11 साल पहले शुरू हुई थी देश में Metro, अब दुनिया में तीसरा…- भारत संपर्क

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11 साल पहले शुरू हुई थी देश में Metro, अब दुनिया में तीसरा…- भारत संपर्क

भारत ने मेट्रो नेटवर्क विस्तार के मामले में बड़ी छलांग लगाते हुए दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मेट्रो सिस्टम बना लिया है. 2014 में जहां केवल 5 शहरों में 248 किलोमीटर का मेट्रो नेटवर्क था, वहीं मई 2025 तक यह बढ़कर 23 शहरों में 1,013 किलोमीटर तक पहुंच गया है. इस दौरान लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपए का निवेश हुआ और 2,000 से अधिक मेट्रो कोच मेक इन इंडिया के तहत देश में ही निर्मित किए गए.

यात्रियों के लिए लाइफलाइन बनी मेट्रो

मेट्रो नेटवर्क के विस्तार का सीधा असर यात्रियों की संख्या पर भी पड़ा है. 2013-14 में जहां औसतन 28 लाख लोग रोज मेट्रो का इस्तेमाल करते थे, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 1.12 करोड़ प्रतिदिन हो गई है. इससे ट्रैफिक जाम और प्रदूषण कम करने में भी मदद मिली है.

तेज रफ्तार में निर्माण

2014 से पहले मेट्रो निर्माण की औसत गति 0.68 किलोमीटर प्रति माह थी, जो अब लगभग 6 किलोमीटर प्रति माह हो गई है. बजट आवंटन भी तेजी से बढ़ा है—2013-14 में 5,798 करोड़ रुपए से बढ़कर 2025-26 में 34,807 रुपए करोड़ तक पहुंच गया है.

सरकारी नीतियां और मेक इन इंडिया का योगदान

2017 में लागू मेट्रो रेल नीति ने परियोजनाओं को गति देने में अहम भूमिका निभाई. इसके तहत शहरों को कॉम्प्रिहेंसिव मोबिलिटी प्लान और अर्बन मेट्रो ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (UMTA) बनाना अनिवार्य किया गया. साथ ही केंद्रीय सहायता के लिए न्यूनतम 14% आर्थिक आंतरिक रिटर्न रेट (EIRR) और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) भागीदारी अनिवार्य की गई.

मेक इन इंडिया पहल के तहत 75% मेट्रो कार और 25% उपकरण देश में बनाना अनिवार्य किया गया. बीईएमएल अब तक 2,000 से अधिक मेट्रो कोच आपूर्ति कर चुका है.

तकनीकी और पर्यावरण अनुकूल इनोवेशन

  • भारत का मेट्रो नेटवर्क अब केवल पारंपरिक ट्रैक तक सीमित नहीं है.
  • अंडरवाटर मेट्रो: कोलकाता में हुगली नदी के नीचे.
  • वाटर मेट्रो: कोच्चि में इलेक्ट्रिक-हाइब्रिड नावें.
  • ग्रीन इनिशिएटिव्स: सोलर पावर स्टेशन, रिजेनरेटिव ब्रेकिंग और IGBC प्रमाणित स्टेशन.
  • डिजिटल बदलाव: एनसीएमसी कार्ड, क्यूआर कोड टिकटिंग, चालक रहित मेट्रो और स्वदेशी I-ATS सिस्टम.

इन मेट्रो प्रोजेक्ट पर होगा तेजी से काम

आने वाले वर्षों में पुणे मेट्रो चरण-2, दिल्ली मेट्रो एक्सटेंशन, अहमदाबाद एयरपोर्ट कनेक्टिविटी, बेंगलुरु मेट्रो चरण-3 जैसी परियोजनाएं तेज रफ्तार से पूरी होंगी. साथ ही 24 शहरों में वाटर मेट्रो योजनाएं भी प्रस्तावित हैं. भारत का मेट्रो नेटवर्क सिर्फ परिवहन साधन नहीं, बल्कि आधुनिक, स्वच्छ और तेज शहरी विकास का प्रतीक बन चुका है. 2030 तक यह नेटवर्क और भी बड़े पैमाने पर फैलने की उम्मीद है, जिससे भारत के शहरों में आवागमन का चेहरा पूरी तरह बदल जाएगा.

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