पीडीएस के चावल को पतला और सुगंधित बनाने के गोरख धंधे का हुआ…- भारत संपर्क

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पीडीएस के चावल को पतला और सुगंधित बनाने के गोरख धंधे का हुआ…- भारत संपर्क

बीपीएल को मुफ्त और एपीएल को ₹10 किलो में मिलने वाला पीडीएस का चावल अक्सर लोगों को मोटा और खाने योग्य नहीं लगता। इसके बाद वे बाजार से महंगा चावल खरीद कर खाते हैं । अगर आप भी ऐसा करते हैं तो हो सकता है कि आप भी धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं । संभव है कि आपके इसी पीडीएस के चावल को ही कुछ लोग पतला या फिर खंडा बनाकर महंगे कीमत पर बेच रहे हो।

काफी दिनों से मिल रही शिकायत के बाद चांटीडीह स्थित जगदीश ट्रेडिंग कंपनी मैं छापा मारा गया तो इस बात का खुलासा हुआ। रवि नागदेव के फर्म में सरकारी चावल को शॉर्टटैक्स मशीन से साफ करके पतला चावल बनाया जा रहा था, जिसे एसेंस के जरिए सुगंधित बनाकर बाजार में 60 से ₹70 किलो बेचा जाता है। खाद्य विभाग को इसकी शिकायत काफी दिनों से मिल रही थी, जिसके बाद सैंपल जांच के लिए भेजा गया तो यह चावल फोर्टीफाइड राइस कर्नेल पाया गया। इसके बाद कलेक्टर के निर्देश पर खाद्य विभाग के अफसरों ने रवि नागदेव पर एफआईआर दर्ज कराया है।
खाद्य विभाग को शिकायत मिल रही थी कि चांटीडीह अपोलो रोड स्थित जगदीश ट्रेडर्स में सरकारी पीडीएस के चावल को शॉर्टेक्स मशीन के जरिए पतला किया जाता था, जब वहां छापा मारा गया तो गोदाम में सिल्की शोर्टेक्स मशीन मिली । फर्म संचालक ने बताया कि उसके पास 1399.9 क्विंटल चावल और 1198 क्विंटल कनकी उपलब्ध है लेकिन मौके पर स्टॉक सत्यापन में 163.49 क्विंटल अधिक चावल पाया गया।
असल में सरकारी राशन दुकान में मिलने वाले चावल को राशन दुकान संचालक ग्राहकों को ₹10 प्रति किलो देकर उसे अधिक कीमत पर ऐसे ही लोगों को बेच देते हैं । शार्टटैक्स मशीन के जरिए इन्हें पतला बनाते हैं और फिर उसे सुगंधित बनाकर ₹60 किलो बेचते हैं।

पता चला कि यह खेल बड़े स्तर पर चल रहा है, जिसमें अधिकांश उचित मूल्य दुकान संचालक शामिल है। नरेंद्र मोदी 80 करोड लोगों को मुफ्त अनाज देने की बात कहते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि उसी अनाज को बाजार में 40 से 60 रुपए किलो बेचा जा रहा है। चावल को पतला बनाने के प्रयास में टूट गए कनकी को भी ₹40 किलो में बेचा जाता है । इसका आकार बदल जाने और कृतिम सुगंध की वजह से लोग झांसे में आ जाते हैं और मुफ्त मिलने वाले चावल को ₹60 में खरीद कर खाते हैं। यह करोड़ो का कारोबार है और इसमें बड़ी संख्या में लोग लिप्त है ।अभी तो केवल एक पर ही एफआईआर हुई है, अगर मामले की तह में जाने की कोशिश हुई तो फिर कई और सफेद पोश के चेहरे से नकाब हट सकती है।

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