किसानों की मांग और कलेक्टर के आदेश पर रविवार को खूंटा घाट…- भारत संपर्क

यूनुस मेमन

बिलासपुर, 3 अगस्त 2025
कृषि कार्यों में तेजी लाने और किसानों को सिंचाई जल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से आज 3 अगस्त को खूंटाघाट जलाशय के गेट खोल दिए गए। जिला प्रशासन के निर्देश पर बाई तट मुख्य नहर से 100 क्यूसेक और दाई तट मुख्य नहर से 50 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। इससे क्षेत्र के हजारों किसानों को सीधा लाभ मिलेगा, जो खरीफ की फसलों की बुवाई और बढ़वार में मदद करेगा।
इस अवसर पर जिला पंचायत उपाध्यक्ष ललिता संतोष कश्यप, जिला पंचायत सदस्य रजनी मरकाम व दामोदर कांत, कोटा जनपद अध्यक्ष, रतनपुर नगर पालिका अध्यक्ष लव कुश कश्यप, बिनु निराला, शिव मोहन बघेल, हंस राम सोनी, रविंद्र, गुलशन सुमन सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे। सिंचाई व्यवस्था और तकनीकी निगरानी हेतु एसडीओ डी.डी. दीवान, कार्यपालन अभियंता मधुचंद्रा, इंजीनियर राकेश सोनी तथा अन्य अधिकारी भी मौके पर मौजूद थे।

इससे पहले 1 अगस्त को कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में जिला कार्यालय के मंथन सभागार में जल उपयोगिता समिति की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई थी, जिसमें खूंटाघाट जलाशय के गेट खोलने का निर्णय लिया गया। बैठक में जिले के सभी प्रमुख जलाशयों में जलभराव की स्थिति, सिंचाई की योजना, खरीफ सीजन की तैयारियों, खाद-बीज की उपलब्धता और वितरण की समीक्षा की गई थी।
प्रमुख बिंदु इस प्रकार रहे:
- खारंग जलाशय में 106.76% और अरपा भैंसाझार जलाशय में 20.06% जलभराव।
- घोंघा जलाशय 101.89% जल क्षमता पर।
- लघु जलाशयों में कोटा संभाग के 36 जलाशयों में 91.33%, पेंड्रा संभाग के 17 जलाशयों में 83.87% और 50 अन्य जलाशयों में औसतन 81.63% जलभराव पाया गया।
- खरीफ मौसम में 1,25,181 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई का लक्ष्य रखा गया है।

कलेक्टर ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सिंचाई जल के कुशल वितरण के साथ ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का प्रचार-प्रसार करें ताकि अधिक से अधिक किसान लाभान्वित हो सकें। उन्होंने बांध और जलाशयों के आसपास पर्यटक गतिविधियों को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने के भी निर्देश दिए।
बैठक में सांसद प्रतिनिधि राजकुमार सिंह, विधायक प्रतिनिधि संतोष दुबे, अरपा भैंसाझार जलाशय के कार्यपालन अभियंता डी. जायसवाल, कृषि उपसंचालक पी.डी. हथेश्वर और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
यह निर्णय न सिर्फ कृषि कार्यों को गति देगा, बल्कि जल प्रबंधन की दिशा में एक सकारात्मक पहल साबित होगा।
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