Film On Dementia: याददाश्त ने छोड़ा साथ पर साथी ने थामा हाथ… सैयारा ही नहीं ये… – भारत संपर्क


डिमेंशिया पर बनी फिल्म
Bollywood film: बॉलीवुड की फिल्मों की बात करें, तो कई कहानियों में हमें प्यार, रोमांस, जुदाई… इस तरह के कई सारे इमोशन्स देखने को मिलते हैं. हालांकि, कुछ कहानियां ऐसी भी होती हैं, जो कि लोगों के बीच प्यार को एक नए तरह से लोगों के सामने पेश करती हैं, जो कि समाज का एक आईना भी हो सकता है. अक्सर लोगों के बीच रह कर हमें अलग-अलग कहानियां सुनने को मिलती हैं, जिनमें कई रिश्तों पर बीमारियों का बुरा असर होता है, लेकिन वहीं कुछ फिल्में ऐसी कहानी को भी दिखाती है कि कुछ लोग कभी भी रिश्तों में साथ नहीं छोड़ते.
हाल ही में एक फिल्म रिलीज हुई ‘सैयारा’, लोगों के बीच इस फिल्म को लेकर इतना हल्ला हुआ कि जिन लोगों को इस फिल्म के बारे में कोई भी जानकारी नहीं थी, वो भी फिल्म को देखने के लिए गए. सोशल मीडिया से लेकर फिल्म की कमाई तक, हर जगह फिल्म की चर्चा बढ़ने लगी. कई लोगों को फिल्म देखने के दौरान इमोशनल होते, तो कुछ को बेहोश तक होते देखा गया. हालांकि, फिल्म की कहानी वैसे तो एक लव स्टोरी थी, लेकिन बाकी फिल्मों से इसे अलग इसमें आई एक मोड़ की वजह से था.
‘सैयारा’ की कहानी
मोहित सूरी की डायरेक्शन में बनी सैयारा कृष कपूर और वाणी बत्रा के प्यार की कहानी है, जो कि शुरुआत में तो एक फेयरीटेल जैसा लगता है, लेकिन बाद में पता चलता है कि एक्ट्रेस को अल्जाइमर है. ये एक ऐसी बीमारी है, जिससे इंसान अपनी याददाश्त धीरे-धीरे खोने लगता है. फिल्म में ये दिखाया गया है कि कैसे एक्टर ने बीमारी के पता होने के बावजूद एक्ट्रेस का आखिर तक साथ नहीं छोड़ता है और अपने प्यार को जिंदा रखने की हर एक कोशिश करता है.
बीमारी पर कहानी
लोगों को ये फिल्म काफी पसंद आई, हालांकि हिंदी सिनेमा में इस बीमारी को रिश्ते के बीच दिखाने और खुद बीमारी से लोगों को रुबरु करवाने के लिए कई सारी फिल्में बनी है. खास बात ये है कि लोगों ने उन फिल्मों को पसंद भी किया है. डिमेंशिया या अल्जाइमर की कहानी दिखाने वाली इन फिल्मों ने सिनेमाघरों में भी तारीफें बटोरी हैं. आइए नजर डालते हैं ‘सैयारा’ जैसी ही कुछ उन फिल्मों पर जिन्होंने भूलने की बीमारी को बड़े पर्दे पर बेहद संजीदगी से पेश किया और जिसमें केवल के एक कपल के बीच के प्यार नहीं बल्कि और भी रिश्तों को तवज्जो देता है.
ब्लैक (2005)
अमिताभ बच्चन और रानी मुखर्जी की फिल्म ‘ब्लैक’ (Black) साल 2005 में रिलीज हुई थी. संजय लीला भंसाली की डायरेक्शन में बनी इस फिल्म को लोगों ने काफी पसंद किया था. फिल्म की कहानी लड़की मिशेल और उसके टीचर देबराज की है, जिसके आखिर में देबराज (अमिताभ बच्चन) को पता चलता कि उसे अल्जाइमर है. कहानी में बाद में मिशेल (रानी मुखर्जी) अपने टीचर की देखभाल करती है. संजय लीला भंसाली ने अपने फिल्म के जरिए एक स्टूडेंट और टीचर के रिश्ते को नया मुकाम दिया है और साथ ही बीमारी के दर्द को भी गहराई से दिखाया है.
थ्री ऑफ अस (2022)
शैफाली शाह, जयदीप अहलावत, स्वानंद किरकिरे स्टारर फिल्म ‘थ्री ऑफ अस’ (Three of us), बहुत ही खूबसूरती से प्यार के मायने को लोगों के सामने पेश करती है. फिल्म की कहानी शुरू होती है शैलजा (शेफाली शाह) के साथ, जो एक साधारण महिला है जिसे अपनी जिंदगी के बीच मोड़ पर डिमेंशिया की शुरुआत का सामना करना पड़ता है. धीरे-धीरे उसे एहसास होता है कि उसकी यादें, उसकी पहचान, उसका अतीत सब उसके हाथ से छूटता जा रहा है. इसलिए वो अपना बचपन दोबारा से जीना चाहती है जिसमें उसका पति (स्वानंद किरकिरे) उसका साथ देता है.
यू मी और हम (2008)
साल 2008 में आई फिल्म ‘यू मी और हम’ (U Me Aur Hum) में काजोल और अजय देवगन ने लीड रोल निभाया था. फिल्म की कहानी की बात करें, तो अजय (अजय देवगन) और पिया (काजोल) एक अच्छी जिंदगी गुजार रहे होते हैं, लेकिन बीच में पता चलता है कि पिया को अल्जाइमर है और वो धीरे-धीरे अपनी यादें खोने लगती है. एक समय ऐसा आता है जब वो अपने पति और बेटे को भी नहीं पहचानती. ऐसे में अजय हर तरह से उसका ख्याल रखता है और उसके साथ रहता है. ये फिल्म दिखाती है कि प्यार मुश्किलों वक्त में भी साथ खड़े रहने का नाम है.
गोल्डफिश (2022)
कपल के प्यार के अलावा एक फिल्म ऐसी भी है, जो कि डिमेंशिया की बीमारी में मां-बेटी के भी रिश्ते को बखूबी दिखाता है. हम बात कर रहे हैं, फिल्म ‘गोल्डफिश’ (Goldfish) की. ये फिल्म अनामिका और सुधा की कहानी है, जिसका रोल कल्कि कोचलिन और दीप्ति नवल ने निभाया है. फिल्म की कहानी की शुरुआत में अनामिका को विदेश में दिखाया गया है, जो कि अपनी मां की डिमेंशिया की बीमारी की वजह से वापस आ जाती है. हालांकि, कहानी में मां-बेटी के रिश्ते के अलावा आस पास के लोगों के रिश्ते को भी दिखाता है.