कविता धुर्वे ने पेंचाक सिलाट में रचा इतिहास…मास्टर वर्ग में…- भारत संपर्क

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कविता धुर्वे ने पेंचाक सिलाट में रचा इतिहास…मास्टर वर्ग में…- भारत संपर्क

बस्तर। 13वीं सीनियर एवं मास्टर नेशनल पेंचाक सिलाट चैम्पियनशिप का आयोजन दिनांक 09 से 12 मई 2025 तक के. डी. सिंह स्टेडियम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस प्रतिष्ठित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में छत्तीसगढ़ राज्य की महिला टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए बस्तर जिले की प्रतिभाशाली खिलाड़ी कविता धुर्वे ने मास्टर वर्ग के 70 किलोग्राम भार वर्ग में शानदार प्रदर्शन करते हुए पदक जीतकर नया इतिहास बनाया।
यह पदक छत्तीसगढ़ और बस्तर क्षेत्र की किसी महिला खिलाड़ी द्वारा मास्टर वर्ग में प्राप्त किया गया पहला राष्ट्रीय पदक है, जो न केवल राज्य बल्कि विशेष रूप से बस्तर जिले के लिए गौरव और ऐतिहासिक उपलब्धि है।
विशेष उल्लेखनीय है कि कविता धुर्वे वर्तमान में जगदलपुर में थाना प्रभारी (टी.आई.) के पद पर पदस्थ हैं और अपने कर्तव्यों के साथ-साथ महिलाओं के सशक्तिकरण एवं खेल विकास के लिए निरंतर सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। वे बस्तर की बेटियों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत हैं और यह सिद्ध करती हैं कि अनुशासन, समर्पण और आत्मविश्वास से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा ने इस गौरवपूर्ण उपलब्धि पर बधाई देते हुए कहा कविता धुर्वे का यह योगदान बस्तर पुलिस और क्षेत्र की बेटियों के लिए प्रेरणास्रोत है।
इस उत्कृष्ट उपलब्धि पर इंडियन पेंचाक सिलाट फेडरेशन के सीईओ मोहम्मद इकबाल, अध्यक्ष किशोर यावले, एवं सचिव तारीख जरगर , अंतरराष्ट्रीय रेफरी एवं ईस्ट जोन के अध्यक्ष प्रेम सिंह थापा ने कविता धुर्वे के प्रदर्शन की सराहना की और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं प्रेषित कीं।

छत्तीसगढ़ पेंचक सिलाट संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मनीष बाघ, कार्यकारी सचिव शेख समीर, कोषाध्यक्ष मनीष निषाद सहित सभी पदाधिकारियों ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि को महिला खेल विकास के लिए एक प्रेरणादायक मील का पत्थर बताया।
बस्तर मार्शल आर्ट अकादमी के अध्यक्ष विजयपाल सिंह, सचिव भगत सोनी, संरक्षक गौतम कुंडू, सर्टिफाइड कोच एवं रेफरी ममता पांडेय, मार्कण्डेय सिंह, एवं के. ज्योति सहित समस्त बस्तर परिवार ने कविता धुर्वे को इस गौरवपूर्ण जीत के लिए बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

कविता धुर्वे की यह सफलता बस्तर जैसे आदिवासी क्षेत्र की बेटियों के लिए एक प्रेरणा है, जो यह दर्शाती है कि प्रतिबद्धता, परिश्रम और सही मार्गदर्शन के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर की सफलता भी प्राप्त की जा सकती है।


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