BJP की पहली लिस्ट से बढ़ी धड़कनें, UP में 51 पर खोले पत्ते, 29 पर सस्पेंस, … – भारत संपर्क

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BJP की पहली लिस्ट से बढ़ी धड़कनें, UP में 51 पर खोले पत्ते, 29 पर सस्पेंस, … – भारत संपर्क

बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के लिए 16 राज्यों की 195 सीटों सीटों पर अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. इसमें यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 51 सीट पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है और अब सभी की निगाहें बची 29 सीटों पर हैं. सूबे की बची हुई 29 सीटों में से पांच सीटें सहयोगी दलों के हिस्से में जानी हैं और 24 सीटों पर बीजेपी को अपने उम्मीदवारों के नाम तय करने हैं. छह मार्च को बीजेपी ने फिर से केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक बुलाई है, जिसमें इन सीटों पर फैसला लिया जाएगा. ऐसे में बीजेपी नेताओं की धड़कनें बढ़ी हुई हैं क्योंकि माना जा रहा है कि इन सीटों पर मौजूदा हारे-जीते उम्मीदवारों के टिकट पर तलवार लटक रही है.
यूपी में बीजेपी ने आरएलडी, अपना दल (एस), सुभासपा और निषाद पार्टी के साथ गठबंधन कर रखा है. बीजेपी अपने चारों सहयोगी दलों के लिए 5 सीट छोड़ रही है, जबकि 74 सीटों पर खुद चुनाव लड़ेगी. सीट शेयरिंग फॉर्मूले के तहत अपना दल (एस) और आरएलडी दो-दो सीटें, तो सुभासपा को एक सीट दे रही है और निषाद पार्टी के कैंडिडेट बीजेपी के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे.
अपना दल (एस) सोनभद्र और मिर्जापुर, तो आरएलडी को बागपत और बिजनौर सीट, जबकि सुभासपा के लिए घोसी. निषाद पार्टी के नेता संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद 2019 में बीजेपी के सिंबल पर सांसद चुने गए थे. बीजेपी ने प्रवीण निषाद को फिर से कैंडिडेट बनाया है.
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बीजेपी सूबे में अपने कोटे की सीटों पर कैंडिडेट के नाम का ऐलान शुरू कर दिया है. बीजेपी ने सूबे की 51 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की पहली सूची शनिवार को जारी कर दी है, जिसमें पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताया गया है. बीजेपी ने अपने कोटे की जिन 24 सीटों पर कैंडिडेट के नाम घोषित नहीं किए हैं, उन पर कोई न कोई पेच फंसा हुआ है.
इसमें बीजेपी के दिग्गज नेता वरुण गांधी से लेकर मेनका गांधी, बृजभूषण शरण सिंह, रीता बहुगुणा जोशी और स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य की सीटें शामिल हैं, जिन पर सस्पेंस बना हुआ है. इसके अलावा विपक्षी दलों की कब्जे वाली रायबरेली, मुरादाबाद, सहारनपुर, मैनपुरी जैसी सीट पर भी अपने पत्ते नहीं खोले हैं.
बीजेपी ने जिन सीटों पर नहीं उतारे कैंडिडेट
यूपी की 29 सीटों पर बीजेपी और उनके सहयोगी दलों द्वारा उम्मीदवारों की घोषणा होना बाकी है. इस फेहरिश्त में बिजनौर, मुरादाबाद, गाजियाबाद, अलीगढ़, मेरठ, हाथरस, फिरोजाबाद, बागपत, बरेली, घोसी, पीलीभीत, सुल्तानपुर और बदायूं सीट शामिल है. इसके अलावा रायबरेली, कौशांबी, प्रयागराज, कैसरगंज, कानपुर, गाजीपुर, मिर्जापुर, मछली शहर, बलिया, बहराइच, भदोही, देवरिया, मैनपुरी, राबर्टसगंज, मिर्जापुर और फूलपुर सीट पर भी प्रत्याशी घोषित नहीं किए गए हैं.
हालांकि, इसमें से 5 सीटें बीजेपी के सहयोगी दलों के खाते में जा सकती हैं, जिसमें मिर्जापुर और सोनभद्र सीट अपना दल को घोषित करनी हैं. सुभासपा को घोसी सीट पर कैंडिडेट उतारना है. बिजनौर और बागपत लोकसभा सीट पर आरएलडी अपना प्रत्याशी उतारेगी.
वरुण गांधी-मेनका-रीता बहुगुणा पर सस्पेंस
मेनका गांधी सुल्तानपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं, तो उनके बेटे वरुण गांधी पीलीभीत से सांसद हैं. वरुण गांधी अपनी ही सरकार के खिलाफ लगातार मुखर हैं और किसानों से जुड़े मुद्दों से लेकर रोजगार के मुद्दे पर सवाल खड़े कर रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी इस बार वरुण गांधी का टिकट काट सकती है और पहली लिस्ट में न होने से कयास भी लगाए जाने लगे हैं. मेनका गांधी पर भी संशय बना हुआ है.
प्रयागराज सीट से सांसद रीता बहुगुणा जोशी के नाम का भी ऐलान अभी तक नहीं हुआ है. 2022 में चुनाव के दौरान रीता अपने बेटे के लिए टिकट चाहती थीं, जिसके लिए उन्होंने 2024 में मैदान छोड़ने का ऐलान किया था. रीता बहुगुणा जोशी के बेटे बीजेपी छोड़कर सपा में शामिल हो गए थे. ऐसे में माना जा रहा है कि रीता बहुगुणा जोशी का टिकट बीजेपी काट सकती है और उनकी जगह पर किसी नए चेहरे को चुनावी मैदान में उतार सकती है.
बृजभूषण सिंह-संघमित्रा के टिकट पर संशय
कैसरगंज लोकसभा सीट से सांसद बृजभूषण शरण सिंह हैं, बीजेपी की पहली लिस्ट में उनका नाम शामिल नहीं है. कैसरगंज सीट से बीजेपी ने कैंडिडेट घोषित नहीं किए हैं. बृजभूषण सिंह पर महिला पहलवानों ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं, जिसका मामला कोर्ट में है. ऐसे में बीजेपी उनका टिकट काट सकती है और उनकी जगह पर किसी नए चेहरे को उतारने की स्ट्रैटेजी है.
सपा के पूर्व महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य की सीट बदायूं से भी अभी प्रत्याशी घोषित नहीं किया गया है. स्वामी प्रसाद सनातन धर्म के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहे हैं और राम चरित्र मानस पर भी सवाल उठा चुके हैं. बदायूं सीट पर सपा ने शिवपाल यादव को प्रत्याशी बनाया है, जिसके चलते बीजेपी मजबूत कैंडिडेट उतारने की रणनीति बनाई है. संघमित्रा को लेकर बीजेपी में सस्पेंस बना हुआ है कि पार्टी उन्हें चुनावी मैदान में उतारेगी की नहीं.
सहारनपुर-मुरादाबाद जैसी मुस्लिम बहुल सीट
बीजेपी ने मुस्लिम बहुल सीटों पर अपने कैंडिडेट के नाम घोषित नहीं किए हैं, जिसमें सहारनपुर, मुरादाबाद, मेरठ, बरेली, बिजनौर, फिरोजाबाद, अलीगढ़ और गाजीपुर सीट है. 2014 में मुस्लिम बहुल सीटों पर बीजेपी के राघव लखनपाल जीत दर्ज करने में कामयाब रहे, लेकिन 2019 में उन्हें बसपा के हाजी फजलुर्रहमान के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा है. बसपा के कब्जे वाली सहारनपुर सीट पर बीजेपी ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है.
मुरादाबाद सीट से सपा के एसटी हसन फिलहाल सांसद हैं, जहां से बीजेपी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. इसी तरह मेरठ सीट पर बीजेपी के राजेंद्र अग्रवाल सांसद हैं, तो बरेली सीट पर संतोष गंगवार सांसद हैं. इन दोनों ही सीटों पर बीजेपी ने अपना प्रत्याशी नहीं घोषित किया है. राजेंद्र अग्रवाल और संतोष गंगवार 70 साल के ऊपर के हो चुके हैं, जिसके चलते माना जा रहा है कि पार्टी उनकी जगह पर किसी नए चेहरे को उतार सकती है.
अलीगढ़, फिरोजाबाद, हाथरस, बलिया सीट पर बीजेपी का कब्जा है, लेकिन पार्टी मौजूदा लोकसभा सांसदों के जीत को लेकर कॉफिडेंस में नहीं दिख रही है. इसी तरह बलिया से मौजूदा सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त और गाजियाबाद से डॉ.वीके सिंह का टिकट कटने के आसार हैं. वीरेंद्र सिंह मस्त और वीके सिंह भी 70 साल उम्र के पार हैं.
बीजेपी इन दोनों ही सीट पर नए चेहरे को उतार सकती है. गाजीपुर लोकसभा सीट पर भी पेच फंसा हुआ है, जहां पर बीएसपी का कब्जा है. बीएसपी से जीते सांसद अफजाल अंसारी इस बार सपा से चुनावी मैदान में उतरे हैं, जिनके सामने चुनाव लड़ने वाले मनोज सिन्हा जम्मू-कश्मीर के गवर्नर हैं. ऐसे में बीजेपी किसी नए और मजबूत चेहरे को उतारना चाहती है, जो अफजाल अंसारी को टक्कर दे सके.
रायबरेली और मैनपुरी सीट पर कौन होगा?
सोनिया गांधी की रायबरेली सीट पर भी बीजेपी ने अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है. सोनिया गांधी राज्यसभा सदस्य बन चुकी हैं, जिसके चलते कांग्रेस रायबरेली में नए चेहरा उतारेगी. ऐसे में माना जा रहा है कि रायबरेली में कांग्रेस प्रत्याशी घोषित होने के बाद उम्मीदवार उतारा जाएगा. रायबरेली के सियासी समीकरण को बेहतर बनाने के लिए सपा विधायक मनोज पांडेय को अपने खेमे में खड़ा कर लिया है.
दिनेश प्रताप सिंह ने पिछली बार कांटे की टक्कर दी थी, लेकिन जीत नहीं सके. इसी तरह से मैनपुरी सीट पर भी बीजेपी ने अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया, जहां से डिंपल यादव सांसद है. मैनपुरी सीट का प्रतिनिधित्व मुलायम सिंह यादव करते रहे हैं और उनके निधन के बाद डिंपल जीती थीं और 2024 में फिर से मैदान में है. बीजेपी उनके सामने किसी शाक्य प्रत्याशी को उतार सकती है.
बीजेपी ने अपने खाते की जिन 24 लोकसभा सीटों पर कैंडिडेट नहीं घोषित किए हैं, उन सीट पर कोई न कोई पेच फंसा है. कहीं मौजूदा बीजेपी के सांसद के टिकट कटने का खतरा है तो कई सीटों पर नए चेहरे उतारने की रणनीति है. इसलिए बीजेपी ने अपनी पहली सूची में उन्हें जगह नहीं दी है. छह मार्च को बीजेपी केंद्रीय चुनाव समिति की दोबारा से बैठक है, जिसमें इन 24 सीटों को लेकर सियासी रणनीति बनेगी. 2024 में बीजेपी ने यूपी की सभी 80 लोकसभा सीटें जीतने का प्लान बनाया है, जिसके लिए किसी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है.

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