फिल्मों की LOVE स्टोरियां और जात-पात… बॉक्स ऑफिस का सुपरहिट फॉर्मूला या… – भारत संपर्क


लव स्टोरी बॉक्स ऑफिस का मसाला
दो हफ्ते पहले सैयारा की प्नेम कहानी ने युवा पीढ़ी को इमोशनल बना दिया तो अब धड़क 2 सोचने-विचारने पर मजबूर कर रही है. मोहित सूरी के डायरेक्शन में बनी सैयारा की प्रेम कहानी का फोकस प्रेमी युगल के बीच सहयोग की भावनाएं और अपेक्षाएं हैं लेकिन धड़क 2 की लव स्टोरी का आधार अमीरी-गरीबी, ऊंच-नीच जातिय दीवार और सामाजिक भेदभाव है. दिलचस्प बात ये है कि कई सालों से हमारी बॉलीवुडिया फिल्मों की यही लव स्टोरियां हैं. साजन अमीर तो सजनी गरीब. यहां नायक-नायिका को कभी एक ही जाति का दिखाया जाता है तो कभी अलग-अलग जाति के. कभी जाति का मुद्दा गंभीर होता है कभी जाति का मिलान करके कहानी लिखी जाती है. कुल मिलाकर जाति के मुद्दे पर फिल्मकार बहुत कंफ्यूज कर देते हैं.
अब जाति और प्रेम को लेकर थिएटर में धड़क 2 आ गई है. इस फिल्म में सिद्धांत चतुर्वेदी और तृप्ति डीमरी ने मुख्य तौर पर अभिनय किया है. यह फिल्म लंबे समय से सोशल मीडिया में सूर्खियां बटोर रही है. फिल्म के गाने और ट्रेलर ने एक बहस कायम कर रखी है. सेंसर की कैंची के बाद इस फिल्म को और भी चर्चा मिल गई. फिल्म की डायरेक्टर शाजिया इकबाल हैं. इस फिल्म का प्रमोशनल कॉन्टेंट बताता है कि इसमें प्रेम के आगे सामाजिक भेद भाव को प्रमुखता से दिखाया गया है. जाति भेद के मुद्दे को एक बार फिर तूल दिया गया है. इस लिहाज से भी फिल्म को लेकर जिज्ञासा बनी हुई है.
जब अमिताभ को बनाया था ‘गुप्ता’
फिल्मों की प्रेम कहानी में सामाजिक, पारिवारिक, जातीय या मजहबी मुद्दे कोई नई बात नहीं है. लंबे समय से ऐसी फिल्में बनती रही हैं. हिंदू-मुस्लिम लव स्टोरी ‘बॉम्बे’ से लेकर ‘इन गलियों में’ तक बन चुकी हैं. लेकिन सबसे दिलचस्प बात तो ये है कि हमारे फिल्मकार जातियों को लेकर खुद ही बड़े कंफ्यूज लगते हैं. इसके कुछ उदाहरण प्रस्तुत है. चर्चित प्रेम कहानियों पर चर्चा करूं उससे पहले मुझे इस वक्त अमिताभ बच्चन और संजीव कुमार की फिल्म त्रिशूल की याद आती है. इस फिल्म में संजीव कुमार एक बिल्डर बने हैं, वह व्यवसायी हैं और हमेशा लाखों का सौदा करते हुए दिखाई देते हैं, संभवत: इसीलिए फिल्म के लेखक सलीम जावेद ने उनको आरके गुप्ता बना दिया.
दिलचस्प बात ये भी कि फिल्म के अंदर आरके गुप्ता अक्सर जिससे बिजनेस डील करते रहते हैं, उसका सरनेम अग्रवाल आदि होता है. इसी आरके गुप्ता के बेटे बने हैं -अमिताभ बच्चन, जिनके किरदार का नाम-विजय कुमार गुप्ता है. यानी किरदार कारोबारी है इसलिए उसका सरनेम गुप्ता है, वरना अमिताभ बच्चन अपनी ज्यादातर फिल्म में विजय वर्मा, विजय खन्ना, अमित मलहोत्रा या विजय दीनानाथ चौहान बनते रहे हैं.
सैयारा में कपूर और बत्रा की जोड़ी
अब कुछ फिल्मों में प्रेमी-प्रेमिका के किरदारों के नेम और सरनेम पर नजर डालें तो ये भी बहुत कंफ्यूज करने वाले लगते हैं. इनका लक्ष्य अंतत: बॉक्स ऑफिस कलेक्शन प्रतीत होता है. सबसे हाल की ब्लॉकबस्टर फिल्म सैयारा को ही लिजिए- फिल्म के अंदर हीरो का नाम कृष कपूर है जबकि हीरोइन का नाम वाणी बत्रा है. दोनों जब पहली बार मिलते हैं, एक-दूसरे के नाम और सरनेम से वाकिफ होते हैं. दोनों पंजाबी परिवार से हैं. हालांकि उनके बीच बढ़ती दोस्ती में उनका पंजाबी होना कोई फैक्टर नहीं है. लेकिन राइटर-डायरेक्टर ने दोनों को कपूर और बत्रा क्यों बनाया है, कुछ और क्यों नहीं- ये समझ से परे है. फिल्म के डायरेक्टर मोहित सूरी हैं और लेखक हैं- संकल्प सदाना. संवाद रोहन शंकर का है.
भूल चूक माफ में तिवारी और मिश्रा
सैयारा से कुछ ही समय राज कुमार राव और वामिका गब्बी की एक फिल्म आई थी- भूल चूक माफ, जिसकी कहानी और उनके कैरेक्टर नेम को भी याद करें. राजकुमार राव के किरदार का नाम रंजन तिवारी है जबकि वामिका गब्बी के कैरेक्टर का नाम तितली मिश्रा है. फिल्म के लेखक और निर्देशक करण शर्मा है. फिल्म का बैकड्रॉप वाराणसी का है. संभवत: इस कारण इस फिल्म की कहानी में पंडित परिवार को दिखाने की कोशिश की गई है. हालांकि इस फिल्म में भी कहीं ये नहीं बताया गया है कि रंजन और तितली का प्रेम जातीय निकटता की वजह से है.
मसान और भीड़ में दलित-सवर्ण प्रेम
इसी के बरअक्स याद कीजिए डायरेक्टर नीरज घेवन की फिल्म मसान की. यहां भी वाराणसी का बैकग्राउंड है. इसके लेखक नीरज के साथ वरुण ग्रोवर भी थे. उन्होंने इसमें एक कैरेक्टर गढ़ा दीपक चौधरी का जो निचली जाति का है और वह श्मशान घाट पर काम करता है, लेकिन उसे सवर्ण जाति की युवती शालू गुप्ता से प्रेम हो जाता है, इस रोल को श्वेता त्रिपाठी ने निभाया था. प्रेम और जाति भेद को केंद्र में रखने से मसान भी काफी चर्चित हुई, निर्देशक को लोकप्रिय प्रतिष्ठा भी हासिल हुई.
इसी क्रम में हम कोविड और लॉकडाउन की कड़वी हकीकत दर्शाने वाली अनुभव सिन्हा की फिल्म भीड़ को भी नहीं भूल सकते, जिसमें राजकुमार राव ने निचली जाति का किरदार निभाया है जबकि भूमि पेडनेकर का रोल सवर्ण जाति का होता है. और दोनों के बीच प्रेम शारीरिक संबंधों तक भी पहुंच जाता है. फिल्म के कई सीन और संवाद सेंसर होने के बाद फिल्म की मूल कहानी में इस तरह के संबंध दिखाये जाने का कोई औचित्य सिद्ध नहीं होता लेकिन अनुभव और नीरज जैसे फिल्मकार अपनी फिल्मों में ऊंच-नीच जाति के मुद्दों को एक सामाजिक संदर्भ में रखते हैं.
बॉबी में राज नाथ और ब्रेगेंजा
इसी के साथ संक्षेप में कुछ पुरानी ब्लॉकबस्टर प्रेम कहानियों में हीरो और हीरोइनों के नेम और सरनेम पर गौर करें. सन् 1973 की बॉबी इस मामले में सबसे बड़ी और कल्ट मूवी है. यहां अमीरी-गरीबी ही नहीं बल्कि जाति समुदाय का भेद भी है. बॉबी में ऋषि कपूर एक बड़े बिजनेस मैन मिस्टर नाथ के बेटे राज नाथ बने हैं जबकि डिंपल कपाड़िया बॉबी ब्रेगेंजा. दोनों के स्टेटस में काफी अंतर होता है फिर भी दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं. 1981 की लव स्टोरी में कुमार गौरव बंटी मेहरा बने हैं तो बिजेता पंडित पिंकी डोगरा, दोनों पंजाबी परिवार से हैं. 1983 की एक दूजे के लिए में कमल हासन के तमिल किरदार का नाम वासु है तो रति अग्निहोत्री उत्तर भारतीय हिंदी भाषी परिवार की सपना बनी हैं.
मैंने प्यार किया में प्रेम चौधरी सलमान
इसी तरह सन् 1989 की मैंने प्यार किया में सलमान खान प्रेम चौधरी बने हैं तो भाग्यश्री गरीब परिवार की युवती सुमन. इसी के साथ सन् 1990 में दो बड़ी लव स्टोरी और आई- आमिर खान की कयामत से कयामत तक और महेश भट्ट की आशिकी, जिसका दूसरा भाग मोहित सूरी ने आशिकी 2 नाम से बनाया था. कयामत से कयामत तक की कहानी का बैकग्राउंड दो राजपूत परिवारों के बीच दुश्मनी का है. इन दोनों परिवार से ताल्लुक रखने वाले आमिर खान और जुही चावला के किरदार राज और रश्मि भी इन्हीं परिवारों से है. वहीं आशिकी में राहुल रॉय का किरदार भी राहुल रॉय का है जबकि हीरोइन अनु अग्रवाल के कैरेक्टर का नाम अनु वर्गीज है.
फिल्मों में आखिर ये जातीय समीकरण क्या कहलाता है, सोचा जा सकता है. फिल्मवालों के लिए जातीय मुद्दे कितनी अहमियत रखते हैं जितना कि फिल्मों में दिखाते हैं. क्या इनका जातीय मुद्दा केवल और केवल बॉक्स ऑफिस का सुपरहिट फॉर्मूला है? फिल्मकार किसी कैरेक्टर का सरनेम आखिर किस मकसद से रखते हैं, यह समझ पाना मुश्किल है. अब देखना है धड़क 2 दर्शकों को कितना प्रभावित कर पाती है? बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट का हमें भी इंतजार रहेगा.
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