विजय माल्या, नीरव मोदी की तरह अब नहीं डकार सकेंगे बैंकों का…- भारत संपर्क
![विजय माल्या, नीरव मोदी की तरह अब नहीं डकार सकेंगे बैंकों का…- भारत संपर्क विजय माल्या, नीरव मोदी की तरह अब नहीं डकार सकेंगे बैंकों का…- भारत संपर्क](https://bharatsampark.co.in/wp-content/uploads/2024/05/1715619681_rbi-gold-one-1024x576.jpeg?v=1715619685)
![विजय माल्या, नीरव मोदी की तरह अब नहीं डकार सकेंगे बैंकों का पैसा, RBI का है ये नया नियम विजय माल्या, नीरव मोदी की तरह अब नहीं डकार सकेंगे बैंकों का पैसा, RBI का है ये नया नियम](https://images.tv9hindi.com/wp-content/uploads/2024/05/rbi-gold-one.jpeg?w=1280)
गोल्ड लोन को लेकर सतर्क रहने की जरूरत
अब कोई विजय माल्या, नीरव मोदी की तरह बैंकों का पैसा लेकर नहीं भाग सकेगा. दरअसलRBI बैंकों पर लगाम लगाने के लिए लगातार नियमों में बदलाव कर रही है. दरअसल RBI नहीं चाहता कि बैंक ज्यादा संख्या में कर्ज दें. RBI ऐसा इसलिए चाहती है ताकि बैंकों को भविष्य में लोन वसूलने में दिक्कतों का सामना न करना पड़े. चूकी बैंक बड़ी संख्या में जोखिम वाले लोन मुहैया कराती है. उन्हें भविष्य में कई बार वसूली नामुमकिन हो जाता है. RBI ने ये नियम इसलिए बनाया है ताकि कोई भी ज्यादा से ज्यादा लोन लेकर डिफॉल्ट न करें. इसलिए एक सीमित दायरें में भी बैंको को लोन बांटने को कहा गया है.
इस समस्या से लड़ने के लिए केंद्रीय बैंक ने एक उपाय निकाला है. दरअसल बैंकों और एनबीएफसी को प्रोजेक्ट फाइनेंस लोन के लिए अधिक परसेंटेज अलॉट करने की जरूरत हो सकती है. बैंकों को संभावित नुकसान के लिए रिजर्व में पैसा अलग रखना होता है. इससे शेयरधारकों के लिए कम लाभांश और भविष्य के निवेश के लिए कम पूंजी उपलब्ध हो सकती है.
क्या है नियम
ये भी पढ़ें
बैंक ग्राहको को उनके हिसाब से लोन देता है. छोटे ग्राहकों को रिटेल लोन दिए जाते हैं. घर या अन्य संपत्ति को सिक्योरिटी के तौर पर रखा जाता है. अकाउंट में लोन आने के साथ ही ईएमआई शुरू हो जाती है. वहीं बड़े कर्जों करोड़ रुपये में होते है. बड़े कर्जों में को सड़क, पुल आदि योजनाओं के लिए दिया जा सकता है.वैसे कर्जों को किमत के आधार पर दिया जाता है.
मुनाफे का सारा हिस्सा एक साथ खर्च नहीं
बैंक अपने मुनाफे का सारा हिस्सा एक साथ खर्च नहीं करते हैं. एक हिस्सा भविष्य में जोखिम भरे कर्जों से होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए रखते हैं. RBI के नियमों के अनुसार, बड़े कर्जों के लिए बैंक आमतौर पर अपनी ओर से किए गए कर्जों का 0.4 फीसदी प्रोवीजन रखते हैं. इन चीजों को ध्यान में रखते हुए RBI इसमें कुछ बदलाव करना चाहता है. दरअसल बड़े कर्जों के लिए बैंक आमतौर पर अपनी ओर 0.4 फीसदी प्रोवीजन रखते हैं. RBI चाहती है की उसे बढ़ा कर 5 फीसदी तक कर दिया जाना चाहिए. कई सरकारी और निजी बैंक शेयरों में 9 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है. ऐसे में बैंक बढ़े हुए प्रोविजन की भरपाई के लिए अलग तरीकों की भी तलाश कर सकते हैं. इससे बैंकों पर लाभ कमाने या अपने कर्ज को बढ़ाने का दबाव पड़ सकता है. ऐसा न करने पर शेयरहोल्डर नाराज हो सकते हैं.