केवाईसी के अभाव मे जनधन के 4 लाख बैंक खाते बंद, बंद खातों की…- भारत संपर्क
केवाईसी के अभाव मे जनधन के 4 लाख बैंक खाते बंद, बंद खातों की लिस्टिंग कर फिर से चालू कराने की कवायद
कोरबा। केंद्र में भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार 2014 में बनी थी, और इसके बाद ही वनांचल और दुर्गम क्षेत्रों के लोगों को भी जनधन खातों के जरिए बैंकिंग सेक्टर से जोड़ा गया था। इसे अब 10 वर्ष का समय हो चुका है, लेकिन ग्रामीणों ने इनकी केवाईसी नहीं करवाई है। एक ही परिवार में दो से तीन जनधन खाते खुलवा लिए थे वह भी वर्तमान में बंद हो चुके हैं।
केंद्र में भाजपा की मोदी सरकार बनने के बाद अभियान चलाकर जिन जनधन खातों को खोला गया था उनमें से 50 फीसदी से अधिक खाते इनएक्टिव या बंद हो चुके हैं। इसे लेकर केंद्रीय वित्त मंत्रालय से सख्त आदेश है, कि इन खातों को जल्द से जल्द चालू कराया जाए। हाल ही में आरबीआई रायपुर के जनरल मैनेजर कोरबा प्रवास पर थे। उन्होंने बैंक की ओर से आयोजित शिविर में मौके से ही 50-60 खातों को चालू करवाया था और इन बंद खातों पर गहरी चिंता जताई थी। अब जिले के सभी बैंक इन बंद खातों की लिस्टिंग कर इन्हें फिर से चालू करने के प्रयास में हैं। इन बंद पड़े खातों को फिर से फंक्शनल करना बैंकिंग सेक्टर के लिए एक बड़ी चुनौती है। अकेले कोरबा जिले में लगभग 4 लाख खाते बंद हो चुके हैं। ज्यादातर जनधन खाते ऐसे हैं जिनमें सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं, फिर चाहे वह महतारी वंदन हो या फिर किसान सम्मान निधि इनकी रकम डीबीटी के माध्यम से डिपॉजिट होती है। यदि यह खाते बंद हुए तो हितग्राहियों को बड़ा नुकसान होगा, उन्हें ठीक समय पर राशि नहीं मिलेगी तो हितग्राहियों तक योजना की राशि पहुंचाने में सरकार नाकाम रहेगी। जनधन खातों के बंद होने के पीछे बड़ा कारण है, इनकी केवाईसी नहीं कराया जाना है। बैंकिंग नियमों के अनुसार किसी बैंक खाते का 10 साल में कम से कम एक बार केवाईसी किया जाना चाहिए।