सितंबर में नेपाल, अक्टूबर में इन देशों में गिरेगी सरकार? लिस्ट में फ्रांस से फिलिपींस… – भारत संपर्क

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सितंबर में नेपाल, अक्टूबर में इन देशों में गिरेगी सरकार? लिस्ट में फ्रांस से फिलिपींस… – भारत संपर्क
सितंबर में नेपाल, अक्टूबर में इन देशों में गिरेगी सरकार? लिस्ट में फ्रांस से फिलिपींस तक के नाम

दुनियाभर में सड़कों पर उतर रहे हैं युवाImage Credit source: Getty Images

नेपाल से लेकर इंडोनेशिया, मोरक्को, मेडागास्कर, पेरू और फिलीपींस तक…भले ही ये देश भौगोलिक रूप से कुछ हजारों मील दूर हों, लेकिन इन सबको जोड़ने वाली एक ही कड़ी है. वो है सत्ता विरोधी आंदोलन और उसकी अगुआई करती नई पीढ़ी, यानी Gen Z.

1997 से 2012 के बीच जन्मी यह पीढ़ी, जिसे अक्सर आलसी और कन्फ्यूज्ड कहा गया, अब इंटरनेट और स्मार्टफोन को हथियार बनाकर सड़कों पर उतर रही है. नतीजा? सरकारें हिल रही हैं और सत्ता के गलियारों में खौफ साफ दिख रहा है. इस लहर की सबसे बड़ी मिसाल नेपाल है, जहां भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ उठे जनाक्रोश ने पूरी सरकार को गिरा दिया. अब यही आग एक-एक कर कई देशों में फैल रही है.

1. नेपाल: सोशल मीडिया बैन और “नेपो किड्स” का गुस्सा

सितंबर की शुरुआत में नेपाल की सड़कों पर हजारों युवा उतर आए, जब सरकार ने 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाया. लोगों को गुस्सा तब और ज्यादा आया जब नेपो किड्स यानी नेताओं के अमीर और ऐशो-आराम में रहने वाले बच्चों की लाइफस्टाइल वायरल हुई. 72 लोगों की मौत और सैकड़ों घायल होने के बाद प्रधानमंत्री शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा. संसद तक आग के हवाले कर दी गई और सत्ता बदल गई.

Nepal Image

2. मोरक्को: स्टेडियम तो हैं, अस्पताल कहां हैं?

मोरक्को में Gen Z 212 नाम के संगठन ने आगाज किया. गुस्से की वजह? सरकार 2030 वर्ल्ड कप पर अरबों खर्च कर रही है, जबकि हेल्थकेयर और शिक्षा का बुरा हाल है. मोरक्को में बेरोजगारी दर 12.8% है, जिसमें युवा बेरोज़गारी 35.8% और स्नातकों में 19% तक पहुंच गई है. मोरक्को में 1430 लोगों पर एक डॉक्टर है, जो दुनिया के औसत (590) से ढाई गुना कम है. आगादिर के हसन-2 हॉस्पिटल में 8 महिलाओं मौत हो गई. इसे डेथ हॉस्पिटल कहा जा रहा है. एक हफ्ते चले प्रदर्शनों में पुलिस फायरिंग से तीन लोगों की मौत हो गई. 400 से ज्यादा गिरफ्तारियां, 260 पुलिसकर्मी घायल और दर्जनों गाड़ियां जलाई गईं.

3. मेडागास्कर: बिजली-पानी को लेकर सड़कों पर उतरे

मेडागास्कर में राष्ट्रपति एंड्री राजोएलिना को अपनी सरकार भंग करनी पड़ी. वजह थी पानी और बिजली की कमी, जिसने राजधानी से लेकर छोटे शहरों तक युवाओं को सड़कों पर ला दिया. यूएन के अनुसार 22 लोगों की मौत हुई और 100 से ज्यादा घायल हुए. हालांकि सरकार इन आंकड़ों को मानने से इनकार करती है.

Youth Protests

4.पेरू: पेंशन और गैंगवार से तंग जनता

पेरू की राजधानी लीमा में भीषण प्रदर्शन तब शुरू हुए जब सरकार ने एक पेंशन सुधार लागू किया. नए नियम के अनुसार, पेरू में 18 साल से अधिक उम्र के हर व्यक्ति को किसी ने किसी पेंशन कंपनी से जुड़ना होगा. इसके अलावा राष्ट्रपति बोलुआर्ते और संसद के खिलाफ लंबे समय से जनता में असंतोष बना हुआ है. टैक्सी और बस ड्राइवर भी जुड़ गए, क्योंकि वे गैंग्स की वसूली से परेशान हैं और सरकार कुछ नहीं कर रही. राष्ट्रपति दीना बोलुआर्टे की पॉपुलैरिटी सिर्फ 2.5% रह गई है. लोग खुलेआम उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.

5. फिलीपींस: बाढ़ राहत घोटाले का विस्फोट

यहां मामला सीधा भ्रष्टाचार का है. करीब 1.85 बिलियन डॉलर बाढ़ राहत प्रोजेक्ट्स में घपलेबाजी कर लिए गए. जुलाई से शुरू हुआ विरोध सितंबर तक बड़े आंदोलनों में बदल गया. इस दौरान आई भीषण बाढ़ ने राजधानी की सड़कों को नदी बना दिया. गाड़ियाँ बह गईं, लाखों लोग फँस गए और बीमारियाँ फैलने लगीं. लोगों का सवाल था टैक्स का पैसा अगर इंफ्रास्ट्रक्चर और फ्लड कंट्रोल पर खर्च नहीं हुआ, तो गया कहाँ? अब तक 200 से ज्यादा लोग गिरफ्तार हो चुके हैं. ग्रीनपीस का दावा है कि असली घोटाला सरकार के आंकड़ों से कहीं बड़ा है.

6. इंडोनेशिया: भ्रष्टाचार और असमानता पर गुस्सा

जकार्ता और अन्य शहरों में हजारों छात्रों ने भ्रष्टाचार, शिक्षा की कमी और बेरोजगारी के खिलाफ प्रदर्शन किया. सबसे बड़ा गुस्सा सांसदों की सुविधाओं पर है जहां उन्हें करीब 2.7 लाख रुपये मासिक भत्ता मिलता है, जो जकार्ता के न्यूनतम वेतन से 10 गुना ज्यादा है. प्रदर्शन के दौरान पुलिस झड़पों में कई लोग घायल हुए. डिलीवरी बॉय की मौत के बाद गुस्सा और भड़क गया, और लोगों ने पुलिस सुधार और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की. राष्ट्रपति प्रबोवो ने सांसदों की हाउसिंग अलाउंस और विदेशी दौरों में कटौती का ऐलान किया और आश्वासन दिया कि पुलिस हिंसा की जांच होगी.

Morocco Image

7. सर्बिया: पुलिस की ज्यादती के खिलाफ स्टूडेंट्स

8 सितंबर 2025 को बेलग्रेड में हजारों छात्रों ने राष्ट्रपति अलेक्ज़ांडर वुचिच के खिलाफ रैली निकाली. ये प्रदर्शन पुलिस की ज्यादती के खिलाफ थे, जिसमें छात्रों पर अत्यधिक बल प्रयोग और एक छात्रा को रेप की धमकी तक देने के आरोप लगे. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों को कड़ी सज़ा दी जाए. यह आंदोलन वुचिच की पॉपुलिस्ट सरकार के लिए अब तक की सबसे बड़ी चुनौती माना गया.

8. फ्रांस: खर्च कटौती पर सड़कों पर उतरे लोग

फ्रांस में फिर से कामगार वर्ग, छात्र और पेंशनर्स एकजुट होकर सड़कों पर उतरे. सरकार ने राष्ट्रीय बजट में भारी खर्च कटौती (austerity measures) का प्रस्ताव रखा है, जिसके खिलाफ ट्रेड यूनियनों ने देशव्यापी हड़ताल बुला ली. 2 अक्टूबर को 200 से ज्यादा शहरों में प्रदर्शन हुए। राजधानी पेरिस में आइफिल टॉवर बंद करना पड़ा. लोगों की मांग है कि सरकार बजट कटौती रोके, पब्लिक सर्विसेज में निवेश बढ़ाए और अमीरों पर ज्यादा टैक्स लगाए.

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