Viral: 5 घंटे का काम, मन हो तो 7 घंटे… ऐसे बॉस को पाने के लिए लोग पूछ रहे- कौन से…

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Viral: 5 घंटे का काम, मन हो तो 7 घंटे… ऐसे बॉस को पाने के लिए लोग पूछ रहे- कौन से…
Viral: 5 घंटे का काम, मन हो तो 7 घंटे... ऐसे बॉस को पाने के लिए लोग पूछ रहे- कौन से व्रत रखें?

सबको मिले ऐसे बॉस Image Credit source: Social Media

एक भारतीय कर्मचारी ने रेडिट पर अपना अनुभव साझा किया, जिसने बहुत से लोगों का ध्यान खींचा. उसने बताया कि वह एक विदेशी कंपनी में काम करता है और उसके भारतीय बॉस का रवैया बाकी कंपनियों से बिल्कुल अलग है. कर्मचारी ने लिखा, मेरा बॉस मुझे दोपहर 12 बजे लॉग-इन करने देता है और शाम 5 बजे तक काम करने के लिए कहता है. अगर ज़रूरत हो तो 7 बजे तक रुक सकता हूँ, लेकिन इसके बाद तो उल्टा बॉस खुद कह देता है, अब देर हो रही है, लॉग-ऑफ कर लो. क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि बॉस खुद कहे कि अब घर जाओ?

उसने आगे लिखा कि स्टार्टअप्स में सालों तक काम करने के बाद यह अनुभव उसके लिए किसी राहत से कम नहीं. अब मैं सुबह 11 बजे तक आराम से सो सकता हूँ, 12 बजे सिस्टम खोलता हूँ, शाम 5 बजे तक काम कर लेता हूं और बस. अगर कभी ज़रूरत पड़ भी जाए और 7 बजे तक रुकना पड़े तो बॉस खुद कह देता है कि अब देर हो रही है, निकलो. इस पोस्ट के वायरल होते ही ढेरों यूजर्स ने बॉस की सोच और इस वर्क कल्चर की जमकर तारीफ की. कई लोगों ने लिखा कि काश उनके दफ़्तरों में भी ऐसा माहौल होता जहाँ काम और निजी जीवन के बीच संतुलन को महत्व दिया जाता.

यहां देखिए पोस्ट

Recruiter threatening me because I rejected their offer.
byu/GodNeverCheats inIndianWorkplace

कुछ मैनेजर्स ने भी अपनी राय रखते हुए कहा कि वे अपनी टीम को कभी ऑफिस टाइम से ज़्यादा काम नहीं करने देते और न ही वीकेंड्स पर लॉग-इन करने को कहते हैं. उनका मानना है कि कर्मचारी तभी अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं जब उनके पास आराम और निजी समय हो. एक यूज़र ने लिखा, ऐसा वर्क कल्चर हर कंपनी में होना चाहिए. हमें तो रोज़ स्क्रम कॉल में कुछ न कुछ बोलना ही पड़ता है. अगर कह दूँ कि मेरे पास काम नहीं था तो वो गलत माना जाता है. यही सबसे बुरा लगता है.

दूसरे यूज़र ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि उनका क्लाइंट अमेरिका से था. उन्होंने एक बार रात 1 बजे कॉल शेड्यूल कर दी थी, जबकि उनकी शिफ्ट पहले से ही 4 बजे शाम से 1 बजे रात तक थी. मीटिंग शुरू होते ही क्लाइंट और बाकी सभी लोग मुझसे माफ़ी मांगने लगे कि इतनी देर में कॉल रख दी. फिर उन्होंने खुद ही कहा कि मैं पाँच मिनट में कॉल छोड़ सकता हूँ और बाकी की बातों का सारांश मुझे मेल में भेज देंगे. इन अनुभवों ने यह साफ़ कर दिया कि सही नेतृत्व और संतुलित वर्क कल्चर न सिर्फ कर्मचारियों को राहत देता है बल्कि उनके काम करने की क्षमता और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को मज़बूत बनाता है.

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