इन्दु स्वाती, अनुपा, मोहन, संतोषी का भी विशेष योगदान रहा। मरीज के स्वास्थ्य में सुधार आने के पश्चात उसने अपना नाम रहीम खान उम्र 60 वर्ष, पता महाराष्ट्र का बताया। परिवार के किसी भी सदस्य का मोबाइल नम्बर रहीम खान को याद नही था। रहीम खान ने चिकित्सकों से अपने घर जाने की इच्छा व्यक्त की परन्तु पूर्ण रूप से स्वस्थ ना होने एवं परिवारजनों से संम्पर्क ना होने के कारण अस्पताल प्रबंधन द्वारा उनकी छुटटी का आग्रह स्वीकार नही किया गया।

सिम्स अधीक्षक डॉ.एस.के.नायक ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए चिकित्सालय में कार्यरत सोशल वर्कर को मरीज के परिजनों की जानकारी एकत्रित कर उनसे सम्पर्क करने की जिम्मेदारी दी। सोशल वर्कर आशुतोष शर्मा ने तत्काल बिलासपुर की टीम मानवता के अध्यक्ष प्रिन्स वर्मा व दोस्तों के साथ मिलकर सोशल मीडिया का सहारा लिया। पूरे देश भर में फैले अपने नेटवर्क की वजह से टीम मानवता ने इस कठिन काम को चुटकियों में कर दिया और मरीज रहीम खान के परिवार से 02 घण्टे के अन्दर ही सम्पर्क करने में सफलता पाई। 10 जुलाई को मरीज रहीम खान का बेटा मोसीन खान सिम्स अस्पताल पहुँचा व अपने पिता को स्वस्थ पाकर खुश हुआ। पिता से मिल कर पुत्र ने सिम्स चिकित्सालय के द्वारा किये गये कार्य की सराहना की और आवश्यक कार्यवाही पूर्ण कर अपने पिता को अस्पताल से खुशी-खुशी नादेड़, महाराष्ट्र अपने घर ले गया। घायल रहीम खान को टीम मानवता की वजह से वापस अपना परिवार मिल पाया।

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