किडनैप, मर्डर और फिर बवाल… 24 साल पुराना गोलू अपहरणकांड, जिसमें जल उठा था…

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किडनैप, मर्डर और फिर बवाल… 24 साल पुराना गोलू अपहरणकांड, जिसमें जल उठा था…
किडनैप, मर्डर और फिर बवाल... 24 साल पुराना गोलू अपहरणकांड, जिसमें जल उठा था मुजफ्फरपुर; PM मोदी ने किया जिक्र

गोलू की अपहरण के बाद हत्या कर दी गई थी.

बिहार में चुनावी सरगर्मी जोरों पर है. पार्टियों के बड़े-बड़े नेता बिहार के शहरों और गांवों में घूम-घूमकर प्रत्याशियों के लिए वोट मांग रहे हैं. कोई बदवाल की बात कर रहा है तो कोई लालू के जंगल राज की याद दिला रहा है. यही नहीं कई तो ऐसे हैं, जो सुसाशन बाबू (नीतीश कुमार) के 20 साल के कामों को गिनाकर वोट मांग रहे हैं. गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुजफ्फरपुर जिले में एक जनसभा को संबोधित करने पहुंचे. यहां PM मोदी ने लालू के जंगल राज की बात करते हुए 24 साल पुराने एक चर्चित अपहरण कांड का जिक्र कर दिया, जो लोगों के जहन में फिर से ताजा हो गया. ये अपहरण हुआ था मासूम बच्चे गोलू कुमार का, जिसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. आइए जानते हैं इस अपहरण कांड की पूरी कहानी…

गोलू का दिनदहाड़े अपहरण, फिरौती और फिर हत्या… इस अपहरण कांड ने मुजफ्फरपुर को दहला दिया था. लोगों में गुस्सा इस कदर था कि दो दिन तक मुजफ्फरपुर आग में जलता रहा. पुलिस की गाड़ी, थाना और चौकी सबको आग के हवाले कर दिया गया था. हालात इतने खराब हो गए थे कि तब तत्कालीन सरकार को हेलिकॉप्टर से IPS अधिकारी रविंद्र कुमार सिंह को मुजफ्फरपुर भेजना पड़ा और तत्कलीन SP नय्यर हसनैन खान को वापस बुला लिया गया.

घटना को याद कर आज भी सहम जाते हैं लोग

ये अपहरण कांड 2001 का है. मुजफ्फरपुर शहर में रह रहा गोलू कुमार नाम का एक बच्चा सुबह घर से तैयार होकर स्कूल जाता है. स्कूल से वापस आते समय दिनदहाड़े रास्ते में उसका किडनैप कर लिया जाता है. कुछ देर बाद घरवालों के पास फिरौती की डिमांड को लेकर फोन आता है. घरवालों ने पूरी घटना की जानकारी पुलिस को दी. पुलिस और परिजन बच्चे की तलाश में जुट गए, लेकिन कहीं कोई सुराग नहीं लगा.

हत्या के बाद सकते में आ गई थी सरकार

फिरौती की रकम देने में देरी और पुलिस को जानकारी देने के चलते मासूम गोलू की हत्या कर दी गई और सुनसान जगह पर पुलिस को उसका शव मिला. चूंकि गोलू के अपहरण का मामला काफी सुर्खियों में था तो जैसे ही उसकी हत्या की जानकारी लोगों को हुई तो लोग गुस्से में सड़कों पर उतर आए. पुलिस-प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाकर प्रदर्शन करने लगे. धीरे-धीरे इस मामले ने राजनीतिक और सामाजिक रंग ले लिया. लोग सरकार को घेरने लगे. मुजफ्फरपुर से लेकर पटना तक बवाल मच गया. सरकार भी सकते में आ गई.

पुलिस थाने और चौकी को आग के हवाले कर दिया

इधर, मुजफ्फरपुर में बवाल मच गया. लोग सड़कों पर उतरकर आगजनी करने लगे. पुलिस की गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई. थानों और चौकियों को आग के हवाले कर दिया गया. हालात इतने बेकाबू हो गए कि तत्कालानी DM-SP हालात को संभालने में नाकाम साबित हुए. दो दिन तक मुजफ्फरपुर हिंसा की आग में जलता रहा. जिले के पुलिसकर्मियों ने वर्दी पहनना छोड़ दिया. ऐसा इसलिए, क्योंकि जो कोई भी पुलिस को वर्दी में देख रहा था, वो हमला कर देता था.

इस मामले में पुलिस ने सात लोगों को नामजद आरोपी बनाया था. कई की गिरफ्तारी हुई, कुछ फरार हो गए. जांच के दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए कि अपहरण की योजना पहले से बनाई गई थी और उसमें स्थानीय पहचान रखने वाले लोग भी शामिल थे. वक्त के साथ केस अदालत में पहुंचा, पर मुकदमा लंबा खिंचता गया. सबूत कमजोर होते गए, गवाह पीछे हटते गए. धीरे-धीरे यह मामला फाइलों में दब गया.

23 साल बाद दोबारा खुली फाइल

23 साल बाद यानी 2024 में पुलिस ने इस केस की फाइल फिर से खोली. पुराने रिकॉर्ड खंगाले गए. गवाहों से संपर्क किया जा रहा है और उन आरोपियों का पता लगाया जा रहा है, जो अब भी फरार हैं या जमानत पर बाहर हैं. उपद्रव में नामजद फरार आरोपितों को पुलिस तलाश कर रही है. केस के आईओ को आरोपियों का सत्यापन करने का निर्देश दिया गया.

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