microplastics aur nanoplastic heart stroke ka karan ban sakte hain. हार्ट…
![microplastics aur nanoplastic heart stroke ka karan ban sakte hain. हार्ट… microplastics aur nanoplastic heart stroke ka karan ban sakte hain. हार्ट…](https://bharatsampark.co.in/wp-content/uploads/2024/03/plastics-1024x576.jpg?v=1711003913)
![microplastics aur nanoplastic heart stroke ka karan ban sakte hain. हार्ट… microplastics aur nanoplastic heart stroke ka karan ban sakte hain. हार्ट…](https://bharatsampark.co.in/wp-content/uploads/2024/03/plastics.jpg?v=1711003913)
अगर आप अकसर बाहर से खाना ऑर्डर करते हैं, तो आपको सावधान हो जाना चाहिए। असल में इनकी पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक आपकी सेहत के लिए कई गंभीर जोखिम बढ़ा रही है।
आम जन जीवन में प्लास्टिक का प्रयोग बहुत अधिक हो रहा है। यह चिकित्सा और उपचार सहित घरेलू उपकरणों में भी इसका प्रयोग बढ़ा है। उपयोग किए गए ज्यादातर प्लास्टिक को उपभोक्ताओं द्वारा एक बार उपयोग के बाद फेंक दिया जाता है। यह पर्यावरण के लिए बड़ी समस्या बन गई है। साथ ही, यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का भी कारण बन गया है। हाल में की गई स्टडी बताती है कि माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक हार्ट अटैक और स्ट्रोक का कारण (Microplastics and nanoplastics health hazards) भी बन सकता है।
माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक क्या है (Microplastics and nanoplastic) ?
हर दिन बड़ी संख्या में प्लास्टिक को फेंक दिया जाता है। ये प्लास्टिक सूक्ष्म से नैनो आकार में टूट जाते हैं, जो पर्यावरण और मनुष्य दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। माइक्रोप्लास्टिक्स शब्द प्लास्टिक के टुकड़ों को संदर्भित करता है, जो डायमीटर 0.5 मिमी से छोटे होते हैं। यह लगभग चावल के दाने के बराबर होता है।
नैनोप्लास्टिक्स बहुत छोटे होते हैं। यह केवल 100 नैनोमीटर या उससे भी कम होता है। कई उत्पादों यहां तक कि नल के पानी में भी माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक मौजूद होते हैं। एक नए अध्ययन से पता चलता है कि आप अपने पानी को उबालकर पीने से माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा को कम कर सकते हैं।
गंभीर स्वास्थ्य समस्या का बन सकता है कारण (Microplastics and nanoplastics health hazards)
एनवायर्नमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हालिया अध्ययन के अनुसार, माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क से अलग-अलग प्रकार के विषाक्त प्रभाव उत्पन्न होते हैं। इनमें ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस, मेटाबोलिक सिंड्रोम, इम्युनिटी रिएक्शन, न्यूरोटॉक्सिसिटी जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है। साथ ही यह डेवलपमेंटल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ को भी प्रभावित करता है।यह असामान्य अंग विकास और कैंसर के जोखिम को भी बढ़ा सकता है।
कौन हैं माइक्रोप्लास्टिक्स (Microplastics)
माइक्रोप्लास्टिक्स विभिन्न स्रोतों से आ सकते हैं, जिनमें बड़े प्लास्टिक के टुकड़े हैं, जो टूट गए हैं। प्लास्टिक की चीज़ों में उपयोग किये जाने वाले रेजिन पेलेट्स, माइक्रोबीड्स भी हो हो सकते हैं। माइक्रोबीड्स स्वास्थ्य और सौंदर्य उत्पादों में उपयोग किए जाने वाले माइक्रो प्लास्टिक हैं।
![चश्मे का नंबर बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हो सकता है ज्यादा स्क्रीनटाइम, नेत्र रोग विशेषज्ञ से जानिए इसके जोखिम चश्मे का नंबर बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हो सकता है ज्यादा स्क्रीनटाइम, नेत्र रोग विशेषज्ञ से जानिए इसके जोखिम](https://images.healthshots.com/healthshots/hi/uploads/2022/11/21184544/dry-eyelids-300x169.jpg)
![makeup products istemaal n karein](https://images.healthshots.com/healthshots/hi/uploads/2022/10/06185714/expired-makeup-products.jpg)
माइक्रोप्लास्टिक के नुकसान (Microplastics side effects)
मीठे पानी के इकोसिस्टम में माइक्रोप्लास्टिक फ़ूड वेब को बाधित कर सकता है। यह एक्वेटिक एनिमल के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। माइक्रोप्लास्टिक्स मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरा पैदा कर सकते हैं। ये फ़ूड चेन में प्रवेश कर सकते हैं। यह संभावित रूप से उन लोगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जो दूषित सी फ़ूड या दूषित पानी का सेवन करते हैं।
कौन हैं नैनोप्लास्टिक्स (nanoplastics)
प्लास्टिक बैग और पैकेजिंग के लिए पॉलीथीन का उपयोग किया जाता है। यह पर्यावरण में पाया जाने वाला माइक्रोप्लास्टिक का सबसे आम प्रकार है। यह प्लास्टिक की बोतलों के लिए भी उपयोग किया जाता है। मानव शरीर पर नैनोप्लास्टिक्स का बहुत अधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
माइक्रोप्लास्टिक की अपेक्षा अधिक टॉक्सिक है नैनोप्लास्टिक्स (nanoplastic is more toxic than microplastics)
एनवायर्नमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी जर्नल की स्टडी के अनुसार, नैनोप्लास्टिक्स माइक्रोप्लास्टिक की अपेक्षा अधिक टॉक्सिक होते हैं। उनका छोटा आकार उन्हें मानव शरीर में प्रवेश करने के लिए माइक्रोप्लास्टिक्स की तुलना में अधिक अनुकूल बनाता है।
नैनोमैटीरियल जर्नल के अनुसार, नैनोप्लास्टिक्स के लंबे समय तक संपर्क में रहने से एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम स्ट्रेस, अनफोल्डेड प्रोटीन रेस्पॉन्स और फैट मेटाबोलिज्म सिंड्रोम होता है। नैनोप्लास्टिक इंट्रावास्कुलर इंजेक्शन के बाद रक्त-मस्तिष्क बाधा ( blood–brain barrier) को पार कर सकता है। यह मस्तिष्क में जमा हो सकता है।
![plastic health ko nuksan pahunchate hain.](https://images.healthshots.com/healthshots/hi/uploads/2022/07/15100020/plastic-bottle.jpg)
पानी को उबालना है जरूरी (Boil water)
शोधकर्ताओं ने पाया कि नल के पानी से यदि नैनोप्लास्टिक्स हटाना है, तो उसे उबालना पहला कदम है। कैल्शियम या मैग्नीशियम जैसे मिनरल से भरपूर हार्ड पानी को उबालने से चाक जैसा अवशेष बनता है, जिसे लाइमस्केल या कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3) के रूप में जाना जाता है, जो प्लास्टिक को फंसा सकता है। फिर उस ठोस को मानक कॉफी फिल्टर या स्टेनलेस स्टील फिल्टर से पानी से निकाला (Microplastics and nanoplastics health hazards) जा सकता है।
यह भी पढ़ें :- आपकी फिटनेस, लुक और ब्रेन को भी प्रभावित करती है एजिंग, जानिए इसे कैसे धीमा किया जा सकता है