Lyngdoh committee: छात्रसंघ चुनाव को लेकर क्या हैं लिंगदोह कमेटी की सिफारिशें?…
लिंगदोह कमेटी की सिफारिशें Image Credit source: Sanchit Khanna/HT via Getty Images
Lyngdoh committee: जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) छात्रसंघ चुनाव का ऐलान हो गया है. 4 नवंबर को जेएनयू छात्रसंघ चुनाव को लेकर मतदान की प्रक्रिया आयोजित की जाएगी. तो वहीं 6 नंवबर को नतीजे जारी होंगे. इसको लेकर बीते रोज जेएयनू छात्रसंघ चुनाव आयोग ने ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई थी, जिसमें सभी छात्रसंघ संगठनों को चुनाव के दौरान लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों का पालन सुनिश्चित करने को कहा गया है. लिंगदोह कमेटी की सिफारिश लागू होने के बाद से ही कोई भी छात्र सिर्फ एक बार छात्रसंघ चुनाव लड़ सकता है.
आइए इसी कड़ी में जानते हैं कि छात्रसंघ चुनाव को लेकर लिंगदोह कमेटी की सिफारशें क्या हैं? ये कब लागू की गई थी?
2006 में तैयार हुई थी लिंगदोह कमेटी की सिफारिशें
असल में 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने छात्रसंघ चुनाव में बाहुबल, धनबल के बढ़ते प्रयोग पर चिंता जताई थी. इसी कड़ी में साल 2006 में जेएम लिंगदोह की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय कमेटी ने एक रिपोर्ट तैयार की थी, जिसे छात्रसंघ चुनावों में लागू करने की सिफारिश के तौर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय काे सौंपा था. इसे ही लिंगदोह कमेटी की सिफारिशें कहते हैं. यूजीसी ने साल 2006 में इसे लागू करने का सर्कुलर जारी कर दिया था.
कौन थे लिंगदोह, कमेटी में बाकी सदस्यों का क्या नाम
लिंगदोह कमेटी के अध्यक्ष जेएम लिंगदोह पूर्व केंद्रीय चुनाव आयुक्त थे. वहीं इस कमेटी में बाकी 5 सदस्य थे, जिसमें सेंटर ऑफ पॉलिटिकल स्टडीज के प्रोफेसर प्रो जोया हसन, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के प्रेसिडेंट डॉ प्रताप भानु मेहता, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन प्लानिंग एडमिनिस्ट्रेशन के डायरेक्टर प्राे वेद प्रकाश, रिटायर्ड CAG आईपी सिंह और एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज के सेक्रेटरी जनरल प्रो दयानंद शामिल थे.
लिंगदोह कमेटी की मुख्य सिफारिशें
- एकेडमिक सेशन शुरू होने के 6-8 सप्ताह में छात्रसंघ चुनाव आयोजित कराना होगा.
- कोई भी छात्र एक बार ही चुनाव लड़ सकता है. चाहे वह जीते या हारे.
- ग्रेजुएशन में पढ़ रहे 17 से 22 साल के छात्र ही चुनाव के लिए दावेदारी कर सकते हैं.
- पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे 25 साल तक और पीएचडी कर रहे 28 साल तक के छात्र ही चुनाव के दावेदारी कर सकते हैं.
- चुनाव के लिए दावेदारी कर रहे छात्र पर कोई मुकदमा नहीं होना चाहिए. वहीं चुनाव में दावेदारी कर रहे छात्र की पिछली कक्षा में बैकलाॅग नहीं होनी चाहिए.
- चुनाव के लिए दावेदारी कर रहे छात्र पर यूनिवर्सिटी या कॉलेज की तरफ से काेई अनुशासनात्मक कार्रवाई न हुई हो.
- चुनाव के लिए दावेदारी कर रहे छात्र पर काॅलेज या हॉस्टल की देनदारी नहीं होनी चाहिए.
- चुनाव के लिए दावेदारी कर रहे छात्रों कीकक्षा में 75 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज होना अनिवार्य है.
- चुनाव के लिए किसी तरह के प्रिंटेड मैटर का उपयोग नहीं होगा. चुनाव में पोस्टर व बैनर के प्रयोग पर रोक रहेगी.
- चुनाव में 5 हजार रुपये से अधिक कोई भी उम्मीदवार खर्च नहीं करेगा.
- चुनाव प्रचार के लिए 10 दिन से अधिक का समय नहीं मिलेगा. मतलब, चुनाव प्रक्रिया 10 से 12 दिन में खत्म करना जरूरी है.
- चुनाव प्रचार के लिए लाउड स्पीकर, वाहन का प्रयोग प्रतिबंधित
- प्रचार के दौरान कक्षाओं को बाधा नहीं पहुंचाया जाएगा.
सिफारिशें लागू फिर भी टूटते हैं नियम
देश की सभी यूनिवर्सिटीज में लिंगदोह समिति की सिफारिशें लागू हैं, लेकिन हर साल चुनाव प्रचार के दौरान सिफारिशों के नियम टूटते हैं, जिसमें डीयू जैसी यूनिवर्सिटी अग्रणी हैं.
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