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अंडरग्राउंड और ओपन माइंस से वित्त पोषित स्कूल केवल तीन, कैसे मिले भूविस्थपितों के बच्चों को शिक्षा

कोरबा। कोल इंडिया की अनुषांगिक कंपनियों ने 2011-12 से 2022-23 तक 23 हजार से अधिक लोगों को जमीन के बदले नौकरी दी। विगत 10 से 12 वर्षों में तेजी से जमीन अधिग्रहण कर परिवारों को अन्य जगहों पर बसाहट दिया गया। बसाहट देते समय एक सबसे महत्वपूर्ण वादा परिवारों से किया जाता है कि उनके बच्चों को सीबीएसई और अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में एडमिशन में हर संभव मदद की जाएगी। कोल इंडिया की अनुषांगिक कंपनियों के प्रभावित क्षेत्रों में संचालित स्कूलों में विस्थापित परिवारों के बच्चों को एडमिशन देने के मामले में बेहद पिछड़े हुए हैं। कहीं कोई आरक्षण निर्धारित नहीं है। कोल इंडिया की जितनी भी अनुषांगिक कंपनी है, सभी जगह गाइडलाइन अलग-अलग है। किसी भी कंपनी के पास ये डाटा नहीं है कि विस्थापित परिवारों के कितने बच्चों को एडमिशन दिया गया।एसईसीएल में अंडरग्राउंड और ओपन माइंस कुल खदानों की संख्या 26 से अधिक है, लेकिन प्रबंधन के वित्त पोषित स्कूलों की संख्या सिर्फ 16 है। कोरबा जिले में डीएवी स्कूलों की संख्या सिर्फ तीन है। एक कोरबा, एक कुसमुंडा और एक गेवरा में स्कूल संचालित है। यहां सीटों की संख्या पहले जितनी है। जहां एसईसीएल, गैर एसईसीएल कर्मियों के बच्चों के प्रवेश का खासा दबाव रहता है।

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