आ गए अच्छे दिन! RBI की इस रिपोर्ट में मिली दो-दो खुशखबरी,…- भारत संपर्क
भारतीय रिजर्व बैंक
दुनिया भर में मंदी की आहट और बढ़ते व्यापारिक तनाव के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था ने एक बार फिर अपनी मजबूती का परिचय दिया है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को जारी अपनी ‘स्टेट ऑफ द इकोनॉमी’ रिपोर्ट में कहा है कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत की आर्थिक तरक्की की रफ्तार कायम रहने की उम्मीद है. सबसे बड़ी राहत की बात यह है कि महंगाई का मोर्चा ठंडा पड़ा है, जिसने सरकार और आरबीआई को ग्रोथ पर फोकस करने का एक बड़ा मौका दे दिया है.
यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं संघर्ष कर रही हैं और वैश्विक व्यापार पर तनाव के बादल फिर से मंडराने लगे हैं. लेकिन भारत की कहानी अलग है. देश की तरक्की का पहिया बाहरी हवाओं के भरोसे नहीं, बल्कि अपनी घरेलू ताकत के दम पर घूम रहा है.
गांवों से शहरों तक मजबूत मांग, पटरी पर लौटा भरोसा
आरबीआई की रिपोर्ट का सबसे अहम बिंदु यह है कि भारत की आर्थिक मजबूती की नींव उसके अपने घरेलू बाजार में है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘हाई-फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स’ (यानी अर्थव्यवस्था की नब्ज बताने वाले आंकड़े) इशारा कर रहे हैं कि शहरी मांग में एक बार फिर जान लौट आई है, जबकि ग्रामीण भारत में मांग पहले से ही मजबूत बनी हुई है.
इसका एक बड़ा श्रेय कृषि क्षेत्र को जाता है, जिसने अपनी वृद्धि की गति को बनाए रखा है. इस साल सामान्य से अधिक बारिश और खरीफ की बंपर बुवाई ने खेती-किसानी को बड़ा सहारा दिया है. यही नहीं, जलाशयों का रिकॉर्ड स्तर पर होना और मिट्टी में पर्याप्त नमी, आने वाले रबी सीजन के लिए भी एक बहुत अच्छा संकेत है.
सिर्फ किसान ही नहीं, कारोबारियों का भरोसा भी आसमान छू रहा है. मैन्युफैक्चरिंग (कारखानों में उत्पादन) और सर्विसेज (सेवा क्षेत्र), दोनों में कारोबारी विश्वास पिछले छह महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. यह दिखाता है कि कंपनियों को भविष्य में बेहतर कारोबार की उम्मीद है. आरबीआई का मानना है कि आने वाले त्योहारी सीजन की मांग और जीएसटी दरों में हुई कटौती, उत्पादन को और बढ़ावा देगी और चीजों को आम लोगों के लिए सस्ता बनाएगी, जिससे मांग का चक्र और तेज होगा.
जून 2017 के बाद सबसे निचले स्तर पर महंगाई
इस रिपोर्ट की सबसे बड़ी खुशखबरी आम आदमी के किचन के बजट से जुड़ी है. आरबीआई ने बताया कि सितंबर के महीने में खुदरा महंगाई दर (CPI) में तेज गिरावट आई है. यह महंगाई का जून 2017 के बाद से अब तक का सबसे निचला स्तर है. आम आदमी को यह बड़ी राहत मुख्य रूप से खाने-पीने की चीजों के दामों में आई कमी (डिप्लेशन) की वजह से मिली है.
हालांकि, ‘कोर’ महंगाई (जिसमें खाने-पीने की चीजें और ईंधन की कीमतें शामिल नहीं होतीं) में थोड़ी बढ़ोतरी देखी गई है. इसका मुख्य कारण सोने की कीमतों में आया उछाल और हाउसिंग यानी घरों की महंगाई बढ़ना है.
क्या अब ब्याज दरें घटेंगी?
महंगाई में आई इस तेज गिरावट का सीधा असर आपकी ईएमआई (EMI) पर पड़ सकता है. आरबीआई की रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि मौजूदा आर्थिक हालात और भविष्य के आकलन को देखते हुए, विकास दर को सहारा देने के लिए ‘पॉलिसी स्पेस’ यानी नीतिगत गुंजाइश बन गई है.
सरल शब्दों में, जब महंगाई काबू में होती है, तो केंद्रीय बैंक का ध्यान आर्थिक ग्रोथ को तेज करने पर चला जाता है. इसके लिए आरबीआई अपनी मौद्रिक नीति समिति (MPC) के जरिए ब्याज दरों में कटौती जैसा बड़ा कदम उठा सकता है. अगर ऐसा होता है, तो होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन सस्ते हो सकते हैं, जिससे लोग ज्यादा खर्च करेंगे और फैक्ट्रियों का पहिया और तेजी से घूमेगा.
दुनिया ने भी माना भारत का लोहा
भारत की इस आर्थिक मजबूती पर सिर्फ आरबीआई ही नहीं, बल्कि दुनिया की तमाम बड़ी संस्थाएं भी मुहर लगा रही हैं. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 2025 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को 20 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 6.6% कर दिया है.
इसी तरह, OECD ने भारत के विकास दर के अनुमान को 40 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 6.7% कर दिया है. विश्व बैंक (World Bank) ने भी भारत का ग्रोथ अनुमान बढ़ाकर 6.5% कर दिया है. खुद आरबीआई की एमपीसी ने भी अक्टूबर में अपने प्रस्ताव में 2025-26 के लिए भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान 30 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 6.8% कर दिया है.
