मोबाइल हैक कर फोन-पे से उड़ाए 94 हजार, पीड़ित को इसकी भनक तक…- भारत संपर्क

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मोबाइल हैक कर फोन-पे से उड़ाए 94 हजार, पीड़ित को इसकी भनक तक…- भारत संपर्क

यूनुस मेमन

बिलासपुर। साइबर ठगी का एक और मामला सामने आया है, जहां रतनपुर के महामायापारा निवासी संजय यादव के मोबाइल फोन को हैक कर अज्ञात हैकर्स ने फोन-पे एप के माध्यम से उनके बैंक खाते से 94 हजार रुपए ट्रांसफर कर लिए। यह घटना 14 जून की है, जिसकी जानकारी पीड़ित को तब हुई जब एक के बाद एक ट्रांजेक्शन के मैसेज मोबाइल पर आए।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, संजय यादव का मोबाइल फोन 30 अप्रैल से हैकर्स के कब्जे में था। संजय को इस बात की भनक तक नहीं लगी कि उनका मोबाइल रिमोट एक्सेस या किसी अन्य तकनीक के जरिए किसी साइबर अपराधी के नियंत्रण में है। 14 जून को जब उनके खाते से लगातार पैसे कटने लगे, तब उन्हें इस धोखाधड़ी की जानकारी हुई।

हैकर्स ने फोन में लगे सिम कार्ड और मोबाइल पर इंस्टॉल फोन-पे एप्लिकेशन को ऑपरेट कर छह बार ट्रांजेक्शन किए। पहले 20 हजार, फिर 50 हजार, उसके बाद 10 हजार और अन्य छोटी राशियों में कुल मिलाकर 94 हजार रुपए अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिए। इतनी बड़ी राशि निकलने के बाद संजय ने तुरंत बैंक और पुलिस को इसकी जानकारी दी।

संजय यादव ने मामले की शिकायत रतनपुर थाने में दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने अज्ञात साइबर अपराधियों के खिलाफ आईटी एक्ट और धोखाधड़ी की धाराओं के तहत अपराध दर्ज कर लिया है। पुलिस ने मोबाइल से ट्रांजेक्शन की डिटेल और पैसे ट्रांसफर किए गए खातों की जानकारी जुटानी शुरू कर दी है।

साइबर टीम जुटी जांच में

पुलिस का कहना है कि यह मामला साइबर अपराध से जुड़ा है और इस तरह के मामलों में आमतौर पर अपराधी फर्जी दस्तावेजों से बनाए गए खातों या डिजिटल वॉलेट्स का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उनका पता लगाना चुनौतीपूर्ण होता है। फिलहाल साइबर सेल की टीम मोबाइल और बैंकिंग ट्रांजेक्शन की तकनीकी जांच कर रही है।

लोगों को सतर्क रहने की सलाह

पुलिस और साइबर विशेषज्ञों ने आम जनता से अपील की है कि वे मोबाइल फोन में अंजान एप्लिकेशन डाउनलोड न करें, किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले उसकी विश्वसनीयता की जांच करें और फोन में मजबूत पासवर्ड या बायोमेट्रिक लॉक का इस्तेमाल करें। साथ ही, किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत नजदीकी थाने या साइबर हेल्पलाइन नंबर पर दें।

इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि डिजिटल लेन-देन के इस दौर में सतर्कता ही सबसे बड़ा सुरक्षा उपाय है।


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