Kushinagar Lok Sabha Seat: पहले चुनाव में कांग्रेस ने मारी थी बाजी, अब लहरा… – भारत संपर्क
कुशीनगर में जीत की हैट्रिक लगा पाएगी बीजेपी
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कुशीनगर को गौतम बुद्ध की धरती कहा जाता है. इस क्षेत्र की पहचान बुद्ध काल के कुशीनारा से की जाती है. कहा जाता है कि 12वीं शताब्दी तक कुशीनारा शहर मौजूद था. कुशीनगर में खुदाई के बाद बौद्ध युग की कई चीजें मिली है. उसके बाद बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थली को एक मंदिर का रूप दिया गया है. बौद्ध धर्म को मानने वाले ज्यादातर देशों के मंदिर कुशीनगर में स्थित हैं इसलिए इसे विदेशी मंदिरों वाला शहर भी कहा जाता है. निर्वाण स्तूप, महानिर्वाण मंदिर, माधाकुंवर मंदिर, रामाभर स्तूप, बौद्ध संग्रहालय यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं. भोजपुरी भाषी कुशीनगर एक अन्तरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल है.
एक मान्यता ये भी है कि यह क्षेत्र भगवान राम के बेटे कुश की राजधानी थी. कुशीनगर पहले देवरिया जिले का हिस्सा था. 1994 में यह नए जिले के रूप में अस्तित्व में आया. अन्तर्राष्ट्रीय महत्व रखने वाली कुशीनगर लोकसभा में बीजेपी का दवदबा है लेकिन कांग्रेस पार्टी भी यहां कभी बहुत मजबूत रही है.
2009 में हुआ पहला चुनाव
कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र 2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया है. इससे पहले यह क्षेत्र पडरौना लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा था. परिसीमन के बाद यहां 2009 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के रतनजीत प्रताप नारायण सिंह उर्फ आरपीएन सिंह ने जीत दर्ज की थी. आरपीएन सिंह अब भाजपाई हो गए हैं और बीजेपी के राज्यसभा सदस्य हैं.
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2019 मे बीजेपी की तीन लाख वोटों से जीत
2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के विजय कुमार दुबे ने यहां जीत दर्ज की है. उन्होंने समाजवादी पार्टी के एनपी कुशवाहा को 3,37,560 वोटों से हराया था. कांग्रेस पार्टी के रतनजीत प्रताप नारायण सिंह यहां तीसरे स्थान पर रहे थे उन्हें 1,46,151 वोट मिले थे. 2014 में बीजेपी के राजेश पांडे ने रतनजीत प्रताप नारायण सिंह को 85,540 वोटों से हराया था. तब बसपा के संगम मिश्रा तीसरे स्थान पर रहे थे. संगम मिश्रा को 1,32,881 वोट मिले थे. इससे पहले 2009 में कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की थी. यह कुशीनगर लोकसभा का पहला चुनाव था. कांग्रेस के रतनजीत प्रताप नारायण सिंह (आरपीएन सिंह) ने बसपा के स्वामी प्रसाद मौर्य को एक कड़े मुकाबले में 21,094 वोटों से हराया था. रतनजीत प्रताप नारायण सिंह को 223,954 वोट तो वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य को 2,02,860 वोट मिले थे. तब बीजेपी के विजय कुमार दुबे 1,62,189 वोट लाकर तीसरे स्थान पर थे.
कुशीनगर पहले पडरौना का हिस्सा था
2008 में कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र बनने से पहले यह पडरौना लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा था. यहां हुए पहले चार चुनाव में लगातार कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की थी. 1957 में यहां हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के काशीनाथ पांडेय ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद दूसरे और तीसरे चुनाव में भी वह जीत विजयी हुए थे. चौथे चुनाव में कांग्रेस पार्टी के ही गेंदा सिंह ने जीत दर्ज की थी. 1977 में जनता पार्टी के राम धारी शास्त्री, फिर 1980 और 1984 में कांग्रेस पार्टी के कुंवर चन्द्र प्रताप नारायण सिंह ने जीत दर्ज की. 1989 में जनता दल के बालेश्वर यादव यहां के सांसद बने. इसके बाद राममंदिर आदोंलन के बाद 1991 में हुए चुनाव में बीजेपी ने यहां खाता खोला और 1991 से 1999 तक हुए चार चुनावों में बीजेपी के राम नगीना मिश्र ने लगातार जीत दर्ज की. 2004 में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के बालेश्वर यादव ने यहां जीत दर्ज की. पडरौना लोकसभा क्षेत्र का यह अंतिम चुनाव था.
ब्राह्मण यादव कुशवाहा बहुल कुशीनगर
कुशीनगर लोकसभा में 5 विधानसभा सीट हैं. पडरौना विधानसभा, कसया विधानसभा, खड्डा विधानसभा, रामकोला विधानसभा और हाटा विधानसभा. इन सभी सभी सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. यहां 17,61,564 लाख मतदाता हैं. इनमें पुरुष मतदाता- 8,07,695 जबकि महिला मतदाताओं की संख्या- 9,53,729 है. बात यहां के जातीय समीकरण की करें तो यह क्षेत्र ब्राह्मण, यादव, मुस्लिम और कुशवाहा बहुल माना जाता है. यहां- अनुसूचित जाति के -15 प्रतिशत, मुस्लिम -14 प्रतिशत, कुशवाहा (कुर्मी)-13, प्रतिशत ब्राम्हण -11 प्रतिशत, सैंथवार-12 प्रतिशत, वैश्य- 10 प्रतिशत, यादव-8 प्रतिशत, भूमिहार-4 प्रतिशत और अन्य जातियों के -13 प्रतिशत मददाता हैं. बीजेपी ने एकबार फिर यहां अपने मौजूदा सांसद विजय कुमार दुबे को मैदान में उतारा है. जबकि विपक्षी पार्टियों ने अभी अपने उम्मीदवार का नाम ऐलान नहीं किया है.
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